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जानें, भारतीय मसालों के फायदे
मसालों की विभिन्नता, विविधता और उनका स्वाद, हर भोजन में ज़ायका ला देता है। हर समुदाय, क्षेत्र और राज्य में इनका अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जाता है।
जहां साउथ इंडियन राई का तड़का लगाते हैं वहीं नार्थ के घरों में जीरे से फ्राई दाल को खाया जाता है। केसर को मिठाई में इस्तेमाल करते हैं और काली मिर्च की चाय बनाते हैं।
हर
मसाले
का
इस्तेमाल,
उसके
गुणों
और
महत्व
के
आधार
पर
किया
जाता
है।
क्या
आप
मसाले
के
इन
महत्वों
से
परिचित
हैं।
आइए
बोल्डस्काई
के
इस
आर्टिकल
में
हम
आपको
बताते
हैं
भारतीय
मसालों
के
स्वास्थ्यवर्धक
महत्व
के
बारे
में,
जो
कि
सदियों
से
हमारी
पाक
शैली
का
अभिन्न
अंग
रहे
हैं।
भारतीय मसालों में दालचीनी काफी वंडरफुल मसाला है। यह एक प्रकार की छाल होती है जिसे भोजन में प्रमुख मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। हल्की सी मिठास लिए यह मसाला बेहद गुणकारी होता है।
दालचीनी, ह्दय के लिए अच्छी होती है। शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि प्रतिदिन आधा चम्मच दालचीनी को भोजन में इस्तेमाल करने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। इससे मधुमेह पर नियंत्रण किया जा सकता है।
कई अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि दालचीनी का ब्लड ग्लूकोज पर भी नियामक प्रभाव हो सकता है, जो कि टाइप 2 मधुमेह से जूझने वाले लोगों के लिए लाभदायक होता है। साथ ही इसके सेवन से ल्यूकेमिया और लिम्फोमा कैंसर सेल्स भी नहीं विकसित होती है।
शहद
के
साथ
इसका
सेवन,
सुबह-सुबह
करने
पर
गठिया
के
दर्द
में
भी
आराम
मिलता
है।
यह
संरक्षक
के
रूप
में
भी
कार्य
करता
है।
इसे
भोजन
में
डालने
पर
बैक्टीरिया
नहीं
पनपते
हैं
और
खाना
जल्दी
खराब
नहीं
होता
है।
यह
प्राकृतिक
संरक्षक
होता
है।
दालचीनी को प्रभावी ढंग से काम करने के लिए कम मात्रा में लिया जाना चाहिए। अगर इसे ज्यादा मात्रा में खा लिया जाये तो इसका प्रभाव प्रतिकूल हो सकता है। दूसरा सबसे अच्छा मसाला हींग होती है। इसमें ज़ायका और सुंगध होती है।
हींग
में
कई
औषधिय
गुण
होते
हैं
जो
स्वस्थ
बनाने
में
सहायक
होते
हैं।
इसके
सेवन
से
सांस
सम्बंधी
बीमारियां
भी
सही
हो
जाती
हैं
और
कफ,
अस्थमा
और
ब्रोन्काईटिस
होने
पर
भी
आराम
मिलता
है।
महिलाओं में बांझपन की समस्या को भी हींग दूर कर देती है। अगर किसी महिला का गर्भपात हो जाता है या प्रीमैच्योर प्रसव होता है या अधिक दर्द होता है तो हींग का सेवन लाभ पहुँचाता है। मासिक धर्म के दिनों में भी ऐंठन से हींग ही राहत देती है। नपुंसक लोगों के लिए हींग एक वरदान है।