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जड़ी बूटियां लेने के तरीके और इनके साइड इफेक्ट
पुराने जमाने में हमारे दादा-परदादा बाजारू दवाइयां ना खा कर जड़ी बूटियों से बड़ी बड़ी बीमारियां ठीक कर लिया करते थे। यह जड़ी बूटियां औषधीय गुणों से भरी होती हैं। जड़ी बूटियां संक्रमण से लड़ने, खाना हज़म करने, स्नायु को शांत करने, कब्ज़ दूर करने और ग्रंथियों को ठीक से काम करने में मदद देती हैं।
पर कुछ लोगों का दावा है कि जड़ी बूटियों को अगर सही तरीके से ना लिया गया तो यह नुकसान पहुंचा सकती हैं इसलिये इसे कभी भी अपने मन से नहीं लेना चाहिये बल्कि इसे बडी सावधानी से खाना चाहिये। अगर आपने इसे बिना डॉक्टर की सलाह के खा लिया तो यह जहरीली भी साबित हो सकती हैं।
जड़ी-बूटियों में पाए जाने वाले रासायनिक यौगिक तत्त्व से दिल की धड़कन, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज़ के स्तर में बदलाव आ सकता है। इसलिए जिन्हें दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, या फिर डायबिटीज़ जैसी ब्लड-शुगर की समस्याएँ हैं, उन्हें जड़ी-बूटियों के मामले में खास तौर पर सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
जड़ी-बूटियाँ कैसे ली जा सकती हैं
आप इसे लनेको प्रकार से ले सकते हैं, जैसे काढ़े के रूप में जिसमें उबलते हुए पानी में जड़ी बूटियों को डाल कर काढा तैयार किया जाता है। दूसरा तरीका है टिंचर और तीसरा तरीका है पुलटिस, जिसे कई तरीकों से तैयार किया जाता है। उन्हें अकसर शरीर के घावों या ऐसे अंगों पर लगाया जाता है, जहाँ दर्द रहता है।
आज कल जड़ी बूटियां कैप्सूल के रूप में भी आने लगी हैं जिसे खाने से जीभ का स्वाद भी नहीं बिगड़ता। कई विदेशी और होम्योपैथी दवा लेने से पहले कुछ खाना अनिवार्य है लेकिन जड़ी बूटियों को आप खाली पेट भी खा सकते हैं।
जड़ी
बूटियों
के
साइड
इफेक्ट
आम
तौर
पर,
जड़ी-बूटियों
से
ज़्यादा
साइड
इफेक्ट्स
नहीं
होते,
बस
कुछ
एलर्जी
होती
है।
जैसे
सिरदर्द,
चक्कर
आना,
उल्टी
आना
या
खाज
उठना,
वगैरह।
यह
भी
कहा
जाता
है
कि
जड़ी-बूटियाँ
लेने
से
फ्लू
होता
है
और
दूसरे
लक्षण
नज़र
आते
हैं
जिससे
बीमारी
कुछ
समय
के
लिए,
पहले
से
बदतर
होती
दिखायी
देती
है।
इसलिए जड़ी-बूटियाँ लेने वाले की हालत, ठीक होने से पहले शायद और बिगड़ती हुई नज़र आए। अकसर कहा जाता है कि इलाज की शुरूआत में, शरीर से ज़हरीले पदार्थों के निकलने की वजह से ऐसा असर होता है। गंभीर बीमारियों में भी जड़ी बूटियों की सही खुराख लेनी चाहिये, इसे कभी भी ज्यादा ना लें।