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बेकार के तनाव से हो सकता है सिजोफ्रेनिया
(आईएएनएस)| तनाव को अब आप हल्के में लेना बंद कीजिए, क्योंकि अगर यह स्थायी तौर पर आप पर हावी रहा, तो आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाओं में बदलाव कर यह 'सिजोफ्रेनिया' जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। एक शोध में यह बात सामने आई है।
शायद आपको पता ना हो कि सिजोफ्रेनिया एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिसमें इंसान अपने दिमाग में अपनी एक अलग काल्पनिक पहचान विकसित कर लेता है और वास्तविकता से अलग उसी पहचान में जीने लगता है। आम लोग बीमार इंसान की इस समस्या को पहचानने में गलती कर बैठते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि ज्यादातर मामलों में सिजोफ्रेनिया के मरीज या उनके परिजन यह नहीं मानते कि उनको दिमागी बीमारी है।
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सिजोफ्रेनिया का संबंध मानसिक स्वास्थ्य और परिस्थितियों से है। लंबे समय के बाद इसके अलग-अलग तरह के मनोवैज्ञानिक लक्षण, वास्तविकता से अलग असामान्य मान्यताओं और व्यवहार में बदलाव आदि के रूप में सामने आते हैं।
शोध के लिए शोधकर्ताओं ने 'माइक्रोग्लिया' नामक एक खास प्रकार की फैगोसाइट कोशिकाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया। फैगोसाइट्स दरअसल बड़े आकार वाली श्वेत रक्त कणिकाएं हैं, जो रोगाणुओं तथा अन्य बाहरी कणों को नष्ट करने का काम करती हैं।
शोध में यह बात सामने आई है कि सामान्य परिस्थितियों में माइक्रोग्लिया दो तंत्रिका कोशिकाओं की मरम्मत का काम करती हैं, जबकि अगर यह एक बार अत्यधिक सक्रिय हो जाए, तो तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट भी कर सकती हैं, जिसके कारण दिमाग में सूजन हो सकता है।
माइक्रोग्लिया के अत्यधिक सक्रिय होने के कारणों में से एक तनाव है, जिसके परिणाम स्वरूप सिजोफ्रेनियाजैसी गंभीर बीमारी का जोखिम बेहद बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं ने इस बात का खुलासा किया है कि जो भी व्यक्ति स्थायी तौर पर तनाव की गिरफ्त में है, उसे मानसिक रोग होने का खतरा सबसे ज्यादा है। यह अध्ययन विज्ञान की पत्रिका 'रूबिन' में प्रकाशित हुआ है।