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तीखी मिर्च में बड़े-बड़े गुण
मिर्च की उत्पत्ति अमेरिका में हुई थी और यह 7500 ईसा पूर्व में मानव आहार का भाग रही है। 15वीं शताब्दी में क्रिस्टोफर कोलम्बस इसे स्पेन लेकर आये और शीघ्र ही इसकी खेती पूरे यूरोप, एशिया, भारत और अफ्रीका में होने लगी।
मिर्च की 200 से अधिक प्रजातियाँ ज्ञात हैं जो कि पीली से हरी से लेकर लाल से काली जैसी विभिन्न रंगो की होती हैं और तीखेपन में मध्यम से लेकर बहुत तीखी प्रकार की होती हैं। प्रतिजैविक होने की क्षमता रखने के साथ-साथ मिर्च के कई स्वास्थ्य सम्बन्धी और औषधीय गुण होते हैं।
1- हृदयरोगों का खतरा कम होना
कालीमिर्च को न केवल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तरों को कम करने के लिये प्रभावशाली माना जाता है बल्कि प्लेटलेट के झुण्ड बनने की प्रक्रिया को कम करने के लिये भी जाना जाता है जो अक्सर जानलेवा रूप से थक्का जमाता है। ये स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ उन लोगों के लिये महत्वपूर्ण हैं जो हृदयरोगों को लेकर चिन्तित है या फिर उन लोगों के लिये जो इससे पहले ही ग्रस्त हैं।
2- सूजन कम होना
मिर्च खाने का एक और महत्वपूर्ण फायदा गठिया जैसे रोगों में इसकी सूजन कम करने की क्षमता है। मिर्च को प्रभावशाली दर्दनिवारक के रूप में जाना जाता है। इस फायदे के पीछे का कारण कालीमिर्च में उच्च मात्रा मे कैप्सेसिन का होना है। इस समय बाजार में कई क्रीम ऐसी हैं जिनमें कैप्सेसिन उच्च मात्रा में होती है जो कि गठिया, पीठ दर्द और अन्य ऐसे ही दर्द के उपचार में विशेष रूप से प्रभावशाली है।
3- पाचन का बेहतर होना
कई वर्षों से चिकितसकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी पेशेवरों ने ऐसिडिटी या फिर अमाशयी अल्सर से ग्रस्त लोगों को कालीमिर्च से बचने की सलाह दी है। लेकिन हाल ही में हुये शोधों में यह पाया गया कि काली मिर्च में उच्च मात्रा में पाया जाने वाला केईन वास्तव में अमाशय मे अल्सर को होने से रोकता है। केईन को हइड्रोक्लोरिक अम्ल के उत्पादन में मुख्य रूप सहायक माना जाता है जो न केवल भोजन के पाचन के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि अल्सर सम्बन्धी पेट दर्द को भी कम करने में सहायक है। इसके साथ-साथ केईन पेट में गैस बनने और फूलने को भी कम करने में सहायक है।
4- हड्डियों का स्वास्थ्य बना रहता है
शोधार्थियों ने यह पाया है कि काली मिर्च में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जो कि हड्डियों और दाँतों को मजबूत बनाये रखता है। कुछ लोगों को दुग्ध उत्पादों से एलर्जी होती है या फिर लैक्टो-शाकाहारी होने के कारण वे इन्हें नही लेना चाहते तो कालीमिर्च उन्हें वही खनिज तत्व उपलब्ध कराता है जोकि उनके दाँतों और हड्डियों को मजबूत रखते हैं।
5- रक्त शर्करा स्तर का कम होना
युनिवर्सिटी ऑफ तस्मानिया के शोधार्थियों के एक दल, जिनका लेख जुलाई 2006 के अमेरिकन जरनल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित हुआ, का कहना है कि मोटापे या मधुमेह से ग्रस्त लोगों पर मिर्च खाने का बहुत ही सकारात्मक असर होता है।
6- स्ट्रोक से सुरक्षा
रक्त संचरण को बेहतर करने के लिये जानी जाने वाली मिर्च का आपके स्वास्थ्य पर नाटकीय असर देखने को मिलता है और रक्त को पतला करने के कारण ये स्ट्रोक से भी बचाती हैं। हर दिन खाने के साथ मिर्च खाने से आपको इनके कारण होने वाले कई और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ होंगे।
7- दर्द और सूजन का कम होना
सूजन की प्रक्रिया से जुड़ी न्यूरोपेप्टाइड कैप्सेसिन में प्रचुर मात्रा में होती हैं। रियूमेटॉइड और गठिया जैसे ऑटो-इन्फ्लेमेटरी रोगों से ग्रस्त मरीजों में मिर्च से सम्बन्धित प्लास्मा प्रोटीन में बदलावों को देखा गया है।
8- प्रॉस्ट्रेट कैन्सर के प्रसार को रोकना
कैन्सर रिसर्च ने मार्च 2006 में एक लेख प्रकाशित किया जिसमें कैप्सेसिन को प्रॉस्ट्रेट कैन्सर के प्रसार को रोकने में असरदार बताया गया था। मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सेसिन दोनों प्रकार के प्राथमिक कैन्सर कोशिकाओं में आत्महत्या को प्रेरित करता है।
9- मिर्च से चर्बी कम होती है
शोधों के अनुसार काली मिर्च द्वारा बनी ऊष्मा से कैलोरी की खपत बढ़ती है और चर्बी की परत ऑक्सीकृत होती है।
10- अमाशयी अल्सर रोकता है
अमाशयी अल्सर के प्रति काली मिर्च को जिम्मेदार मानने की खराब और गलत अवधारणा है। न केवल इनके कारण अल्सर नहीं होता बल्कि जीवाणुओं को नष्ट करके ये अल्सर नहीं होने देती और अमाशय की परत को प्रेरित करके रक्षात्मक रस का स्रावण भी कराती है।