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सर्दियों में त्‍वचा की देखभाल के लिए आयुर्वेदिक टिप्‍स

By Super
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आयुर्वेद, भारतीय चिकित्‍सा की एक प्राचीन पद्धति है। आयुर्वे दवाईयों, कई प्रकार की जड़ी - बूटियों, झाडि़यों और मसालों से मिलकर बनी होती हैं। वास्‍तव में यह बहुत प्रभावशाली होती हैं और इन‍का किसी भी प्रकार का साइड इफेक्‍ट नहीं होता है। आजकल, पश्चिमी देशों में आयुर्वेदिक दवाईयों का प्रचलन बहुत ज्‍यादा है।

शरीर की हर तरह की बीमारी का इलाज, आयुर्वेद में होता है। इसके अलावा, त्‍वचा सम्‍बंधी बीमारियों का सबसे बेहतर इलाज आयुर्वेद में ही मिलता है। त्‍वचा में कई कारणों जैसे - जलवायु परिवर्तन, प्रदुषण और संक्रमण आदि से दिक्‍कत होती है लेकिन आयुर्वेदिक पद्धति में सभी प्रकार की दिक्‍कतों का अच्‍छा इलाज है। आयुर्वेद इलाज में परहेज सबसे ज्‍यादा करना होता है।

जैसे ही सर्दियां पड़नी शुरू होती है, त्‍वचा फटना, छीलना आदि शुरू हो जाता है। हर बार मौसम बदलने पर ऐसा दिक्‍कतें आना स्‍वाभाविक है लेकिन हर बार अंग्रेजी दवाईयों का सेवन नुकसानदायक होता है, ऐसे में आयुर्वेदिक दवाईयों का सेवन करना चाहिए। यहां सर्दियों में त्‍वचा की देखभाल करने के लिए कुछ खास आयुर्वेदिक टिप्‍स दिए जा रहे हैं :

Ayurvedic skin care tips


1) मसाज :
आयुर्वेद में हॉट ऑयल मसाज को बढ़ावा दिया जाता है जिससे रूखी - सूखी त्‍वचा में जान आ जाती है और शरीर में स्‍फूर्ति आ जाती है। हॉट ऑयल मसाज में ब्राहमी और नीम का तेल इस्‍तेमाल किया जाता है। इस ऑयल से त्‍वचा को पोषण मिलता है और त्‍वचा, हाइड्रेट भी रहती है। सर्दियों में त्‍वचा को सप्‍ताह में कम से कम दो बार हॉट ऑयल थेरेपी दें। मार्केट में भी कई प्रकार हॉट ऑयल उपलब्‍ध हैं।

2) फेस मास्‍क : सर्दियों के मौसम में हर्बल फेस पैक का इस्‍तेमाल करना चाहिए, इससे त्‍वचा में कड़कपन नहीं आता है और न ही त्‍वचा फटती है। आप चाहें तो हर्बल फेसपैक घर पर भी तैयार कर सकते हैं - गुलाब जल, आंवला, एलोवेरा, हल्‍दी और अन्‍य प्राकृतिक सामग्रियों को उचित मात्रा में मिला लीजिए और इसमें दूध या पानी मिलाकर पेस्‍ट तैयार कर लें। इसे अपने चेहरे पर पांच मिनट के लिए लगाएं और हल्‍के गुनगुने पानी से धो लें। आप चाहें तो एलोवेरा जैल से भी फेसपैक तैयार कर सकती हैं। पर इसे ठंडे पानी से धुलें। इससे त्‍वचा में निखार आएगा।

3) स्‍वास्‍थवर्धक चीजें खाइए :
आयुर्वेद के अनुसार, आप जो भी खाते हैं उसका सीधा प्रभाव त्‍वचा पर पड़ता है, इसलिए अपनी त्‍वचा को सुंदर व मुलायम बनाने के लिए हर्ब्‍स और मसालों, जैसे - आंवला, षठबेरी, अश्‍वगंधा, त्रिफला और अन्‍य सामग्रियों का इस्‍तेमाल अपने भोजन में करें। साग और पत्‍तेदार सब्जियां ज्‍यादा खाएं, मांसाहारी भोजन का सेवन करें। खुराक में ज्‍यादा से ज्‍यादा फलों का सेवन करें।

4) पर्याप्‍त पानी पीजिए :
आयुर्वेद में शरीर में पानी को पर्याप्‍त मात्रा को अच्‍छा खासा महत्‍व दिया गया है। पानी पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन नहीं होता है जिससे त्‍वचा में रूखापन नहीं आता। आयुर्वेद के हिसाब से शरीर में पानी का होना ही सभी समस्‍याओं से मुक्ति दिलाता है। सर्दियों में भी पर्याप्‍त मात्रा में पानी पीजिए। 8 से 10 ग्‍लास पानी हर दिन पीना ही चाहिए।

5) नहाने के प्रोडक्‍ट : आयुर्वेद के अनुसार, नहाने वाले प्रोडक्‍ट में कैमिकल बहुत ज्‍यादा होते हैं, जो शरीर की त्‍वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। ये त्‍वचा को रूखा बनाते है और खराब कर देते है। सोप की जगह मिल्‍क, क्रीम, हल्‍दी पाउडर और बेसन का इस्‍तेमाल करना चाहिए। इससे त्‍वचा सुंदर होती है और निखार बढ़ता है।

Story first published: Saturday, December 28, 2013, 11:44 [IST]
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