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कोलेस्टेरोल को लेकर पैदा गलतफहमी को दूर करें

By Super
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कोलेस्टेरोल को लेकर अक्सर लोगों में गलतफहमी रहती है। हमें इस तरह की बातें बताई जाती है कि कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ने से दिल की बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। हलांकि इस तरह की ज्यादातर बातें सिर्फ कल्पना ही होती है। इसी तरह से हमारा मानना है कि यदि किसी व्‍यक्‍ति को कोलेस्‍टेरोल हो गया है तो, वह केवल दवा खा कर ही उसे कंट्रोल कर सकता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सिर्फ दवा के जरिए ही कोलेस्टेरोल को कम किया जा सकता है। यह जरूरी है कि जब आपको पता चले कि आप में कोलेस्टेरोल का स्तर ज्यादा है, तो इसकी वजह जानने की कोशिश करें। अगर आपने इन वजहों को दुरुस्त कर लिया तो आपका कोलेस्टेरोल स्तर फिर से सामान्य हो जाएगा।

खराब खानपान, ज्यादा काम न करना, संक्रमण, मानसिक तनाव और शारीरिक तनाव से शरीर में कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ जाता है। हमारा यह सोचना भी गलत है कि बच्चों में हाई कोलेस्टेरोल नहीं हो सकता। रिसर्च से पता चलता है कि एथरोस्केरोसिस आठ साल की उम्र में भी हो सकता है। इसमें धमनी संकरा हो जाता है, जिससे हार्ट अटैक भी आ सकता है। अमेरिकी बाल चिकित्सा अकादमी ने बच्चों और कोलेस्टेरोल के बारे में अपने गाइडलाइन में कहा है कि जो बच्चे ओवरवेट हो, हाइपरटेंशन के शिकार हों या उनके परिवार वालों में दिल की बीमारी रही हो, तो ऐसे बच्चों के कोलेस्टेरोल की जांच दो साल की उम्र में ही कर लेनी चाहिए।

जिन बच्चों में कोलेस्टेरोल की मात्रा ज्यादा हो उनके आहार में सैचुरेटेड फैट और आहार संबंधी कोलेस्टेरोल नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्हें ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करना चाहिए। इसी तरह से और भी गलत धारणाएं हैं जो हम कालेस्‍टेरोल के बारे में जानते आए हैं। इसी बात में बदलाव के लिये आइये जानते हैं ये कुछ 15 गलतफहमी।

 1. हाई कोलेस्टेरोल सिर्फ पुरुषों के लिए चिंताजनक है, महिलाओं के लिए नहीं

1. हाई कोलेस्टेरोल सिर्फ पुरुषों के लिए चिंताजनक है, महिलाओं के लिए नहीं

कोलेस्टेरोल को लेकर यह पहली गलतफहमी है। महिलाओं में एस्‍ट्रोजन पाया जाता है, जो कोलेस्टेरोल के स्तर को सामान्य रखता है। हालांकि मासिक धर्म बंद होने के बाद यह स्थिति नहीं रहती है। 45 साल से अधिक के पुरुष और 55 साल से अधिक की महिलाओं में हाई कोलेस्टेरोल से ज्यादा खतरा होता है।

2. हाई कोलेस्टेरोल जेनेटिक होता है, इसलिए आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते

2. हाई कोलेस्टेरोल जेनेटिक होता है, इसलिए आप ज्यादा कुछ नहीं कर सकते

यह सोचना भी सरासर गलत है। भले ही हाई कोलेस्टेरोल की समस्या जेनेटिक हो, फिर भी आहार और लाइफस्टाइल का भी इस पर असर पड़ता है। अगर आप हाई कोलेस्टेरोल वाले परिवार से ताल्लुक रखते हैं, तो आपको कोलेस्टेरोल के स्तर को सामान्य रखने के लिए ज्यादा सतर्क रहना होगा।

3. सिर्फ दवा के सहारे ही कोलेस्टेरोल को कम किया जा सकता है

3. सिर्फ दवा के सहारे ही कोलेस्टेरोल को कम किया जा सकता है

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सिर्फ दवा के जरिए ही कोलेस्टेरोल को कम किया जा सकता है। यह जरूरी है कि जब आपको पता चले कि आप में कोलेस्टेरोल का स्तर ज्यादा है, तो इसकी वजह जानने की कोशिश करें। अगर आपने इन वजहों को दुरुस्त कर लिया तो आपका कोलेस्टेरोल स्तर फिर से सामान्य हो जाएगा। खराब खानपान, ज्यादा काम न करना, संक्रमण, मानसिक तनाव और शारीरिक तनाव से शरीर में कोलेस्टेरोल का स्तर बढ़ जाता है।

4. दवाई लेने का मतलब है कि हमें अपने खानपान और जीवन शैली में बदलाव नहीं करना चाहिए

4. दवाई लेने का मतलब है कि हमें अपने खानपान और जीवन शैली में बदलाव नहीं करना चाहिए

दवाई के सहारे कोलेस्टेरोल के स्तर को कम किया जा सकता है। पर अगर आप आहार और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देंगे तो दवाई और भी प्रभावी ढंग से असर दिखाएगा। इसलिए ऐसा बिल्कुल न सोचें कि दवाई लेने पर हम कुछ भी खा सकते हैं।

5. ‘शून्य मिली ग्राम कोलेस्टेरोल’ मतलब स्वस्थ आहार

5. ‘शून्य मिली ग्राम कोलेस्टेरोल’ मतलब स्वस्थ आहार

किसी भी खाद्य पदार्थ के लगे लेबल पर आहार संबंधी कोलेस्टेरोल का उल्लेख रहता है। यानी उस खाद्य पदार्थ में सिर्फ वही एक ऐसी चीज है, जो आपके कोलेस्टेरोल स्तर को बढ़ा सकती है। मांस मछली और डायरी उत्पाद का सैचुरेटेड फैट और डिब्बाबंद भोजन का ट्रांस फैट कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) के लिए जिम्मेदार होता है। इसी एलडीएल से एथरोस्केरोसिस भी होता है।

6. बच्चों में हाई कोलेस्टेरोल नहीं हो सकता

6. बच्चों में हाई कोलेस्टेरोल नहीं हो सकता

अमेरिकी बाल चिकित्सा अकादमी ने बच्चों और कोलेस्टेरोल के बारे में अपने गाइडलाइन में कहा है कि जो बच्चे ओवरवेट हो, हाइपरटेंशन के शिकार हों या उनके परिवार वालों में दिल की बीमारी रही हो, तो ऐसे बच्चों के कोलेस्टेरोल की जांच दो साल की उम्र में ही कर लेनी चाहिए। जिन बच्चों में कोलेस्टेरोल की मात्रा ज्यादा हो उनके आहार में सैचुरेटेड फैट और आहार संबंधी कोलेस्टेरोल नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्हें ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करना चाहिए।

7. कोलेस्टेरोल हमेशा खराब ही होता है

7. कोलेस्टेरोल हमेशा खराब ही होता है

जब भी हम कोलेस्टेरोल के बारे में सुनते हैं तो लगता है कि यह शरीर के लिए नुकसानदायक ही होगा। हालांकि सच्चाई कहीं ज्यादा उलझी हुई है। हाई कोलेस्टेरोल खतरनाक हो सकता है, पर कोलेस्टेरोल अपने आप में शरीर की कई गतिविधियों के लिए आवश्यक होता है।

8 . कम कोलेस्टेरोल हमेशा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है

8 . कम कोलेस्टेरोल हमेशा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है

यह गलतफहमी भी बेहद आम है। वैसे तो एलडीएल का कम स्तर अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। हालांकि हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि कैंसर नहीं होने वालों की तुलना में कैंसर होने वालों में डाइगनॉसिस से पहले एलडीएल कम था। जिन लोगों में ब्लड कोलेस्टेरोल कम होता है वह भी कई तरह के संक्रमण से ग्रस्त हो जाते हैं, जिससे उनकी मृत्यु तक हो जाती है।

9. हाई कोलेस्टेरोल का कोई भी लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देता

9. हाई कोलेस्टेरोल का कोई भी लक्षण बाहर से दिखाई नहीं देता

हमारा यह सोचना भी गलत है। हाई कोलेस्टेरोल वाले व्यक्ति के पलक, जोड़, हाथ और शरीर के दूसरे हिस्सों में लाल-पीले रंग के ददोड़ा निकल आते हैं, जिसे जेंथोमास कहते हैं। मधुमेह या फेमिलीअल हाइपरकोलेस्टेरोलेमिया की स्थिति में जेंथोमास की संभावना और भी बढ़ जाती है। अपने शरीर का कोलेस्टेरोल स्तर पता करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि 20 साल की उम्र के बाद हर तीन साल के अंतराल में जांच करवाएं। अगर डॉक्टर सलाह दे तो इस जांच को और भी कम अंतराल पर करवाएं।

10 . कोलेस्टेरोल का स्तर कम होने पर दवाई बंद करने में कोई नुकसान नहीं है

10 . कोलेस्टेरोल का स्तर कम होने पर दवाई बंद करने में कोई नुकसान नहीं है

अगर आप कोलेस्टेरोल की दवाई लेनी बंद कर देंगे तो आपका एलडीएल कोलेस्टेरोल का स्तर फिर से वहीं पहुंच जाएगा, जहां से आपने शुरुआत की थी। ऐसे में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। भले ही हाई कोलेस्टेरोल का कोई भी ईलाज नहीं है, पर इससे निपटा जा सकता है। कोलेस्टेरोल से निपटने के लिए आपको दवाई लेने के साथ-साथ अपने स्वास्थ के प्रति भी प्रतिबद्धता दिखानी होगी।

11. पतले लोगों के लिए हाई कोलेस्टेरोल समस्य नहीं

11. पतले लोगों के लिए हाई कोलेस्टेरोल समस्य नहीं

आप चाहे पतले हों, मोटे हों या फिर सामान्य हों, आपको नियमित रूप से कोलेस्टेरोल की जांच करवानी चाहिए। अधिक वजन वाले लोगों में जहां ज्यादा वसायुक्त भोजन करने से कोलेस्टेरोल बढ़ता है, वहीं सामान्य वजन वाले व्यक्ति को सैचुरेटेड फैट की मात्रा को लेकर सावधान रहना चाहिए।

12. कृत्रिम मक्खन खाने से कोलेस्टेरोल कम होगा

12. कृत्रिम मक्खन खाने से कोलेस्टेरोल कम होगा

कृत्रिम मक्खन में भी काफी वसा होता है। अगर आपको हाई कोलेस्टेरोल है, तो वसायुक्त पदार्थ आपको सीमित मात्रा में खानी चाहिए। अधिकांश कृत्रिम मक्खन में सैचुरेटेड फैट पाया जाता है, जो कि हाई कोलेस्टेरोल का एक प्रमुख स्रोत है। इससे बेहतर होगा कि आप वेजटेबल ऑयल का इस्तेमाल करें, क्योंकि इसमें ट्रांस फैट नहीं होता है।

13. अधेड़ होने से पहले कोलेस्टेरोल जांचने की आवश्यकता नहीं

13. अधेड़ होने से पहले कोलेस्टेरोल जांचने की आवश्यकता नहीं

आपका ऐसा सोचना भी आपके लिए घातक हो सकता है। अधेड़ तो क्या, अगर किसी बच्चे के खानदान में किसी को दिल की बीमारी रही है, तो उस बच्चे में भी कोलेस्टेरोल का स्तर काफी ज्यादा हो सकता है। बेहतर होगा कि कम उम्र में ही कोलेस्टेरोल की जांच करवा लें।

14 . सारे कोलेस्टेरोल भोजन से आते हैं

14 . सारे कोलेस्टेरोल भोजन से आते हैं

आपके शरीर में जो कोलेस्टेरोल है वह सिर्फ और सिर्फ भोजन से नहीं आते। शरीर की कुछ प्राकृतिक क्रियाओं से भी शरीर में कोलेस्टेरोल बनता है।

English summary

Cholesterol myths busted

Cholesterol is often misunderstood. We have been bombarded with information that says that high levels of cholesterol increase the risk of heart diseases but a lot of other information is simply fiction.
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