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स्वाइन फ्लू कैसे व किसे हो सकता है?

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(आईएएनएस)| स्वाइन फ्लू एच1 एन1 वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमणजन्य रोग है जो किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को हो सकता है। यह वायरस दूषित वातावरण, दूषित वायु एवं श्वास-प्रश्वास के माध्यम से संक्रमित होता है।

देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने स्वाइन फ्लू के प्रति लोगों में जागरूकता के लिए इसके लक्षण और इससे बचाव के कुछ तरीके बताए हैं-

READ: स्‍वाइन फ्लू के लक्षण पहचानिये

स्वाइन फ्लू के लक्षण-

संक्रमण होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, ठण्ड लगना, कंपकपी, गले में खरास, छींक आना, नाक से लगातार पानी बहना, सांस लेने में कठिनाई, थकान इत्यादि हैं।

READ: स्वाइन फ्लू से बचने के लिए 10 घरेलू उपचार

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आयुर्वेद के अनुसार इस ऋतु-सन्धि काल में श्वास, काश एवं कफ व्याधियों की सम्भावना ज्यादा रहती है, इसलिए इसी हिसाब से सावधानी बरतनी होगी।

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उन व्यक्तियों को अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है जिन्हें बार-बार सर्दी जुकाम होता है।

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जिन्हें मौसमी एलर्जी, एलर्जिक अस्थमा या एलर्जिक रिनाइटिस की समस्या हो उन्हें विशेष रूप से सावधान रहने की आवश्यकता है।

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स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। पीड़ित व्यक्ति के प्रयोग में लाए जाने वाले वस्त्र तौलिया, रूमाल, बर्तन आदि को साफ रखें, उनका उपयोग अन्य लोग न करें। खांसते-छींकते समय मुंह ढके रखें, रूमाल का प्रयोग करें।

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बचाव हेतु नियमित प्राणायाम करें। सम्भव हो तो नियमित हवन (यज्ञ) भी करें।

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गन्दगी, संक्रमणयुक्त स्थान एवं पीड़ित व्यक्तियों के घरों के आसपास हवन अवश्य करें। सार्वजनिक, सामूहिक रूप से हवन अवश्य करें।

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कपूर, लौंग, गुड़ का बूरा, नीमपत्र, जावित्री, तिल, घी का हवन अत्यन्त लाभकारी।

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दालचीनी चूर्ण शहद के साथ अथवा दालचीनी की चाय लाभदायक।

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तुलसी पत्र, कालीमिर्च उबाल-छानकर पिएं। दिन भर सामान्य जल की जगह तुलसीयुक्त गुनगुने जल का सेवन करें।

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हल्दी इस रोग में विशेष लाभकारी है। नियमित हल्दी युक्त दूध अथवा हल्दी, सेंधानमक, तुलसी पत्र पानी में उबालकर पीना भी फायदेमन्द है।

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लेमन टी, प्रज्ञापेय (बिना दूध का) या ब्लैक टी में नींबू की कुछ बूंदें डालकर पिएं।

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तरल आहार का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। ठण्डा, गरम एक साथ न लें, विरुद्ध आहार-विहार से बचें।

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विटामिन सी से भरपूर आहार लाभदायक है। आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है।

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आयुर्वेदिक औषधि 'षडंग पानीय' उबालकर पिएं। यह बाजार में तैयार भी मिलती है।

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पसीना आने पर तुरन्त कपड़े न निकालें, न ही तुरन्त पंखे या ठण्डे जल का प्रयोग करें।

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नमकयुक्त गुनगुने जल से स्नान लाभदायक है।

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दूषित जल व दूषित अन्न का प्रयोग न करें, बासी और गरिष्ठ भोजनों से बचें।

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गिलोय, कालमेध, चिरायता, भुईं-आंवला, सरपुंखा, वासा इत्यादि जड़ी-बूटियां लाभदायक हैं।

English summary

swine flu symptoms and precautions

Here are some symptoms of swine flu. One can prevent infection by maintaining basic hygiene and wearing a proper surgical mask during flu season.
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