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जानिये स्वाइन फ्लू व साधारण फ्लू में क्या है अंतर
स्वाइन फ्लू व मौसमी फ्लू सुनने में भले ही एक जैसे लगते हैं लेकिन दोनों बीमारियों में बहुत अंतर है। इस अंतर को समझने के लिए हमें बीमारी के लक्षणों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस तरह हम इस रोग को फैलने से रोक पाएंगे तथा स्वयं को बचाने के लिए उचित कदम उठा पाएंगे।
आपके बहुमूल्य जीवन की हिफाज़त के लिए हम बोल्डस्काई में स्वाइन फ्लू से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी को साझा करेंगे तथा इस लेख के द्वारा इन दोनों बीमारियों के बीच के अंतर को समझाने का प्रयास करेंगे। इन बीमारियों के व इनके लक्षणों के बारे में जानने के लिए इस लेख को आगे पढें।
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए 10 घरेलू उपचार
साधारण फ्लू क्या है?
मौसमी फ्लू वायरस के माध्यम से फैलने वाली एक श्वास प्रश्वास संबंधी बीमारी है जिसमें गला, नाक, श्वासनली व फेफडे प्रभावित होते हैं। आम तौर पर मौसमी फ्लू एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाती है लेकिन अगर इस बीमारी की अवधि लंबी हो जाए तो आपको डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड सकती हैं। गले में खराश, बुखार, नाक का बहना एवं थकान इस बीमारी के लक्षण हैं। हालांकि हमारा शरीर इस तरह के मौसमी फ्लू से परिचित रहता है तथा इससे लड़ने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी पूरी तरह से तैयार रहती है। अतः यह बीमारी कोई विकट रूप धारण करने से पहले ही समाप्त हो जाती है।
मौसमी फ्लू क्या है?
मौसमी फ्लू लगभग 200 प्रकार के फ्लू या सर्दी जैसी बीमारी का कारण बन सकते हैं। इन फ्लू वायरसों को ए, बी व सी नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें से इन्फ्लुएंजा ए सबसे आम प्रकार है एवं H1N1 फ्लू इन्फ्लूएंजा ए की एक किस्म है। यह सबसे घातक वायरस है क्योंकि यह सीधे कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इस रोग से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली भी पूरी सक्षम नहीं है।
स्वाइन फ्लू क्या है?
स्वाइन का मतलब है सूअर व संक्रमित सूअरों के माध्यम से मनुष्यों तक पहुंची इस बीमारी को स्वाइन फ्लू कहते हैं। संक्रमित सूअरों के साथ रहने वाले व्यक्ति स्वाइन फ्लू की चपेट में आ सकते हैं तथा आगे चलकर वे व्यक्ति अन्य लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। इस फ्लू को फैलाने वाले वायरस का नाम H1N1 है। पहली बार यह बीमारी 2009 में अस्तित्व में आई तथा तब से हर साल यह बीमारी कम या अधिक मात्रा में देखने को मिली है। मौसमी फ्लू की तरह स्वाइन फ्लू भी एक श्वास प्रश्वास संबंधी बीमारी है। परंतु यह बीमारी गला, श्वासनली, फेफडों के साथ पेट व आंतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
H1N1 वायरस
इस नए वायरस से निपटने में असक्षम होने के कारण हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इस वायरस को ठीक से पहचान नहीं पाती है। परिणाम स्वरूप H1N1 वायरस बिना किसी प्रतिबंध के बडी आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। गर्भवती महिलाएं, बूढे, बच्चे, इम्युनो कौंप्रमाइस्ड रोगी व स्टेरायडल ड्रग्स लेने वाले व्यक्ति भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। अगर यह बीमारी जल्द पकड में आ जाए तो एंटी वायरल दवाओं व अच्छी देखरेख से व्यक्ति ठीक हो सकता है। इस बीमारी को नज़रअंदाज ना करें चूंकि यह बीमारी रक्त में प्रवेश कर सकती है तथा व्यक्ति की जान भी ले सकती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए बीमारी के लक्षणों पर ध्यान दें व जल्द से जल्द अपने ड़ॉक्टर से संपर्क करें।
यह बीमारी कैसे फैलती है?
सूअर का कच्चा मांस खाने से या संक्रमित सूअरों के साथ रहने से किसी भी व्यक्ति को स्वाइन फ्लू हो सकता है। फिर वह संक्रमित व्यक्ति निम्नलिखित माध्यमों से दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकता है।
खांसने से या छींकने से
एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने से या छींकने से एवं उससे बात करने से आप स्वाइन फ्लू की चपेट में आ सकते हैं। अगर आप संक्रमित व्यक्ति से दो मीटर से भी कम की दूरी पर खडे हैं तब संक्रमित होने का जोखिम बहुत ज्यादा होगा।
स्पर्श से
यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति की लार, कफ व आंखों के श्लेष्मा के संपर्क में आने से फैलती है। अगर एक संक्रमित व्यक्ति अपने श्लेष्मा से संक्रमित हाथों को किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलाता है तो वह भी इस बीमारी की गिरफ्त में आ सकता है।
मरीज की चीजें
क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के श्लेष्मा, लार व कफ में मौजूद होता है। जिस वजह से तौलिया, रूमाल व चादर जैसी मरीज की व्यक्तिगत चीजों के इस्तेमाल से भी स्वाइन फ्लू फैल सकता है। अतः संक्रमित व्यक्ति की श्लेष्मा से संक्रमित किसी भी चीज को छूने से आप इस बीमारी की पकड में आ सकते हैं।
इस रोग को फैलने से कैसे रोकें
इस रोग को फैलने से रोकने के लिए चेहरे पर मास्क पहने, इस तरह आप ड्राप्लेट ट्रांसमिशन से बचे रहेंगे। भीड भाड वाले स्थानों में या संक्रमित क्षेत्रों में यात्रा ना करें। यात्रा करते वक्त हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें तथा इसे अपने हाथों पर कुछ भी खाने से पहले लगाएं। मॉल एवं बसों में संक्रमण से बचना मुश्किल है। इसलिए एहतियात से रहें तथा सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। खाना बनाने से पहले अपने हाथों को अच्छे से धोएं।
भारत में स्वाइन फ्लू टीकाकरण
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए भारत में स्वाइन फ्लू वैक्सीन मौजूद है। यह वैक्सीन हमारी प्रतिरोधक क्षमता को संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है। यह टीका आगामी संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। माना जाता है कि यह टीका फ्लू जैसी बीमारी को रोकने में, इसके प्रभाव को कम करने में तथा फ्लू वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या को घटाने में मदद करता है।
रोगोद्भवन अवधि
यह वह अवधि है जब संक्रमित व्यक्ति बीमारी के लक्षण दिखाने आरंभ करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक संक्रमित व्यक्ति बीमारी की चपेट में आने से 4-6 दिनों के भीतर बीमारी के लक्षणों को दिखाने प्रारंभ करता है। मौसमी फ्लू के मुकाबले स्वाइन फ्लू की रोगोद्भवन अवधि अधिक है।
स्वाइन फ्लू व मौसमी फ्लू के बीच का अंतर
स्वाइन फ्लू व मौसमी फ्लू के लक्षणों के बीच का अंतर बहुत कम है। कई बार इन लक्षणों के बीच के अंतर को पहचानना बहुत कठीन हो जाता है। स्वाइन फ्लू के लक्षण बहुत तीव्र व दर्दनाक होते हैं तथा स्वाइन फ्लू में रोगी दस्त व उल्टी से भी पीडित रहता है जोकि मौसमी फ्लू का लक्षण नहीं है।
बुखार
स्वाइन फ्लू: लगभग 80% H1N1 मामलों में रोगी बुखार से तपता रहता है। बुखार में शरीर का तापमान 101 डिग्री तक पहुंच जाता है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू में हल्का सा बुखार होना सामान्य बात है।
खांसी
स्वाइन फ्लू: H1N1 से पीडित व्यक्ति सूखी खांसी से परेशान रहता है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू में भी व्यक्ति सूखी खांसी से परेशान रहता है लेकिन इसकी तीव्रता बहुत कम होती है।
दर्द
स्वाइन फ्लू: H1N1 में पीडाओं की तीव्रता बहुत अधिक होती है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू में पीडाओं की तीव्रता कम होती है।
बहती नाक/कफ
स्वाइन फ्लू: H1N1 में व्यक्ति को सर्दी रहती है लेकिन वह बहती नाक से परेशान नहीं रहता है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू से परेशान व्यक्ति का नाक हमेशा बहता रहता है।
ठंड लगना
स्वाइन फ्लू: H1N1 से पीडित 80% रोगियों को ठंड बहुत लगती है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू से परेशान व्यक्तियों को हल्की ठंड लगती है।
थकान
स्वाइन फ्लू: H1N1 के रोगियों को बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू में ऊर्जा की कमी के कारण रोगियों को हल्की थकान महसूस होती है।
छींकें
स्वाइन फ्लू: H1N1 के रोगियों को छींकों से कोई समस्या नहीं होती है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू में लगातार आती छींके व्यक्ति को परेशान कर देती हैं।
अन्य लक्षण
स्वाइन फ्लू: संक्रमित व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण 4 से 6 दिनों के भीतर नज़र आ जाते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार, बदन दर्द व थकन शामिल हैं।
मौसमी फ्लू: वायरस से संक्रमित होने के बाद मौसमी फ्लू के लक्षण 1 से 3 दिनों के भीतर नज़र आ जाते हैं। इन लक्षणों में भूख ना लगना, चक्कर आना, उल्टी, मतली व चेहरे का फीका रंग शामिल हैं।
सरदर्द
स्वाइन फ्लू: लगातार सर में दर्द होना H1N1 का एक आम लक्षण है तथा यह लक्षण 80% मरीजों में मौजूद होता है।
मौसमी फ्लू: इस फ्लू में मरीज को हल्का सरदर्द रहता है।
गले में खराश
स्वाइन फ्लू: इस लक्षण की तीव्रता स्वाइन फ्लू के मरीजों में बहुत हल्की होती है।
मौसमी फ्लू: गले में खराश मौसमी फ्लू के मरीजों में एक आम बात है।
सीने में बेचैनी/घबराहट
स्वाइन फ्लू: H1N1 के रोगियों के लिए सीने में बेचैनी बहुत तकलीफदायक होती है।
मौसमी फ्लू: मौसमी फ्लू के रोगियों को भी घबराहट महसूस होती है। यदि इसकी तीव्रता बढती जाए तब आपको फौरन चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।