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जानें, हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के दुष्प्रभावों के बारे में
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं होती है और वो परेशान हो जाती हैं। वजन बढ़नाए हड्डियों का कमजोर होना, गुस्सा आना आदि समस्याएं इस फेज़ में होती हैं।
कई महिलाएं इन समस्याओं से बचने के लिए हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाती हैं जो कि सही विकल्प नहीं है। हाल ही में हुए अध्ययन में, इसके कई सारे साइड इफेक्ट बताएं गए हैं जो कि इसको न करवाने की सलाह देते हैं।
रिसर्च
के
अनुसार,
पाया
गया
है
कि
इन
हारमोन्स
को
रिप्लेस
करवाने
से
शरीर
को
प्राकृतिक
रूप
से
नुकसान
पहुँचता
है।
ये
आर्टिफिशियल
हारमोन्स
महिलाओं
को
वीक
बना
देते
हैं
और
ये
शरीर
के
लिए
सुरक्षित
भी
नहीं
होते
हैं
क्योंकि
ये
सिंथेटिक
हारमोन
होते
हैं।
प्राकृतिक हारमोन शरीर से ही निकलने वाले होते हैं जिनके स्त्रावित होने पर शरीर उन्हें झेलने के लिए तैयार रहता है और इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है। हालांकि, इन हारमोन्स को देने से पहले शरीर की बकायदा जांच कर ली जाती है कि इन्हें आपको कितनी मात्रा में देना है।
साथ
ही
शरीर
की
क्षमता
भी
पता
चल
जाती
है
कि
किसे
कितनी
मात्रा
में
डोज
देना
है।
कई
महिलाओं
को
टेस्टिंग
के
द्वारा
ही
पता
चलता
है
कि
उन्हें
ये
हारमोन्स
स्यूट
नहीं
करेंगे
और
उन्हें
ऐसा
करवाने
से
रोक
दिया
जाता
है।
रिसर्च से ये भी साबित हुआ है कि कुछ स्थितियों में लोगों को स्तन कैंसर होने का खतरा भी हो जाता है। कई महिलाओं को इस थेरेपी को करवाने के बाद गर्भाशय, लिवर और दिल में समस्या भी हो चुकी है।
अत: सभी महिलाओं को इस थेरेपी को लेने से पहले पूरी तरह से परीक्षण करवाने की सलाह दी जाती है। जिन महिलाओं की ये थेरेपी चल रही होती है कई बार उनका मूड स्विंग भी हो जाता है और उन्हें वेजिना में ब्लीडिंग भी होने लगती है।
अगर आपको इस बारे में ज्यादा जानकारी लेनी है तो अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें या इसे करवाने के बाद कोई समस्या होने पर भी अपने डॉक्टर से ही परामर्श करें।