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क्या है थायरायड रोग और उसके लक्षण?
थायरायड मानव शरीर मे पायी जाने वाली सबसे बड़ी एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है। थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। यह थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। आइये जानते हैं कि आखिर थायरायड के कार्य क्या होते हैं और इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
थायरायड ग्रंथि के कार्य
-
शरीर
से
दूषित
पदार्थों
को
बाहर
निकालने
में
सहायता
करती
है।
-
बच्चों
के
विकास
में
इन
ग्रंथियों
का
विशेष
योगदान
होता
है।
-
यह
शरीर
में
कैल्शियम
एवं
फास्फोरस
को
पचाने
में
मदद
करता
है।
-
इसके
द्वारा
शरीर
के
टम्परेचर
को
नियंत्रण
किया
जाता
है।
-
कोलेस्ट्रॉल
लेवल
का
नियंत्रित
करना
-
प्रजनन
और
स्तनपान
-
मांसपेशियों
के
विकास
को
बढ़ावा
देता
है
क्या खाना चाहिये थायरायड में?
थायरायड के लक्षण –
1. हायपोथायराडिज्म
थायरायड ग्रंथि से अगर थाईराक्सिन कम बनने लगे तो उसे ‘हायपोथायराडिज्म’ कहते हैं। इस से निम्न रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं -
-
शारीरिक
व
मानसिक
विकास
धीमा
हो
जाता
है।
-
इसकी
कमी
से
बच्चों
में
क्रेटिनिज्म
नामक
रोग
हो
जाता
है।
-12
से
14
साल
के
बच्चे
की
शारीरिक
वृद्धि
रुक
जाती
है।
-
शरीर
का
वजन
बढ़ने
लगता
है
एवं
शरीर
में
सूजन
भी
आ
जाती
है।
-
सोचने
व
बोलने
की
क्रिया
धीमी
हो
जाती
है।
-
शरीर
का
ताप
कम
हो
जाता
है,
बाल
झड़ने
लगते
हैं
तथा
गंजापन
होने
लगता
है।
2. हाइपरथायरायडिज्म
इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है। ये असमान्य अवस्थाएं किसी भी आयु वाले व्यक्ति में हो सकती है तथापि पुरुषों की तुलना में पांच से आठ गुणा अधिक महिलाओं में यह बीमारी होती है। इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं।
-
शरीर
में
आयोडीन
की
कमी
हो
जाती
है।
-
घेंघा
रोग
उत्पन्न
हो
जाता
है।
-
शरीर
का
ताप
सामान्य
से
अधिक
हो
जाता
है।
-
अनिद्रा,
उत्तेजना
तथा
घबराहट
जैसे
लक्षण
उत्पन्न
हो
जाते
हैं।
-
शरीर
का
वजन
कम
होने
लगता
है।
-
कई
लोगों
की
हाथ-पैर
की
अंगुलियों
में
कम्पन
उत्पन्न
हो
जाता
है।
-
मधुमेह
रोग
होने
की
प्रबल
सम्भावना
बन
जाती
है।
थायरायड की जांच
थायरायड बीमारी को जांचने के लिये कुछ परीक्षण किये जाते हैं जैसे- टी3, टी4, एफटीआई, तथा टीएसएच। इन परीक्षणों से थायरायड ग्रंथि की स्थिति का पता चलता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि आयोडीन की कमी के लक्षण दिखने पर ही जांच के लिए आना चाहिए, जबकि कई दूसरे मानते हैं कि कई बार लक्षण पहचान में ही नहीं आते। इन डॉक्टरों की राय है कि तीस साल से अधिक की उम्र में गर्भ धारण करने वाली हर महिला को थाइरॉयड की जांच करानी चाहिए