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ग्रीट टी के खतरे और किसे इसका सेवन करने से बचना चाहिये
पुराने समय से ही ग्रीन टी को हर्बल टी माना जाता है। इसकी सकारात्मक लोकप्रियता के कारण ग्रीन टी का आनंद उठाया जाता है तथा अक्सर इसके दुष्परिणामों को अनदेखा कर दिया जाता है। परन्तु यह समझना महत्वपूर्ण है कि ग्रीन टी की भी कुछ सीमाएं हैं तथा इनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया गया है।
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हालाँकि बहुत अधिक मात्रा में दिन में 5 से अधिक कप ग्रीन टी पीना असुरक्षित माना जाता है। इसमें उपस्थित कैफीन के कारण दुष्परिणाम हो सकते हैं जिनमें से कुछ नीचे बताए गए हैं:
हलके सिरदर्द से लेकर गंभीर सिरदर्द, घबराहट, नींद से संबंधित समस्याएं, उल्टी, डाइरिया, चिडचिडापन, हृदय की धड़कन का अनियमित होना, कंपकपी, हार्टबर्न, चक्कर आना, कानों में घंटी बजना आदि।
किन
लोगों
को
ग्रीन
टी
का
सेवन
नहीं
करना
चाहिए?
ऐसा
देखा
गया
है
कि
यदि
ग्रीन
टी
का
सेवन
अधिक
मात्रा
में
किया
जाए
तो
कई
समस्याएं
हो
सकती
हैं
या
यदि
कोई
व्यक्ति
किसी
बीमारी
से
ग्रसित
है
तो
ग्रीन
टी
उसके
लिए
हानिकारक
हो
सकती
है:
1. पेट की समस्याएं:
ग्रीन टी में उपस्थित टेनिन के कारण पेट में एसिड की मात्रा बढ़ती है जिसके कारण पेट दर्द, जी मचलाना या कब्ज़ की समस्या हो सकती है। अत: जापान और चीन में ग्रीन टी खाली पेट नहीं पी जाती। खाना खाने के बाद या खाने के बीच में ग्रीन टी का सेवन करना अच्छा होता है। ऐसे लोग जिन्हें पेप्टिक अल्सर या एसिडिटी की समस्या हो उन्हें ग्रीन टी अधिक मात्रा में नहीं पीनी चाहिए। चाय गैस्ट्रिक एसिड को शक्तिशाली रूप से उत्तेजित करती है जिसे शक्कर और दूध मिलकर कम किया जा सकता है।
2. गर्भावस्था और स्तनपान:
ग्रीन टी में कैफीन, कैटचिंस और टैनिक एसिड होते हैं। ये तीनों पदार्थ गर्भावस्था के खतरों से जुड़े हुए हैं। यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करवा रही है तो दिन में दो कप ग्रीन टी पीना सुरक्षित माना जाता है। इतनी मात्रा की ग्रीन टी में लगभग 200 ग्राम कैफीन होता है। यद्यपि दिन में दो से अधिक कप ग्रीन टी पीना असुरक्षित होता है तथा इसके कारण गर्भपात का खतरा और नकारात्मक प्रभावों की संभावना बढ़ जाती है।
3. आयरन की कमी:
ग्रीन टी में उपस्थित कैटचिंस के कारण खाद्य पदार्थों में से आयरन के अवशोषण में कमी आ जाती है। यदि आपके शरीर में आयरन की कमी जैसे एनीमिया आदि है तो नेशनल कैंसर इंस्टीटयूट आपको भोजन के बीच में ग्रीन टी पीने की सलाह देता है। यदि आपको ग्रीन टी पसंद है तो आपको ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो अधिक आयरन के अवशोषण में सहायक हों।
4. अधिक चिंता करने वालों को:
ग्रीन टी में उपस्थित कैफीन चिंता को अधिक बढ़ा सकता है।
5. रक्तस्त्राव विकार:
ग्रीन टी में उपस्थित कैफीन के कारण ब्लीडिंग (रक्तस्त्राव) की समस्या बढ़ सकती है।
6. हृदय की स्थिति:
ग्रीन टी में उपस्थित कैफीन के कारण हृदय की धड़कन अनियमित हो सकती है।
7. मधुमेह:
ग्रीन टी में उपस्थित कैफीन ब्लड शुगर (रक्त की शर्करा) को प्रभावित कर सकता है। यदि आपको डाइबिटीज़ है और आप ग्रीन टी पीते हैं तो आपको नियमित तौर पर अपनी ब्लड शुगर का ध्यान रखना चाहिए।
8. डाइरिया और आएबीएस:
यदि ग्रीन टी का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है तो इसमें उपस्थित कैफीन के कारण डाइरिया और आएबीएस के लक्षणों को और अधिक ख़राब कर सकता है।
9. ग्लूकोमा:
ग्रीन टी पीने से आँखों पर दबाव बढ़ता है। यह लगभग 30 मिनिट तक बढ़ता है और कम से कम 90 मिनिट तक रहता है।
10. हाई ब्लड प्रेशर:
ग्रीन टी में उपस्थित कैफीन उन व्यक्तियों में ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है जो हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रसित हैं। हालाँकि यह समस्या उन लोगों में नहीं दिखाई देती जो नियमित तौर पर ग्रीन टी या अन्य किसी ऐसे पदार्थ का सेवन करते हैं जिसमें कैफीन हो।
11. बच्चों को नहीं देनी चाहिए:
ग्रीन टी में उपस्थित टेनिन बच्चों में पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन और फैट के अवशोषण को रोक सकता है। इसमें उपस्थित कैफीन के कारण उत्तेजना भी बढ़ सकती है।
12. लीवर से संबंधित बीमारियाँ:
ग्रीन टी से मिलने वाले रस के संपूरक के कारण लीवर ख़राब होने के कई मामले सामने आए हैं। ग्रीन टी के कारण लीवर से संबंधित बीमारियाँ बढ़ सकती हैं। इसके कारण लीवर की गंभीर बीमारी हो सकती हैं क्योंकि इसके कारण रक्त में कैफीन का स्तर बढ़ जाता है और बहुत समय तक रहता है।
13. ऑस्टियोपोरोसिस:
ग्रीन टी पीने से शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ती है क्योंकि हमारे शरीर से मूत्र के रूप में कैल्शियम बाहर निकल जाता है। कैफीन की एक सीमित मात्रा 300 ग्राम (लगभग 2 से 3 कप ग्रीन टी) का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। कैल्शियम की क्षतिपूर्ति को कैल्शियम के सम्पूरकों का सेवन करके भी दूर किया जा सकता है।