For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

गर्मियाँ और इस मौसम में होने वाली 5 बीमारियाँ

By Super
|

गर्मियों के आते ही चिल चिलाती धुप और ख़ुश्क मौसम आ जाता है। जैसे जैसे पारा बढ़ता है और लू चलना शुरू होती है वैसे ही बहुत सारी बीमारियां भी आजाती हैं। गर्मियों में सबसे पहले हमारी त्वचा पर असर होता है फिर उसके बाद शरीर पर, अगर समय रहते सावधानी ना बरती जाये तो उसके परिणाम बहुत ही भयंकर हो सकते हैं। तो आइये जाने कुछ ऐसी ही बीमारियाँ और रहें उनसे सावधान रहने के तरीकों के बारे में।

गर्मियों में आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद करने वाले आहार


1. चिकन पॉक्स

1. चिकन पॉक्स

चिकन पॉक्स का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इस रोग को ठीक होने में 10-15 दिन लग जाते हैं। लेकिन इस रोग में चेहरे पर जो दाग पड़ जाते हैं उसे ठीक होने में लगभग 5-6 महीने का समय लग जाता है। यदि इस रोग का उपचार जल्दी ही न किया जाए तो इस रोग के कारण रोगी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।

कारण:- वरिसेल्ला जोस्टर वायरस

लक्षण:- पूरे शरीर में लाल चकत्ते (दाने) और खुजली होना। शरीर में पड़े छालों का फट जाना। बुखार, बदन दर्द और उल्टी आना।

बचाव:- चिकन पॉक्स से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खान-पान का ध्यान रखें। खुले में रखा खाद्य पदार्थ बिल्कुल भी न लें। जब तक यह बीमारी पूरी तरह ठीक ना हो जाये तब तक उस मरीज़ को सबसे दूर रखें क्यों कि यह बीमारी छूने से फैलती है। और अगर हालत ज्यादा ख़राब हो जाये तो तुरंत अपने चिकित्सक से मिले

2. खसरा

2. खसरा

इसे मोजल्स भी कहते हैं। यह छूने से फैलने वाली सामान्य बीमारी है। इसका असर इन्फैक्शन वाले दिन से नहीं, बल्कि उसके कई दिनों बाद होता है।

कारण-: यह बीमारी परायोक्स वायरस से होता है। यह रोग से लड़ने वाली क्षमता (इम्यूनिटी पावर) कम होने पर ही प्रभावित करता है।

लक्षण :- खसरा होने पर शरीर में टूटन, थकान, चिड़चिड़ापन होता है। धीरे-धीरे लाल रंग के दाने पूरे शरीर पर दिखाई पड़ने लगते हैं। बुखार 103 से 104 फा. तक हो सकता है। आंखों में लाली, सूजन, चिपचिपापन, खुजली, पानी निकलना, बेचैनी रहती है।

बचाव:- मरीज़ को रोज ताजे पानी से, बिना साबुन आराम से नहलाएं। ढीले, सूती, सफेद कपड़े पहनाएं तथा उन्हें रोज बदलें। आम तौर पर सभी बच्चों को एमएमआर टीके लगाये जाते है जिसे यह बीमारी जल्दी ठीक होती है।

3. पीलिया

3. पीलिया

पीलिया ऐसा रोग है जो एक विशेष प्रकार के वायरस से होता है। इसमें रोगी को पीला पेशाब आता है उसके नाखून, त्वचा एवं आखों सा सफ़ेद भाग पीला पड़ जाता है बेहद कमजोरी होती है, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि परेशानिया भी रहने लगती है।

कारण:- यह एक प्रकार के वायरस से होने वाला रोग है। जो पहले लीवर में और वहां से सारे शरीर में फ़ैल जाता है

लक्षण:- आँख, मुँह, नाखून और पेशाब में पीलापन। भूख कम और मिचलिया-उबकाईयॉं आती रहती हैं, कुछ मामलों में उल्टी भी हो जाती हैं। कभी पतले दस्त आते हैं, कभी पेट फूल जाता है और मल में बदबू आती है। नब्ज धीमी गति से चलती है। एक मिनट में 30-40 बार तक धीमी हो जाती है। रोगी को नींद नहीं आती और कमजोरी आ जाती है। रोग पुराना हो जाने पर शरीर में भयानक रूप से खुजली हो जाती है।

बचाव:- पानी उबालकर पीना चाहिए| साथ ही पानी की दूषित होने से बचाना चाहिए | चलती फिरते रहने से वायरस का दुष्प्रभाव लिवर पर अधिक पड़ता है इसलिए रोगी को कम से कम चलना फिरना चाहिए। इस रोग में लिवर कोशिकाओं में ग्लाइकोजन तथा रक्त प्रोटीन की मात्रा घट जाती है इसलिए कोई हल्का प्रोटीन भोजन जैसे मलाईरहित दूध या प्रोटीनेक्स, कार्बोहइड्रेट की अधिकता वाला भोजन रोगी को पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए |

4. टाइफाइड

4. टाइफाइड

इफाइड एक खतरनाक बुखार है, यह रोग 2 साल की उम्र से लेकर बड़ों तक में हो जाता है। बीमारी में लगातार बुखार रहना, भूख कम लगना, मुंह का स्वाद बिगड़ना, उल्टी होना, खांसी, जुकाम भी हो सकता है।

कारण:- इस बुखार का कारण 'साल्मोनेला टाइफी' नामक बैक्टीरिया का संक्रमण होता है। यह रोग आंतों पर, हृदय पर, फेफड़ों पर, गुर्दें, मस्तिष्क इत्यादि पर दुष्प्रभाव कर सकता है।

लक्षण :- टाइफाइड सबसे अधिक मुंह के जरिये खाने-पीने की प्रदूषित वस्तुओं से फैलता है। शौच के बाद संक्रमित व्यक्ति द्वारा हाथ ठीक से न धोना और भोजन बनाना या भोजन को छूना भी रोग फैला सकता है। इस स्थिति सिरदर्द व बदन दर्द, भूख में कमी, सुस्ती, कमजोरी और थकान, दस्त होना, सीने के निचले भाग और पेट के ऊपरी भाग पर गुलाबी या लाल रंग के धब्बे (रैशेस) दिखना है।

बचाव:- अपने हाथ थोड़ी-थोड़ी देर में धोते रहें। ऐसा करने से आप इनफेकशन से दूर रह सकते हैं। खास तौर पे खाना बनाते समय, खाना खाते समय और शौचालय के उपयोग के बाद साबुन से अपने हाथ धोयें। कच्चे फल और सब्ज़ियाँ खाने से बचें। ज़्यादातर गर्म खाद्य-पदार्थों का सेवन करें। घर की चीज़ों को नियमित रूप से साफ रखें, टाइफाइड के टीके भी टाइफाइड की रोकथाम में अच्छे साबित हुए हैं।

5. मम्प्स

5. मम्प्स

मम्प्स को गलसुआ के नाम से भी जाना जाता हैं। पेरोटिड ग्रंथियाँ, ये ग्रंथियाँ लार बनाने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं जो चेहरे के दोनों तरफ कान के नीचे व जबड़े की हड्डी के नीचे स्थित होती हैं। यह बीमारी लार के ज़रिए, साँस खीचने या छींकने से फैलती है।

किस कारण से होता है

यह बीमारी पेरोटिड ग्रंथियों में वायरस के संक्रमण से होती है। मम्स के वायरस से संक्रमित मरीज़ पेरोटिड ग्रंथि में सूजन शुरु होने के 7 दिन पहले और 7 दिन बाद तक संक्रमण फैला सकते हैं।

लक्षण:- बुखार, कंपकपी, थकान और पेरोटिड ग्रंथि में दर्द व सूजन शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं। कई बार सूजन सिर्फ एक तरफ की ग्रंथि में ही दिखाई देती है। रोटिड ग्रंथि में सूजन के कारण मरीज़ को मुँह खोलने, बोलने, खाने और पीने में तकलीफ होती है। मम्स से पीड़ित बच्चे कान और पेट दर्द की शिकायत कर सकते हैं।

बचाव:- मरीज़ को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाने की सलाह दी जाती है। फलों के रस नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पेरोटिड ग्रंथि लार बनाने लगती है जिससे सूजन और दर्द दोनों ही बढ़ जाते हैं। एमएमआर टीके लगाये जाते है जिसे यह बीमारी जल्दी ठीक होती है।


English summary

Top 5 summer diseases you should look out for

Summer’s here and with the temperatures soaring, it’s not only the unbearable temperatures that can harm you but a large variety of diseases that can put a damper in your plans. Here are the top 5 diseases you should be vary of this summer
Story first published: Saturday, April 19, 2014, 17:09 [IST]
Desktop Bottom Promotion