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पेसमेकर के बारे में जानिए कुछ जरुरी बातें

By Super
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पेसमेकर एक छोटी सी डिवाइस होती है जिसका वजन मुश्किल से 25 से 35 ग्राम होता है। इस डिवाइस को उन मरीजों के दिल में फिट किया जाता है जिनका हार्ट रेट कम होता है, यह डिवाइस ह्दय की मांसपेशियों में इलेक्ट्रिक इम्‍पल्‍स भेजती है, जिससे आर्टिफिशियल हार्ट बीट बनती है और हार्ट रेट सामान्‍य आ जाता है।

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सामान्‍य हार्ट रेट, प्रति मिनट 60 से 100 बीट होती है। हालांकि, अगर हार्ट रेट 40 से कम हो जाती है तो व्‍यक्ति को कई प्रकार की समस्‍या होने लगती है, ऐसी स्थिति में डॉक्‍टर पेसमेकर को लगवाने की सलाह देते हैं।

पेसमेकर की खास बात यह है कि अगर दिल सही तरीके से धड़कने लगता है और सामान्‍य हार्ट रेट देता है तो यह इम्‍पल्‍स भेजना बंद कर देता है, इसे डिमांड पेसिंग कहते हैं। इससे बैट्री की बचत होती है और पेसमेकर ज्‍यादा समय तक चलता है।

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पेसमेकर को दिल के लेफ्ट या राइट कॉलर बोन में त्‍वचा के नीचे फिट किया जाता है और नसों से जोड़ा जाता है। एक पेसमेकर लगभग 10 से 12 साल चलता है। इसे लगवाने के बाद व्‍यक्ति सामान्‍य जीवन जी सकता है। आइए जानते हैं पेसमेकर के बारे में अन्‍य खास बातें:

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जिस ओर पेसमेकर लगा होता है, उसके विपरीत वाले कान में सदैव फोन का इस्‍तेमाल करना होता है। अगर पेसमेकर बाएं ओर कॉलर बोन पर लगा है तो फोन का इस्‍तेमाल दाएं ओर वाले कान से करना चाहिए।

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हाईटेंशन वॉयर के पास नहीं गुजरना चाहिए। बिजली के उपकरणों का इस्‍तेमाल आसानी से किया जा सकता है, लेकिन सभी की फिटिंग सुरक्षित होनी चाहिए।

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जिन लोगों को पेसमेकर लगा होता है, वो सिक्‍योरिटी क्षेत्र में लगे मेटल डिटेक्‍टटर से जल्‍दी से गुजरें और वहां की सिक्‍योरिटी को इस बारे में बता भी दें। ताकि वह आपकी जांच हाथों से कर लें।

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मॉल आदि क्षेत्रों में पेसमेकर मरीजों को मेटल डिटेक्‍टटर के बहुत नजदीक होना चाहिए।

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ऐसे मरीजों को एक्‍स-रे, सीटी स्‍कैन, अल्‍ट्रासाउंड आदि किया जा सकता है, लेकिन एमआरआई नहीं कर सकते हैं, वरना इससे पेसमेकर के सर्किट टूटने का डर रहता है। हाल ही में एमआरआई वाले पेसमेकर भी आ गए हैं जो मजबूत सर्किट वाले होते हैं।

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अगर पेसमेकर मरीज को रेडियशन की आवश्‍यकता पड़ती है तो थोड़ी मुश्किल होती है क्‍योंकि अगर रेडियशन उस जगह होना है जहां पेसमेकर लगा है तो वह बेकार हो जाएगा। अन्‍यथा रेडियशन किया जा सकता है।

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एआईसीडी नामक एक डिवाइस होती है जो पेसमेकर में और भी कार्यों को करने की क्षमता में इजाफा करती है। इससे हाई वोल्‍टेज शॉक मिल सकता है जब मरीज को इसकी जरूरत पड़ें। जिन मरीजों की हार्ट रेट कभी कभार बहुत ज्‍यादा हो जाती है, उनके लिए भी यह वरदान है।

English summary

Pacemakers: Things you should know

A Pacemaker is a tiny device weighing 25 to 35 grams, used for sending electrical impulse to heart muscles to induce artificial heart beat in patients who have a slower heart rate.
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