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चिकनगुनिया बुखार – यह मलेरिया या डेंगू से किस तरह अलग है?
क्या आपने कभी सोचा है कि चिकनगुनिया के बुखार और डेंगू के बुखार में क्या अंतर है? क्या आप जानते हैं कि जो लक्षण आप में दिखाई दे रहे हैं वे मलेरिया, डेंगू या चिकनगुनिया के नहीं हैं। हमारे कुशल चिकित्सक आपको चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षणों में अंतर बताएँगे।
डॉक्टर के अनुसार 'चिकनगुनिया भी उसी प्रजाति के मच्छरों से होता है जिनसे डेंगू होता है। हालाँकि डेंगू तथा चिकनगुनिया के लक्षण लगभग समान हैं परन्तु चिकनगुनिया में बहुत अधिक बुखार और शरीर में दर्द होता है, विशेष रूप से मांसपेशियों तथा जोड़ों में। इसी प्रकार का दर्द आर्थराइटिस के रोगियों में देखा जाता है।
इसके अलावा रोगी को जोड़ों में दर्द के साथ साथ जोड़ों में ऐंठन भी महसूस होती है जो दर्द को मिटाने वाली दवाईयां लेने से भी दूर नहीं होती। गंभीर मामलों में रोगी जोड़ों की जकड़न और दर्द के कारण किसी प्रकार की हलचल नहीं कर पाता।’ चिकनगुनिया एक महामारी है जिसका अर्थ यह है कि यह एक बड़ी आबादी को प्रभावित करती है तथा यदि संक्रमित मछर एक व्यक्ति को काट लेता है तो इस बात की संभावना बहुत अधिक होती है कि सम्पूर्ण सोसायटी इससे प्रभावित हो जाए। अत: देखभाल से अच्छा है कि सावधानी बरती जाए।
दर्द की अवधि में अंतर भी एक अन्य लक्षण है जो डेंगू तथा चिकनगुनिया में अंतर बताता है। डेंगू के विपरीत चिकनगुनिया में दो से तीन सप्ताह तक जोड़ों में दर्द होता है तथा यदि स्थिति अधिक गंभीर हुई तो जोड़ों का दर्द छह महीने तक रह सकता है।
बहुत कम मामलों में बीमारी का इलाज होने के बाद भी मरीज़ को लगभग एक वर्ष तक जोड़ों में दर्द की समस्या बनी रहती है। उदाहरण के लिए चिकनगुनिया के 100 मामलों में से 90% मामलों में मरीज़ तीन से चार महीनों में ठीक हो जाते हैं जबकि 10% प्रतिशत मरीज़ लगभग छह महीने से एक वर्ष तक पॉलिअर्थ्राल्गिया (बहुत से जोड़ों में दर्द) से प्रभावित रहते हैं। अत: मच्छरों के पसंदीदा स्थान पर उन्हें बढ़ने से रोकें तथा मच्छरों से छुटकारा पायें।
जहाँ चिकनगुनिया और डेंगू वायरस के कारण होता है वहीं मलेरिया परजीवियों से होने वाला संक्रमण है। इसके अलावा मलेरिया में मुख्यत: लिवर (गुर्दा) और लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला होता है। जबकि चिकनगुनिया और डेंगू में संक्रमण का स्थान आंतरिक कोशिकाएं रहती हैं। इसका अर्थ यह है कि चिकनगुनिया के मामले में श्लेष झिल्ली (जोड़ों में उपस्थित झिल्ली) प्रभावित होती है जो प्रतिरक्षा को लक्षणों के लिए उत्तेजित करती है।