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जानें, डायबिटीज़ के मरीजों के लिए कसरत करना क्यों है जरुरी?
डाइबिटीज़ के दो प्रमुख प्रकार हैं जिन्हें टाइप 1 व टाइप 2 कहा जाता है। टाइप 1 का डाइबिटीज़ टाइप 2 से अलग होता है। इसमें शरीर इन्सुलिन का उत्पादन पूर्ण रूप से बंद कर देता है। टाइप 2 डाइबिटीज़ सामान्यत: बुजुर्गों में पाया जाता है तथा इसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या व्यक्ति स्वयं ही अपने इन्सुलिन का प्रतिरोधी हो जाता है।
किसी
भी
प्रकार
का
डाइबिटीज़
होने
पर
हम
शर्करा
के
उचित
उपयोग
की
क्षमता
खो
देते
हैं।
शरीर
में
शुगर
का
स्तर
बढ़
जाता
है
क्योंकि
शरीर
को
कोशिकाओं
तक
शर्करा
पहुंचाने
में
तथा
रक्त
से
शर्करा
लेने
में
कठिनाई
होती
है।
ब्लड
शुगर
के
स्तर
को
कम
करने
के
कई
तरीके
हैं
जिनमें
कसरत,
आहार
और
दवाईयां
आदि
शामिल
हैं।
डाइबिटीज़ के मरीजों के लिए कसरत क्यों आवश्यक है
टाइप 1 तथा टाइप 2 दोनों प्रकार के डाइबिटीज़ के मरीजों के लिए लिए कसरत बहुत आवश्यक है। टाइप 1 के मरीजों में इन्सुलिन की संवेदनशीलता को ठीक रखने के लिए, वज़न अधिक बढ़ने से रोकने के लिए तथा मांसपेशियों द्वारा ग्लूकोज़ का उपयोग बढ़ाने के लिए व्यायाम बहुत सहायक होता है। इससे उनकी ब्लड शुगर का स्तर कम होता है।।
टाइप 2 के डाइबिटीज़ को रोकने के लिए नियमित व्यायाम और अच्छा आहार आवश्यक है। अध्ययनों से पता चला है कि प्रतिदिन 30 मिनिट की वॉकिंग (सैर) करने से टाइप 2 डाइबिटीज़ होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
कसरत
की
सहायता
से
डाइबिटीज़
के
मरीजों
में
आने
वाली
कई
समस्यायों
जैसे
हृदय
से
संबंधित
समस्याएं,
हाई
ब्लड
प्रेशर
तथा
परिसंचरण
तंत्र
से
संबंधित
समस्याएं
आदि
को
रोका
जा
सकता
है।
कसरत
से
ब्लड
प्रेशर
कम
होता
है
तथा
सम्पूर्ण
शरीर
में
रक्त
प्रवाह
बढ़ता
है।
क्योंकि
डाइबिटीज़
के
मरीजों
में
रक्त
प्रवाह
बहुत
धीमा
या
बहुत
कम
होता
है
अत:
व्यवस्थित
रक्त
प्रवाह
से
उन्हें
बहुत
लाभ
होता
है।
कसरत
के
पहले
बरती
जाने
वाली
सावधानियां
कसरत
के
साथ
कुछ
खतरे
भी
जुड़े
हुए
हैं
परन्तु
इससे
होने
वाले
लाभ
खतरों
की
तुलना
में
कहीं
अधिक
हैं।
क्योंकि
कसरत
करने
से
शरीर
में
शुगर
का
स्तर
कम
हो
जाता
है
अत:
डाइबिटीज़
के
मरीजों
को
कसरत
करने
के
पहले
तथा
बाद
में
अपनी
ब्लड
शुगर
का
स्तर
जांच
लेना
चाहिए।
कसरत
करते
समय
शरीर
शुगर
का
अधिक
मात्रा
में
उपयोग
करता
है
तथा
शरीर
इन्सुलिन
के
प्रति
संवेदनशील
हो
जाता
है
अत:
इस
बात
का
खतरा
होता
है
कि
ब्लड
शुगर
बहुत
अधिक
कम
हो
जाए
और
इसके
कारण
हाइपोग्लाइसीमिया
की
समस्या
हो
सकती
है।
जब आप व्यायाम करें तो यह बात महत्वपूर्ण हो जाता है कि अन्य लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि आपको डाइबिटीज़ है। उन्हें यह पता होना चाहिए कि हाइपोग्लाइसीमिया की स्थिति में क्या किया जाता है। कसरत के दौरान या कसरत के बाद आपको इस बात पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि दिल की बढ़ी हुई धड़कन, अधिक पसीना आना, कंपकपाहट महसूस होना या भूख लगना आदि संकेत बताते हैं कि आपकी ब्लड शुगर का स्तर बहुत कम हो चुका है।
डाइबिटीज़
के
सभी
मरीजों
को
अपनी
दिनचर्या
में
कसरत
को
नियमित
रूप
से
शामिल
करना
चाहिए।
इसके
लिए
प्रतिदिन
आसान
सी
सैर
भी
की
जा
सकती
है।