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बड़ी बड़ी बीमारियों को चुटकियों में ठीक करे जोंक थेरेपी
लीच थेरेपी यानि जोंक चिकित्सा को प्राचीन काल से ही इस्तेमाल किया जाता है। उन्नीसवीं सदी की शुरूआत में यह थेरेपी उच्चतम लोकप्रियता पर पहुँच गई थी। लेकिन बींसवी सदी में लोगों के बीच इसका क्रेज नहीं रहा।
आधुनिक विज्ञान ने इसकी ओर ध्यान नहीं दिया और तर्क के आधार पर चिकित्सा करनी शुरू की दी। लेकिन हाल ही में कुछ शोधकर्ताओं ने पाया यह चिकित्सा पद्धति काफी स्वास्थ्यकारी है।
इस उपचार विधि को हिरदुथेरेपी के नाम से जाना जाता है।लीच थेरेपी को हृदय रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। लीच यानि जोंको के द्वारा निकलने वाली लार से शरीर का रक्त पतला होता है और रक्त का थक्का नहीं जमता है। यह शरीर में रक्त का संचार अच्छा कर देता है और संयोजी ऊतकों में दर्द के लिए संवेदनशीलता को बढ़ाता है।
वैकल्पिक चिकित्सा की समीक्षा में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जोंक चिकित्सा, सूजन और पैर दर्द में भी लाभकारी होती है और त्वचा के मलिनकरण को भी कम कर देती है।
अगर पैरों में गहरी नसों में रक्त का थक्का जम जाता है तो इससे सही हो जाता है। बस, प्रभावित हिस्से में चार से पांच जोंक को चिपका दिया जाता है और उन्हें काटने दिया जाता है।
बहुत सारे चिकित्सकों का मानना है कि लीच थेरेपी, सर्जरी के बाद टिश्यू को हेल्दी बनाएं रखने के लिए भी अच्छी रहती है। जोंक की लार की मदद से रक्त पतला बना रहता है और शिराओं में घनापन नहीं हो पाता है।
दर्दनाक चोंटों और पुनर्निर्माण सर्जरी के फलस्वरूप होने वाली सूजन में भी यह थेरेपी कारगर होती है। शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि यह कैंसर ड्रग के रूप में भी उपयोगी हो सकती है।
लीच यालि जोंक की लार में घिलाटेन नामक घटक पाया जाता है जो विभिन्न प्रकार के ट्यूमर की ग्रोथ को रोक देता है। साथ ही इसकी लार में पेप्टाइड भी होता है जिसे हीरूडिन कहा जाता है जो काफी बेहतर एंटीकोग्लुएंट होता है और इसमें कैंसर-विरोधी गुण भी होते हैं। अचानक से होने वाले बहरेपन, सूजन और टिटनेस में भी यह लाभकारी होती है।
अनुसंधान आयुर्वेद के जर्नल में प्रकाशित लेख के अनुसार, जब लीच थेरेपी को रोगी की टांग पर शुरू किया जाता है जो गठिया की समस्या में उसे काफी लाभ मिलता है। हालांकि, इसे बेहद सावधानी से करने की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके काफी साइडइफेक्ट भी होते हैं। इससे त्वचा पर दाग पड़ सकता है, फफोले पड़ सकते हैं और वहां पर घाव भी हो सकता है।