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जीका वायरस: जो करता है बच्चों के दिमाग का शिकार
दुनिया भर में कितने ही वायरस और फ्लू हैं जिनका इलाज अभी तक नहीं खोजा जा सका है। इस पर एक और जीका नामक वायरस धीरे-धीरे दुनिया को अपनी चपेट में लेता हुआ नज़र आ रहा है।
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जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलता है। यह मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी फैलाने के जिम्मेदार हैं। इस वायरस की सबसे ज्यादा शिकार गर्भवती महिलाएं होती हैं, जिसमें वे ऐसे शिशुओं को जन्म देती हैं जिनका ब्रेन पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और सिर छोटा रह जाता है।
अब तक जीका वायरस अमेरिका और ब्राजीन के कई देशों में फैल चुका है। अगर इस वायरस का कोई तोड़ ना निकला तो भारत पर भी खतरे की घंटी जल्द ही बज सकती है।
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डब्ल्यूएचओ ने इससे बचाव के लिए उपाय सुझाए हैं। आइये जानते हैं कहां से आया यह वायरस और इससे बचाव के क्या तरीके हो सकते हैं:
एक बंदर से फैला यह वायरस
जीका वायरस का पहला मामला 1947 में यूगांडा में पाया गया था। जहां जीका नामक जंगलों में बंदरों के अंदर यह वायरस पाया गया था। जीका के पहले मरीज़ का मामला सन 1954 में नाइजीरिया में सामने आया था। अब यह जानलेवा वायरस दुनिया के अलग अलग हिस्सों में फैल रहा है।
ब्राजील और साउथ अमेरीका में फैल चुका है
दिसंबर 2015 में लैटिन अमेरिकी देश प्यूर्टो रिको में इसका पहला लक्षण दिखा। ब्राजील में कई गर्भवती महिलाएं जीका वायरस के चपेट में पाई गई हैं। आज यह वायरस ब्राजील समेत अमेरी के 23 देशों में फैल चुका है।
एक मच्छर कैसे फैलाता है वायरस
अगर किसी व्यक्ति को इस वायरस से संक्रमित मच्छर काट लेता है तो उस व्यक्ति में इसके वायरस आते हैं। इसके बाद जब कोई और मच्छर उन्हें काटता है तो उस मच्छर में फिर से यह वायरस प्रवेश कर जाता है। इस तरह से यह वायरस एक जगह से दूसरी जगह फैल जाता है।
बच्चों का है दुश्मन
अगर गर्भवती महिलाएं इस वायरस के चपेट में आ गईं तो उनके पेट में पल रहा शिशु भी नहीं बच सकता। यह वायरस बच्चों के ब्रेन का विकास रोक देता है जिससे उनका सिर छोटा ही रह जाता है। हो सकता है कि बच्चे की मौत भी हो जाए। ब्राजील में यह वायरस काफी तेजी फैल चुका है। यहां पर छोटे सिर वाले बच्चों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है।
लक्षणों की कैसे करें पहचान
इसके लक्षणों का पता संक्रमित मच्छर के काटने के 10 दिन बाद लगता है। अगर सिरदर्द, हल्का बुखार, सर्दी, लाल आंखें, जोड़ों और मासपेशियों में दर्द और शरीर पर लाल रंग के चक्त्ते दिखें तो तुरंत ही डॉक्टर के पास जाएं। हर पांच में से एक के ही लक्षण दिखते हैं और बाकी को तो इसके लक्षण पता भी नहीं चलता।
नहीं है कोई इलाज
इस वायरस का मुकाबला करने के लिए कोई उपचार या टीका नहीं बना है। रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस वायरस का टीका बनने में समय लगेगा, हो सकता है कि इसका टीका अगले साल या फिर कुछ लंबे वक्त के बाद आए। ऐसा इसलिये क्योंकि यह वायरस अचानक से इतनी तेजी के साथ पैदा हो गया कि इसके टीके के लिये वैज्ञानिकों ने कभी सोचा ही नहीं। हालाकि अब रिसर्च तेज हो गई है।
कैसे आ सकात है भारत में यह वायरस
ब्राजीन में यह वायरस अपने चरम पर है, वहां पर लगभग 1500 भारतीय रहते हैं। अगर कोई भी भारतीय जिसे यह वायरस संक्रमित कर चुका है, अपने देश वापस लौट कर आए तो हो सकता है कि वह अपने साथ इस वायरस को भी ले आए। एक बार अगर यह वायरस किसी को हो जाए तो आराम से यह दूसरे में भी फैल सकता है। कोई भी वायरस शरीर में लगभग 10 दिनों तक जिंदा रह सकता है।
कैसे रोंके जीका वायरस
जीका से बचने के लिये कोई दवाई नहीं है इसलिये अच्छा होगा कि आप अच्छी तरह से रोकथाम के उपाय अपनाएं। मच्छरदानी, मॉस्किटो रैपलेंट का उपयोग करें, घर में और आस-पास सफाई रखें और गंदा पानी जमा ना होने दें।