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सर्वांग आसन दुरुस्त करे पेट
सर्वांग आसन का अर्थ है ऐसा आसन जिसको करने से शरीर के रोग दूर होकर शरीर में स्वर्ग की तरह सुख की अनुभूति हो। इस आसन से कुण्डलिनी शक्ति को जगाने में मदद मिलती है। यह शरीर में विष का नाश कर जीवनी शक्ति का विकास करता है।
विधि:- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ व साफ हवादार जगहो पर करें। आसन के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर पहले पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद दोनो पैरों को मिलाकर व पूरे शरीर को सीधा तान कर रखें। अब सांस अन्दर लेकर धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं। इस क्रिया में पैरों को सीधा रखें। इसके लिए पहले पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कमर को ऊपर उठाएं, फिर छाती तक के भाग ऊपर उठा लें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर पर लगाकर कमर को थामकर रखें। आसन की इस स्थिति में पूरे शरीर का भार कंधों पर रहना चाहिए। इस स्थिति में कंधे से कोहनी तक के भाग को फर्श से सटाकर रखें तथा ठोड़ी को छाती में सटाकर रखें। अब पैरों को तान कर ऊपर की ओर खींचकर रखें। इसके बाद शरीर को स्थिर करते हुए इस स्थिति में 30 सैकेंड तक रहें और सामान्य रूप से सांस लेते और छोड़ते रहें। धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाकर आसन की स्थिति में 3 मिनट तक रह सकते हैं। इसके बाद शरीर को ढ़ीला छोड़कर घुटनों को मोड़कर धीरे-धीरे शरीर को हथेलियों के सहारे से सामान्य स्थिति में ले आएं। इसके बाद 10 सैकेंड तक आराम करें। इसके बाद पुन: इस आसन को करें तथा इस तरह से इस क्रिया को 3 बार करें।
लाभ:-
1. इस आसन से सभी तनाव, थकावट आदि दूर हो जाती हैं। इस आसन को करने से शरीर में एक प्रकार का रस निर्मित होता है जो मनुष्य के बुढ़ापे को आने से रोकता है।
2. यह अपच, भूख को बढ़ाता है, सिर का दर्द, आंखों व मस्तिष्क का दर्द ठीक करता है।
3. इस आसन को करने से चर्म रोग नहीं होता, क्योंकि इस आसन से रक्तदोष दूर होता है। इससे पुराने कब्ज, गलगण्ड (गले के रोग), और जिगर के सभी रोग ठीक होते हैं, पाचन क्रिया मजबूत होती है।
4. यह आसन चेहरे को तेज, आकर्षक व सुंदर बनाता है तथा याददाश्त को तेज करता है। इस आसन को करने से शरीर की ढीली त्वचा व चेहरे की झुर्रियों दूर होती है।
5. यह आसन शरीर को शुद्ध करता है तथा शरीर में से अधिक चर्बी को कम कर मोटापा को दूर करता है। यह चेहरे के कील-मुहांसो व दाग धब्बे को मिटाता है, वीर्य की रक्षा करता है।
6. थाइराइड ग्रंथि को सक्रिय व स्वस्थ रखने के लिए यह आसन अधिक फायदेमंद है।
7. यह ग्रंथि ग्रीवा के निचले भाग में सामने एवं पांचवी छठी और सातवीं कशेरूका की लम्बाई में स्थित होती है। यह सिर तथा नेत्र रोग (आंखों के रोग) दूर करता है तथा मस्तिष्क से काम करने वालों के लिए यह आसन लाभकारी है।
8. इस आसन से हारमोन शक्ति की क्रियाशीलता बढ़ जाती है, जिससे शरीर में शक्ति व जीवनी शक्ति बढ़ जाती है।
9. यह आसन अंडकोष के कम विकास को विकासित करता है। इस आसन का पुरुश के समान स्त्रियों की डिम्ब-ग्रंथियों पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे स्त्रियों में मोटापा व बांझपन दूर हो जाता है।
10. इस आसन को करने से प्रजनन अंगो, कामेन्द्रियों तथा हडि्डयों का विकास होता है। कष्टार्तव (महिलाओं का मासिक धर्म कष्ट से आना), मासिकधर्म की अनियमितता, प्रमेह, बांझपन, खून की कमी तथा यौनांग दोष दूर होते हैं। यह आसन महिलाओं में गर्भाशय के रोग को दूर करने के लिए भी लाभकारी है।