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एसिडिटी और सीने में जलन से निजात पाने के लिये करें ये 10 बदलाव
सीने में जलन और एसिडिटी (मेडिकल की भाषा में गैस्ट्रो- एसोफैगल रिफ्लक्स डिजीज - जीईआरडी) गलत खाने की आदतें और जैडा मसालेदार खाने के शौक़ीन लोगों में एक सामान्य बात है| लगभग हर व्यक्ति जो पेट का खट्टापन, सीने में जलन, दर्द और बार-बार पेट ख़राब होने की समस्या से ग्रसित हैं वे जल्दी आराम के लिए एंटासिड पर निर्भर रहते हैं|
हार्टबर्न दूर करे ये 10 फूड
हालाँकि एंटासिड से आपको एक घंटे में ही आराम मिल जाएगा लेकिन इनके साइड-इफेक्ट्स भी हैं जो कि आपके पाचन तंत्र को लंबे समय के लिए प्रभावित करते हैं| यदि आप अपनी लाइफस्टाइल में ये 10 बदलाव लाएं तो आप बार-बार होने वाली एसिडिटी और सीने की जलन की समस्या से निजात पा सकते हैं|
1. स्वास्थ्यप्रद खाना खाएं
यदि आपको बार-बार एसिड की समस्या होती है तो कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिन्हे आपको अपने आहार से हटाना होगा| मसालेदार खाना जैसे समोसे, बर्गर, चिप्स और डेज़र्ट्स और मिठाइयां जैसे चॉकलेट्स, डोनट्स, केक्स आदि एसिडिटी के मुख्य कारण हैं| यदि आपको लगातार एसिडिटी रहती है तो आपको खट्टे फल जैसे ऑरेंज, अंगूर, नींबू आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए क्यों कि एसिड की ज्यादा मात्रा के कारण ये फल आपके लिए ज्यादा नुकसानकारी हो सकते हैं|
2. अपने खाने के तरीके को बदलें
आप क्या खाते हैं इसके साथ ही आप कितना खाते हैं यह भी महत्वपूर्ण है| आपके खाने की मात्रा मुख्य रूप से आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करती है| जिन लोगों के दो बार खाने के बीच ज्यादा अंतराल होता है उन्हें ओवरईटिंग की आदत होती है| ओवरईटिंग से पाचन तंत्र पर दबाव पड़ता है जिसे ज्यादा एसिड बनता है| इसके बजाय आप थोड़े थोड़े अंतराल से तीन या या चार बार खाना खाएं|
3. धीरे खाएं
डाइजेस्टिव डिजीज वीक 2003 में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार जो लोग खाना खाने में 30 मिनट लेते हैं उनमें एसिड रिफ्लक्स 8.5 बार होता है बल्कि जो लोग 5 मिनट में ही खाना खाते हैं उनमें यह 12.5 बार होता है| शोधकर्ताओं के अनुसार ओवरईटिंग से पेट में खाने की मात्रा ज्यादा एकत्रित हो जाती है जो कि ज्यादा एसिड पैदा होने का कारण बनता है
4. खाना खाते ही ना सोएं
अक्सर जब आप देर से खाना खाते हैं तो आप थके हुए होते हैं और 1 घंटे के भीतर ही आप सो जाते हैं| इस आदत को बदलना चाहिए| जब आप सोते हैं तो आपके शरीर की सारी क्रियाएँ धीरे हो जाती हैं| जिससे एसिडिटी जैसी समस्याएं पैदा होती हैं| इसलिए सोने से 2-3 घंटे पहले खाना खाएं|
5. फिट रहें
मोटापा अपने साथ कई बिमारियों को लेकर आता है, एसिडिटी भी इनमें से एक है| न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी के अनुसार जो महिलाएं मोटी हैं उनमें पतली महिलाओं की बजाय एसिडिटी के लक्षण ज्यादा पाएं जाते हैं |
6. पानी ज्यादा पीयें
एसिडिटी होने पर पानी एक अच्छी दवा का काम करता है| यह ना केवल एसिडिटी को ठीक करता है बल्कि इसके पाचन समेत कई स्वास्थ्यकर फायदे हैं| एसिड दूर करने वाली दवाओं के मुकाबले पानी ज्यादा असरकारक है| एक गिलास पानी पिया उनमें 1 मिनट में ही गैस्ट्रिक पी4 (4 से ज्यादा) बढ़ा जब कि एसिड दूर करने वाली दवाओं से इतना ही प्रभाव 2 घंटे में हुआ|
7. चाय से परहेज करें
चाय, कॉफ़ी, कोला आदि कैफीन वाले पेय पदार्थ एसिडिटी का कारण बनते हैं| हालाँकि कॉफ़ी और कैफीन से गैस्टिक पीएच में परिवर्तन होता है इसका कोई प्रमाण नहीं है लेकिन एसिडिटी के पेशेंट्स को पहली बार में ही कैफीन वाले पेय ज्यादा नहीं लेने की सलाह दी जाती है क्यों कि कुछ व्यक्तियों में इसका प्रभाव हो सकता है कुछ में नहीं| इसलिए यदि आपको लगता है कि कॉफ़ी से आपको एसिडिटी की शिकायत होती है तो इससे परहेज करें|
8. एल्कोहल की मात्रा कम लें
कई स्टडीज से पता चला है कि एल्कोहल और एसिडिटी में सीधा सम्बन्ध है| एल्कोहल गैस्टिक म्यूकोज को सीधा प्रभावित करता है| यह भोजन नलिका में एसिड आने का कारण भी बनता है|
9. स्मोकिंग छोड़ें
एसिडिटी से पीड़ित लोगों के लिए सिगरेट जहर के समान है| सिगरेट में निकोटिन होता है जो कि पेट की परत को प्रभावित करता है| यह भी भोजन नलिका में एसिड आने का कारण बनता है|
10. सोने का तरीका बदलें
रात को सोते समय तकिये का इस्तेमाल करने और सिर को ऊँचा रखने से एसिडिटी का प्रभाव कम होता है| एक स्टडी में बताया गया है कि जो लोग सिर ऊँचा करके सोते हैं उनमें एसिड निकलने की सम्भावना (एसिड क्लियरेंस) 67 प्रतिशत होती है| एसिड क्लियरेंस से तात्पर्य पेट के एसिड का भोजन नलिका द्वारा निकलने से है