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ऑस्टियोपोरोसिस से लड़ने के तरीके
ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि कैल्शियम से हड्डियाँ मजबूत होती हैं। लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस से लड़ने के एक दर्जन से ज्यादा तरीके हैं। ऑस्टिओपोरेसिस एक सशुप्त स्थिति है जब हड्डियाँ पतली होकर टूट सकती हैं, पीठ और गर्दन में दर्द हो सकता है और समय के साथ लगभग 6 इंच तक लम्बाई कम हो सकती है। महिलाओं और पुरुषों दोनों में ऑस्टियोपोरोसिस हो सकती है लेकिन यह महिलाओं में ज्यादा पाया जाता है और विशेषकर रजोवृत्ति के बाद। अमरीका में 50 वर्ष से अधिक उम्र वाली पाँच में से एक महिला में यह बीमारी पाई जाती है।
रोकथाम के तरीके अपनाना महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ज्यादातर ऑस्टिओपोरेसिस ग्रस्त लोगों को फ्रैक्चर हो जाने के बाद बीमारी का पता चलता है। उम्र के साथ-साथ हड्डियों का कमजोर होना सामान्य बात है। मगर जब यही हड्डियाँ इतनी कमजोर हो जाएँ कि आसानी से टूटने की कगार पर पहुँच जाए उस स्थिति को ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम के लिये व्यायाम सबसे महत्वपूर्ण अवयवों में से एक है। रोगी को हफ्ते के पाँच या छः दिन व्यायाम करना चाहिये जिसमें कि 30 मिनट की कसरत तथा शक्ति प्रदान करने वाले, दोनो प्रकार के व्यायाम सप्ताह में दो से तीन बार करना चाहिये।
नमक को कम करें
नमक के कारण मूत्र और पसीने में कैल्शियम का उत्सर्जन बढ़ जाता है, जिससे यदि आपमें कैल्शियम की कमी है तो हड्डियाँ गलना शुरू हो जाती हैं। अनुसंधान इस ओर इशारा करते हैं कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों के मूत्र में कैल्शियम ज्यादा उत्सर्जित होता है।
कैफीन को सीमित करें
कैफीन कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित करता है, इसलिये सोडा, कॉफी या चॉकलेट जैसी कैफीन युक्त वस्तुओं का सेवन सीमित रूप से करना चाहिये।
धूम्रपान न करें
धूम्रपान फ्रैक्चर के ठीक होने की प्रक्रिया को धीमा करता है और शरीर में हड्डी बनाने की प्रक्रिया को कम करता है। जब आप धूम्रपान नहीं करते हैं तो आप तुरन्त ही अपनी हड्डियों का शक्तिवर्धन करते हैं और चोट से उबरने में सक्षम होते हैं।
कैल्शियम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार एक वयस्क को प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। और यह मात्रा 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं तथा 70 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले पुरुषों में बढ़कर 1,200 मिलीग्राम तक हो जाती है।
विटामिन डी
विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण, उसको बनाये रखने तथा उसके उपयोग में सहायक होता है। सूरज की रोशनी से शरीर में विटामिन डी बनने की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है और पोषक के अवयवों में विटामिन डी के महत्वपूर्ण स्रोतों में दूध, सन्तरे का रस और नाश्ते के अनाज शामिल हैं।
सोडा की मात्रा पर ध्यान दें
कुछ विशेषज्ञ यह बात कहते हैं कि जो लोग सोडा ज्यादा पीते हैं वे दूध के उत्पादों का सेवन कम करते हैं।
दवाओं के सेवन पर नजर रखें
कुछ दवाओं के सेवन से ऑस्टिओपोरेसिस होने की समभावना बढ़ जाती है। मुख्य रूप से प्रेड्निसोन जैसी दर्दनाशक कॉर्टिकोस्टेरिड दवा जिम्मेदार मानी जाती है जो हड्डियों को कमजोर बनाती है।
शराब की मात्रा सीमित करें
वास्तव में प्रतिदिन दो बार सीमित मात्रा में शराब के सेवन से फ्रैक्चर होने की सम्भावना कम होती है लेकिन इस मात्रा से ज्यादा सेवन से कैल्शियम अवशोषण तथा कैल्शियम के भण्डार में कमी आ जाती है और हड्डियों के निर्माण में सहायक ईस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है।