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विटामिन ई खाइये और रहिये अल्जाइमर से दूर
आईएएनएस| विटामिन ई की दैनिक खुराक अल्जाइमर के रोगी के कार्य करने की गति को बढ़ा सकता है, तथा रोगी को मदद करने वाले सहायक का समय भी बचा सकता है। शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर के मरीजों में अल्फा टोकोफेरोल और एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी नैदानिक प्रगति को धीमा करने में प्रभावी बताया है। अल्फा टोकोफेरोल, वसा में घुलनशील एक विटामिन (ई) है।
मिनीपोलिस वीए हेल्थ केयर सिस्टम के मौरिस डब्ल्यू. डिस्केन ने कहा, "हमने एसिटाइलकोलिन की क्रिया को रोकने वाले एंजाइम के अवरोधक का सेवन करने वाले अल्जाइमर मरीजों में विटामिन ई एवं मेमैनटाइन की प्रभावशीलता एवं सुरक्षा स्तर को परखा।"
परीक्षण में 14 चिकित्सा केंद्रों से 613 मरीज शामिल हुए। प्रतिभागियों ने प्रतिदिन 2,000 आईयू विटामिन ई या प्रतिदिन 20 ग्राम मेमैनटाइन या विटामिन ई और मेमैनटाइन को संयुक्त रूप से या एक ऐसे मिश्रण का सेवन किया जिसमें किसी तरह की दवा नहीं होती।
चिकित्सा विज्ञान की शोध पत्रिका 'जर्नल ऑफ द अमेरिका मेडिकल एसोसिएशन' (जेएएमए) में प्रकाशित इस अध्ययन में दावा किया गया है कि बिना दवा वाले मिश्रण की अपेक्षा विटामिन ई का सेवन करने वाले मरीजों में कार्यात्मक पतन अपेक्षाकृत धीमा था। अन्य औषधियों ने इस प्रयोग में किसी तरह की चिकित्सकीय प्रगति नहीं दिखाई।
अल्जाइमर से बचना हो तो खाइये ये आहार
आम तौर पर माना जाता है कि अल्जाइमर बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। यह बूढ़ापे का एक आम तथ्य है, यह बीमारी आपके पूरे जीवन को अस्त-व्यस्त कर देगी। अब लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो चली है कि उन्हें अल्जाइमर की बीमारी कम उम्र में भी हो सकती है, इसलिये अच्छा होगा कि आप अपने खान-पान में बहुत सारा विटामिन ई शामिल करें।