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पुनरावृत्त गति क्षति को कैसे रोकें
नियत कार्यों या दोहराये जाने वाली गतियों के कारण हड्डियों, माँसपेशियों या तन्त्रिका तन्त्र को होने वाली क्षति को पुनरावृत्त गति क्षति या पुनरावृत्त खिंचाव क्षति कहते हैं। निम्न उपायों को अपनाकर आप इससे बच सकते हैं-
1. पुनरावृत्त गति क्षति विकसित करने वाले कारकों के बारे में जानें। इनमें निम्नलिखित कारक शामिल हैं -
* गति पुनरावृत्ति - एक ही क्रिया को बार-बार करते रहने से माँसपेशियों में थकावट आ जाती है। जिन माँसपेशियों में खिंचाव और अधिक प्रयोग के साथ-साथ बार-बार कोई क्रिया दोहराई जा रही हो उनमें इस प्रकार की क्षति होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
* अनुपयुक्त मुद्रा - बैठने और खड़े होने की गलत मुद्रायें माँसपेशियों और तन्त्रिकाओं पर अनावश्यक दबाव और खिंचाव उत्पन्न करते हैं।
* अत्यधिक बल प्रयोग - धकेलते, खींचते या उठाते समय अत्यधिक बल प्रयोग माँसपेशियों, हड्डियों, नसों और तन्त्रिकाओं पर दबाव डालता है। यह अतिरिक्त दाब के कारण असुविधा, दर्द और क्षति हो सकती है।
* आवृत्ति - जब दोहराये जा रही गतियों को लम्बे अन्तराल तक जारी रखा जाता है तो माँसपेशियाँ खिंचावयुक्त, थकावट भरी और लगातार उपयोग के कारण क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
2.यह समझें कि पुनरावृत्त गति क्षति निम्न कारणों से भी हो सकती है -
- हाथ-पैर और जोड़ों के दोहराई जाने वाली गतियाँ।
- हाथों का लगातार प्रयोग।
- किसी क्रिया को करते समय कलाई की अनुपयुक्त स्थिति ( उदाहरण के लिये कम्प्यूटर का माउस पकड़ना)।
- रियूमेटॉइड आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसी कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ।
3.पुनरावृत्ति गति क्षति के लक्षणों को समझना सीखें। ये निम्न रूप से प्रकट हो सकते हैं -
- जोड़ों के आस-पास दर्द या जकड़न (उदाहरण कलाई, हाथ, अंगुलियाँ)। यह दर्द क्रियाशीलता के साथ और बढ़ जाता है।
- प्रभावित क्षेत्र में सूजन।
- झुनझुनाना या सुन्न पड़ जाना।
- शक्ति और समन्वय की कमी (अक्सर हाथों में महसूस किया जाता है)।
4.पुनरावृत्ति गति क्षति से बचना सीखें। निम्नलिखित उपाय अपनायें।
- दोहराई जाने वाली गतियों के बीच में जोड़ों का व्यायाम करें या उनमें फैलाव उत्पन्न करें।
- थोड़ा आराम करें। यह पुनरावृत्ति गति क्षति से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। अपने प्रभावशाली हाथ को यथासम्भव आराम दें। जैकहैमर जैसे कम्पन वाले उपकरण में अतिरिक्त सावधानी बरतें।
- कार्य करते समय उपयुक्त मुद्रा बनाये रखें। अपने कार्यक्षेत्र में उपयुक्त बदलाव करें और अनुकूल डिजाइन वाले उपकरणों और सहायक यन्त्रों का उपयोग करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। अपने पेशीयकंकाल तन्त्र को मजबूत बनाकर पुनरावृत्ति गति क्षति की सम्भावनाओं को कम करें।