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लौकी का जूस पीने में बरतें सावधानी
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के रजिस्टर्ड मैडिकल प्रैक्टीशनर्स को भी इस बारे में सूचित किया जाना चाहिए। यही नहीं चिकित्सकों के लिए लौकी विषाक्तता के मामलों में उपचार के लिए प्रोफार्मा भी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वेबसाईट पर उपलब्ध करवाया गया है।
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अगर लौकी के जूस का उपयोग करता है तो उसे जूस पीने से पहले उस लौकी के छोटे टुकड़े को चखना चाहिए। अगर इसका स्वाद कड़वा है तो उस लौकी का जूस नहीं पीना चाहिए। इसके अलावा लौकी के जूस को किसी अन्य जूस के साथ नहीं मिलाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि लौकी का जूस पीने उपरांत अगर किसी व्यक्ति को बेचैनी, उल्टी, दस्त, उबकाई या किसी प्रकार की कोई अन्य तकलीफ महसूस होती है तो उसे तुरंत नजदीक के अस्पताल में ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को भी ऐसे मामलों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा परामर्श की गई दवाइयां एवं चिकित्सा जांच के अनुरूप ही मरीजों का इलाज करना चाहिए।
डॉ. नरवीर सिंह ने राज्य के सभी चिकित्सकों से अनुरोध किया है कि वे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वेबसाईट पर उपलब्ध इस अनुसंधान रिपोर्ट का जरुर अवलोकन करें।