For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

महिलाओं को अबॉर्शन से जुड़ी ये बातें जाननी है बेहद जरुरी

एक बार यदि अबॉर्शन हो जाये, तो अगली बार प्रेग्‍नेंसी से पहले प्लानिंग और कुछ सावधानियों का होना बहुत जरूरी है।

|

Abortion's Side- Effects |गर्भपात के दुष्प्रभाव | Boldsky

कुछ महिलाएं अबॉर्शन जैसा कदम इसलिए उठाती है , क्योंकि वे गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होती हैं, जबकि कुछ महिलाएं किसी शारीरिक समस्या की वजह से भी यह ठोस कदम उठाती है। अगर कोई महिला गर्भवती है और वह बच्चा नहीं चाहती है तो गर्भ के 20 हफ्तों तक गर्भपात कराना भारत में कानूनी तौर पर मान्य है।

1 महीने के अंदर घर पर ऐसे करें प्राकृतिक गर्भपात1 महीने के अंदर घर पर ऐसे करें प्राकृतिक गर्भपात

अगर आप भी किसी अनचाहे गर्भ के बारे में सोच कर परेशान हैं या फिर आप गर्भपात से जुड़ी टेक्नीकल बातें जानना चाहती हैं, तो फिर गर्भपात की इस आसान गाइड को जरूर पढ़िए, क्योंकि भारत में हर दो घंटे में एक महिला की मृत्यु असुरक्षित गर्भपात की वजह से होती है।

गर्भपात के बाद फर्टिलिटीगर्भपात के बाद फर्टिलिटी

लेकिन एक बार यदि अबॉर्शन हो जाये, तो अगली बार प्रेग्‍नेंसी से पहले प्लानिंग और कुछ सावधानियों का होना बहुत जरूरी है।

वैसे अबॉर्शन पर है रोक

वैसे अबॉर्शन पर है रोक

पुरूष प्रधान समाज में बेटे की चाह रखने वाले परिवार अक्‍सर अबॉर्शन का कदम उठाते हैं। इसलिए हमारे देश में कन्‍या भ्रूण हत्‍या और घटते लिंगानुपात को सामान्‍य स्‍तर पर लाने के लिए अबॉर्शन पर रोक लगा दी है। लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में युवतियों व महिलाओं को बिना परेशानी के अबॉर्शन कराने का अधिकार है, जो हैं :

- अगर युवती या महिला जबरदस्ती किसी के यौन शोषण का शिकार हुई है और वह इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती तो उसे अबॉर्शन करवाने का पूरा अधिकार है।

- यदि इस से महिला या युवती के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो।

- अगर यह पता लगे कि गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा और उसे 9 माह तक गर्भ में रखना सही नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी अबॉर्शन् करवाया जा सकता है। इसे डॉक्टरी भाषा में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी कहते हैं।

 क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी ?

क्या है मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी ?

एमटीपी प्रक्रिया, जिस में डॉक्टर की देखरेख में अबॉर्शन को अंजाम दिया जाता है, को हर डाक्टर अंजाम नहीं दे सकता। सिर्फ अनुभवी गाइनोकोलॉजिस्ट या सिर्फ वे डाक्टर्स जिन्होंने एमटीपी की ट्रेनिंग ली होती है, इसे अंजाम दे सकते हैं, क्योंकि वे जरूरत पड़ने पर अपने अनुभव के बल पर स्थिति को संभाल सकते हैं।

2 तरीके से होता है अबोर्शन

2 तरीके से होता है अबोर्शन

पिल्‍स - इस तरीके से अबाॅर्ट करने के लिए सब से पहले यह देखा जाता है कि कितने माह का गर्भ है। अगर गर्भ 6 से 8 सप्ताह के बीच है तो उसे पिल्स द्वारा रिमूव किया जा सकता है और इस का पता लगाने के लिए डॉक्‍टरअल्ट्रासाउंड करता है।

एमटीपी पिल डाक्टर की सलाह पर ही दी जाती है। यह पिल असल में गर्भाशय से पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है।

सर्जरी से -इसमें बेहोश करके अबॉर्शन किया जाता है। इसे तब किया जाता है जब 8 सप्ताह से ज्यादा का गर्भ हो चुका होता है, क्योंकि इसके बाद पिल्स असर नहीं करतीं। इसे डाइलेशन ऐंड क्रूटेज प्रोसैस कहते है। इस में आप डाक्टर्स की देखरेख में रहते हैं और आप को प्रॉपर केयर मिलती है। इसे सेफ प्रोसेस माना जाता है।

एक्‍सपर्ट के नजरों में करवाएं सर्जरी

एक्‍सपर्ट के नजरों में करवाएं सर्जरी

गर्भपात के लिए कैमिस्ट बिना पूछे दवाई लेना हानिकारक होता है क्योंकि उन्हें आप की इंटरनल स्टेज के बारे में तो पता नहीं होता, इसलिए जटिलताएं होने का भय है। इस से आप की जान भी जोखिम में पड़ सकती है। कभी कभी ओवर ब्लीडिंग होने से सिचुएशन आउट ऑफ कंट्रोल भी हो सकती है। इसलिए जरूरी है डाक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें।

अबॉर्शन के बाद इन बातों का ध्‍यान रखें-

अबॉर्शन के बाद इन बातों का ध्‍यान रखें-

- इस दौरान भारी चीजें उठाने व झुकने वगैरा से थोड़े समय तक परहेज करना चाहिए।

- किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन भूल कर भी न करें.

- डाइटिंग न करें, क्योंकि इस दौरान लंबे समय तक भूखे रहना सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

- तुरंत सेक्‍स न करें, खुद को थोड़ा समय दें, क्योंकि कई बार ऐसा करने से दोबारा प्रैग्नैंसी का खतरा बन जाता है।

- इस समय आप जितना अच्छा खाएंगी व अच्छा सोचेंगी उतनी ही जल्दी फिट हो पाएंगी।

पीसीओडी का बनता है कारण

पीसीओडी का बनता है कारण

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) महिलाओं में ऐसी अवस्था है जिसमें इन्सुलिन लेवल बढ़ जाता है। इस कारण ओव्यूलेशन में कमी, अनियमित मासिक और पुरुषों के हॉर्मोन की वृद्धि होने लगती है। पीसीओडी, मोटापा और इन्फर्टिलिटी सीधे एक दूसरे से संबंधित हैं। पीसीओडी से पीड़ित कुछ किलो वजन घटा कर प्रेग्‍नेंट हो सकती है।

गर्भपात के बाद प्रेग्‍नेंसी ?

गर्भपात के बाद प्रेग्‍नेंसी ?

कई महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के बाद संशय रहता है कि वो दुबारा प्रेग्‍नेंट हो सकती है या नहीं? एक गर्भपात के बाद दोबारा गर्भवती होने की संभावनाओं पर चिंतित होना स्वाभाविक है। पर सच्चाई यह है कि अगर अनुभवी डॉक्टर की उपस्थिति में गर्भपात किया गया हो तो खतरे की संभावना बेहद कम रहती है।

English summary

Things You Should Know Before You Have An Abortion

An abortion is an irreversible medical procedure. There are different abortion procedures depending on how far along you are in this pregnancy. Each procedure has medical risks and side affects.
Desktop Bottom Promotion