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जानें मधुमेह की बीमारी में कितना अच्छा होता है टहलना
यदि आपको मधुमेह की बीमारी है तो आपको रोज सुबह-शाम टहलना चाहिये। टहलने के अलावा आप दौड़ना, साइकिलिंग, जॉगिंग, तैराकी या फिर बैडमिन्टन या टेनिस आदि खेल भी खेल सकते हैं।
इस तरह के व्यायामों से हृदय और श्वसन की क्रियाओं पर प्रभावकारी असर पड़ते हैं। वहीं दूसरी ओर वेट लिफ्टिंग और हैंडग्रिप जैसी भारी भरकम एक्सरसाइज़ मधुमेह रोगियों के लिये अच्छी नहीं मानी जाती।
एक सामान्य आदमी में काम करने की ऊर्जा ग्लुकोज और फ्री फैटी एसिड के आक्सीडेशन से मिलती है। आराम के समय नब्बे प्रतिशत ऊर्जा , मांसपेशियों को फ्री फैटी एसिड के आक्सीडेशन से मिलती है।
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जब शरीर को ग्लुकोज की मांग ज्यादा होती है, तो मांसपेशियों और लीवर के ग्लायकोजन, ग्लुकोज में बदलने लगते हैं, और इससे भी काम न चला तो अन्य स्रोतों से ग्लुकोज का उत्पादन स्वतः होने लगता है।
जब हम थोड़ा व्यायाम करते हैं तो पहले मांसपेशियों का ग्लायकोजन ग्लुकोज में बदलता है, इसके बाद फिर लीवर का। यदि व्यायाम जारी रहता है तो लीवर अन्य स्रोतों से नया ग्लुकोज बनाना शुरू कर देता है। अगर तीस मिनट से ज्यादा व्यायाम किया जाय तो मांसपेशियों की ऊर्जा मुख्यतः फ्री फैटी एसिड से मिलती है। व्यायाम के बाद मांसपेशियों और लीवर का ग्लायकोजन-स्टोर पहले की तरह होने लगता है, इस प्रक्रिया में इन्सुलीन का बड़ा हाथ है।
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खून में पहुंचने वाला ग्लुकोज शरीर की कोशिकाओं के अंदर जा कर रासायनिक प्रक्रिया द्वारा एनर्जी पैदा करता है। मगर खून से यह ग्लुकोज कोशिकाओं में कैसे पहुंचे? अग्नाशय ग्रंथि के बीटा सेल्स से स्रावित इन्सुलिन के लिए कोशिका के उपर ऐसे विशिष्ट स्थल होते हैं जिसे इन्सुलीन रिसेप्टर कहते हैं। इसी स्थल पर खड़ा हो कर इन्सुलीन अपनी विशेष प्रक्रिया द्वारा ग्लुकोज को रक्त से कोशिकाओं के अन्दर घुसने के लिए प्रेरित करता है।
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शरीर में इन्सुलीन नहीं रहे तो ग्लुकोज के अणु अपनी मनमानी करते हुए आवारागर्दी शुरू कर देते हैं। कोशिकाओं में ग्लुकोज की कमी हो जाती है, और शरीर में ऊर्जा का आभाव हो जाता है।
रक्त में ग्लुकोज की मात्रा बढ़ती जाती है, ग्लुकोज की कमी नहीं रहती है मगर कोशिकाएँ ग्लुकोज के बिना प्यास से मरी जाती हैं। इस तरह के हालात में थोड़ा व्यायाम मांशपेशियों को इन्सुलीन के प्रति संवेदनशील बना देता है, इन्सुलीन रिसेप्टर की संख्या बढ़ा देता है, और इस तरह रक्त से कोशिकाओं के अंदर ग्लुकोज का ट्रांसपोर्ट संभव हो जाता है।
व्यायाम के कारण शरीर के विभिन्न हारमोनों में ऐसा परिवर्तन होता है कि ग्लुकोज का उपयोग सही दिशा में हो सके। यह एक जटिल रासायनिक प्रक्रिया है।