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पान के पत्ते के स्वास्थ्य लाभ

By Super
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पान का पेड़ पतली जड़ों द्वारा चढ़ाई गई एक बारह मासी लता होती है। पान का प्रयोग 2,000 वर्ष पहले से होता आ रहा है, इसका वर्णन श्रीलंका की ऐतिहासिक पुस्‍तक महावस्‍मा (जिसे दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक पाली में लिखा गया) मिलता है। भारतीय उपमहाद्वीप में 'पान-सुपारी' के रूप में जानी जाने वाली पान की एक छोटी सी पोटली, शिष्टाचार के रूप में मेहमानों को दी जाती है।

पान के पेड़ की पत्तियां दिल के आकार की, चिकनी, चमकीली और नुकीले सिरे के साथ लम्बी- डंठल वाली होती हैं।भारत में, इसकी खेती आमतौर पर तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में की जाती है। प्राचीन काल से, पान की पत्तियां एक खुशबूदार उत्तेजक और वातग्रस्त रहित के रूप में इस्तेमाल की जा रही हैं। यह स्राव या बहते खून को खींच लेता है और एक कामोत्तेजक की तरह भी कार्य करता है। यह कई आम घरेलू उपचार में प्रयोग किया जाता है:

अल्प या रुकी हुई पेशाब:

अल्प या रुकी हुई पेशाब:

पत्ती का रस मूत्रवर्धक गुण के लिए जाना जाता है और जब पतले दूध के साथ लिया जाए तो पेशाब होने में सहायता करता है।

एंटी ऑक्सीडेंट:

एंटी ऑक्सीडेंट:

पान के पत्ते से निकालने वाले तत्‍वों पर, अनुसंधान में पाया गया कि बीएचटी (ब्‍यूटाइलेटेड हाईड्रॉक्सिल टोल्‍युईन) की तुलना में उसमें सफाई करने के गुणों से युक्‍त फ्री-रेडिकल तत्‍व ज्‍यादा पाये जाते हैं।

सूजन:

सूजन:

पान की पत्तियों को स्थानीय तौर पर लगाने से गठिया और ऑर्चिटिस (वृषण की सूजन) का इलाज किया जाता है। फोड़े को फोड़ कर उसमें से मवाद को निकालने के लिए अरंडी के तेल की एक परत लगाकर गर्म पान के पत्ते को उस जगह पर फैला दें। पत्ती कुछ घंटों पर बदल देनी चाहिए।

कमर दर्द:

कमर दर्द:

पत्तियों के गर्म प्रलेप के मिश्रण या उनके रस के साथ कोई भी तेल (जैसे परिष्कृत नारियल का तेल) को कमर पर लगाना अनुकूल परिणाम देता है।

माँ के दूध का स्राव:

माँ के दूध का स्राव:

स्तनपान के दौरान तेल में लिप्त पत्तियां स्तनों में लगाना फायदेमंद होता है, क्योंकि यह उपाय मां के दूध के स्राव को बढ़ाने में मदद करता है।

श्वसन संबंधी विकार:

श्वसन संबंधी विकार:

सरसों के तेल में भिगे हुए और गरम करे हुए पान के पत्ते लगाने से खांसी और सांस लेने में कठिनाई से मदद मदद मिलती है। शहद के साथ मिले हुए कुचले पान के फल या बेर से खांसी की परेशानी से राहत मिलती है।

मधुमेह:

मधुमेह:

पान पर अध्ययन यह दिखाते हैं, कि इसमें मधुमेह रोधी गुण होते हैं और यह इसके उपचार में मदद करता है।

नसों की कमजोरी:

नसों की कमजोरी:

तंत्रिका दर्द, तंत्रिका की थकावट और दुर्बलता के उपचार के लिए शहद के एक चम्मच के साथ कुछ पान के पत्ते का रस एक टॉनिक बनाता है।

सिर दर्द:

सिर दर्द:

पान के पत्ते की एनाल्जेसिक और ठंडी विशेषताओं की वजह से ऊपर से लगाने में यह तेज सिर दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा

कब्ज:

कब्ज:

अरंडी के तेल में डूबा हुआ पान के डंठल से बनी एक वर्ति को, मलाशय के माध्यम से लगाने से, तुरन्त कब्ज से राहत मिलती है।

घाव:

घाव:

अगर पान के कुछ पत्‍तों का रस चोट पर लगायें और पान का पत्‍ता रख कर पट्टी बांध दें, तो चोट 2-3 दिन में ठीक हो जाती है।

English summary

Health Benefits Betel Leaf

From ancient times, the betel leaf has been used as an aromatic stimulant and anti-flatulent. It arrests secretion or bleeding and also serves as an aphrodisiac. It is used in several common household remedies:
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