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क्या है पवनमुक्तासन?
जिन लोगों को पेट में गैस की समस्या होती है उन्हें पवनमुक्तासन करना चाहिये। पवन मुक्त आसन अपने नाम के अनुसार है. इस योग की क्रिया द्वारा शरीर से दूषित वायु को शरीर से मुक्त किया जाता है। शरीर में स्थित पवन (वायु) यह आसन करने से मुक्त होता है। इसलिए इसे पवनमुक्तासन कहा जाता है।
पवन
मुक्त
आसन
के
लाभ
पवन
मुक्त
आसन
उदर
के
लिए
बहुत
ही
लाभप्रद
है।
इस
योग
से
गैसटिक,
पेट
की
खराबी
में
लाभ
मिलता
है।
पेट
की
बढ़ी
हुई
चर्बी
के
लिए
भी
यह
बहुत
ही
लाभप्रद
है।
कमर
दर्द,
साइटिका,
हृदय
रोग,
गठिया
में
भी
यह
आसन
लाभकारी
होता
है।
स्त्रियों
के
लिए
गर्भाशय
सम्बन्धी
रोग
में
पावन
मुक्त
आसन
काफी
फायदेमंद
होता
है।
इस
आसन
से
मेरूदंड
और
कमर
के
नीचे
के
हिस्से
में
मौजूद
तनाव
दूर
होता
है।
करने की विधिः
1.
भूमि
पर
चटाई
बिछा
कर
चित्त
होकर
लेट
जायें।
पूरक
करके
फेफड़ों
में
श्वास
भर
लें।
2.
अब
किसी
भी
एक
पैर
को
घुटने
से
मोड़
दें।
दोनों
हाथों
की
अंगुलियों
को
परस्पर
मिलाकर
उसके
द्वारा
मोड़े
हुए
घुटनों
को
पकड़कर
पेट
के
साथ
लगा
दें।
3.
फिर
सिर
को
ऊपर
उठाकर
मोड़े
हुए
घुटनों
पर
नाक
लगाएं।
दूसरा
पैर
ज़मीन
पर
सीधा
रखें।
4.
इस
क्रिया
के
दौरान
श्वास
को
रोककर
कुम्भक
चालू
रखें।
5.
सिर
और
मोड़ा
हुआ
पैर
भूमि
पर
पूर्ववत्
रखने
के
बाद
ही
रेचक
करें।
6.
दोनों
पैरों
को
बारी-बारी
से
मोड़कर
यह
क्रिया
करें।
दोनों
पैर
एक
साथ
मोड़कर
भी
यह
आसन
हो
सकता
है।
पवन
मुक्त
योग
में
सावधानियां
जिन
लोगों
को
कमर
दर्द
की
शिकायत
हो
उन्हें
यह
आसन
नहीं
करना
चाहिए
अगर
करना
हो
तो
कुशल
प्रशिक्षक
की
देख
रेख
में
करना
चाहिए।
जिनके
घुटनों
में
तकलीफ
हो
उन्हें
स्वस्थ
होने
के
बाद
ही
यह
योग
करना
चाहिए।
हार्नियां
से
प्रभावित
लोगों
को
भी
स्वस्थ
होने
के
बाद
ही
यह
योग
करना
चाहिए।
स्त्रियों
को
मासिक
के
समय
यह
योग
नहीं
करना
चाहिए।