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रीढ़ में लचक के लिए उर्ध्व मुख स्वानासन

By Super
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Urdhvamukhaswanasan
कई आसन हमने जीव-जंतुओ से सीखे हैं. कुत्ते को संस्क़त में श्वान कहते हैं. वह जिस तरह अपने शरीर में खिंचाव लाकर जकड़न दूर करता है. उसी तरह उर्ध्व मुख स्वानासन के अभ्यास से रीढ़ की जकड़न दूर होती है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है.

अधोमुख स्वानासन के अभ्यास से अपनी खोई हुई ऊर्जा को फिर से प्राप्त किया जा सकता है.

उर्ध्व मुख स्वानासन

कैसे करें

पेट के बल लेट जाएँ, सिर को ज़मीन से लगाकर रखें. दोनों पैरों के बीच एक फ़ुट का अंतर रखें. पैरों की अंगुलियों का रुख़ पीछे की ओर होना चाहिए.

अपनी हथेलियों को छाती के बगल में रखें. अँगुलियों का रुख़ ऊपर की ओर होना चाहिए. यह इस आसन की प्रारंभिक अवस्था है.

सांस भरिए, सिर को ज़मीन से ऊपर उठाएँ, धीरे-धीरे कंधे भी उठाइए, हाथों को सीधा कर लें, सिर को पीछे मोड़िए, आकाश की ओर देखें, कंधे भी पीछे की ओर खिंचिए. कंधों में, छाती में, रीढ़ में खिंचाव को महसूस करें. इसके साथ ही पैरों की मांसपेशियों को और घुटनों में थोड़ा खिंचाव लाएँ.

उर्ध्व मुख स्वानासन के अभ्यास से छाती का विस्तार बड़े अच्छे ढंग से होता है. फेफड़ों में फैलाव आता है और उनकी क्षमता बढ़ती है. इसके परिणामस्वरूप सांस संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं.

इस प्रकार आपकी कमर, जंघाएँ और घुटने भी ज़मीन से ऊपर उठ जाएँगे. पूरे शरीर का भार हथेलियों और पैरों की अँगुलियों पर आएगा. इसके अतिरिक्त रीढ़, कमर, जंघाएँ और पिण्डलियों पर भी खिंचाव को आप महसूस कर पाएँगे.

इस स्थिति में 30 सेकेंड तक रुकें और सांस को सामान्य कर लें. अंत में हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए फिर से प्रारंभिक अवस्था में आ जाएँ और कुछ देर आराम करें.

फ़ायदा

उर्ध्व मुख स्वानासन के अभ्यास से रीढ़ के जोड़ों में सबसे अधिक खिंचाव आता है. इसलिए जिनकी रीढ़ की लचक कम है, यह अभ्यास उनके लिए फ़ायदेमंद है. इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की जकड़न को दूर किया जा सकता है.

इससे रीढ़ को मज़बूती मिलती है यानी आंतरिक शक्ति बढ़ती है. कंधे, पीट और कमर दर्द भी इसके अभ्यास से दूर होता है.

छाती के विस्तार बड़े अच्छे ढंग से होता है. फेफड़ों में फैलाव आता है और उनकी क्षमता बढ़ती है. इसके परिणामस्वरूप सांस संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं. कमर और पेट की माँसपेशियों में भी खिंचाव आता है. इससे ख़ून का संचार बढ़ता है और स्वास्थ्य की नज़र से यह उत्तम है.

अधो मुख स्वानासन

कैसे करें

पेट के बल लेट जाएँ, सिर ज़मीन से लगाकर रखें. दोनों पैरों में एक फ़ुट का अंतर रखें और पैरों को अँगुलियों के बल खड़ा करके रखें.

हाई ब्लड प्रेशर के रोगी भी अधोमुख स्वानासन का अभ्यास कर पूरा लाभ उठा सकते हैं

हथेलियों को छाती के बगल में रखें, अँगुलियों का रुख़ सिर की तरफ़ होना चाहिए. यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है.

सांस भरिए और धीरे-धीरे सांस निकालते हुए कमर को बल्कि पूरे धड़ को ज़मीन से ऊपर उठाएँ जिससे एक पर्वत जैसा आकार बन जाए. हाथों को सीधा कर लें और सिर को ज़मीन से लगाने का प्रयास करें.

इस प्रकार आप अपने कंधों और पीठ की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस करेंगे. ध्यान रहे (इस स्थिति में) घुटने को नहीं मोड़ेंगे, पैरों के तलवे और एड़ियों की ज़मीन से लगाने का प्रयास करें.

इस स्थिति में 30 सेकेंड या एक मिनट तक रुकने का प्रयास करें. सांस को सामान्य कर लें यानी कि फिर से पेट के बल लेट जाएँ और कुछ देर आराम करें.

फ़ायदा

अधो मुख स्वानासन करने से थकान दूर की जा सकती है. जो लोग नियमित रूप से दौड़ते हैं वे इस आसन के अभ्यास से अपनी खोई हुई ऊर्जा को फिर से प्राप्त कर सकते हैं.

यह आसन विशेष तौर पर पैरों की एड़ियों का दर्द और जकड़न दूर होती है. टखनों की आंतरिक शक्ति बढ़ती है. पैरों की मांसपेशियों सुगठित होती हैं. इसके अतिरिक्त कंधों के जोड़ों का दर्द, कंधों और पीठ की मांसपेशियों की जकड़न दूर करने में सहायक है यह आसन.

इस आसन के अभ्यास से शीर्षासन के सभी लाभ कुछ कम मात्रा में प्राप्त किए जा सकते हैं. इसलिए जो शीर्षासन नहीं कर सकते या जिन्हें शीर्षासन करना वर्जित है, उन्हें अधोमुख स्वानासन का अभ्यास करना चाहिए. हाई ब्लड प्रेशर के रोगी भी इस आसन के अभ्यास से पूरा लाभ उठा सकते हैं.

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