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क्यों करें एक ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा का इस्तेमाल
गणेश चतुर्थी की तैयारियों के दौरान एक ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा को चुनना बहुत जरूरी है। आम तौर पर बाज़ार में मिलने वाली गणेश प्रतिमाएँ प्लास्टर ऑफ पेरिस की बनी होती हैं।
हालांकि ये मूर्तियां दिखने बहुत आकर्षक होती हैं लेकिन ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा के चयन के पीछे एक कारण छुपा है। ये प्रतिमाएँ आपके स्वास्थ्य या पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।
चूंकि गणेश प्रतिमा को पानी में विसर्जित किया जाता है इसलिए जैव वस्तुओं से बनी प्रतिमाओं का उपयोग करना सुरक्षित होगा। प्लास्टर ऑफ पेरिस की तुलना में मिट्टी या कागज से बनी मूर्तियों का चयन करना बेहतर होगा।
मिट्टी
से
बनी
प्रतिमाएं
पर्यावरण
को
हानि
नहीं
पहुंचाती
एवं
ये
पानी
में
जल्द
डूब
जाती
हैं।
यदि
आपको
ईको-फ्रेंडली
गणेश
प्रतिमा
को
बनाना
नहीं
आता
है
तो
आप
इस
तरह
की
मूर्ति
को
किसी
दुकान
से
खरीद
सकते
हैं।
ईको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमा को इस्तेमाल करने के कारण
1.
इससे
जल
प्रदूषण
को
रोका
जा
सकता
है
प्लास्टर
ऑफ
पेरिस
में
कई
तरह
के
रसायन
होते
हैं
जो
पानी
को
जहरीला
बना
सकते
हैं।
अतः
यह
पानी
जलीय
जीवों
की
मृत्यु
का
कारण
बन
सकता
है।
इतना
ही
नहीं,
यह
दूषित
पानी
मनुष्य
के
लिए
भी
खतरनाक
साबित
हो
सकता
है।
2.
खतरनाक
रसायन
पेरिस
ऑफ
प्लास्टर
में
सल्फर,
फास्फोरस,
जिप्सम,
मैग्नेशियम
जैसे
कई
रसायन
होते
हैं
एवं
मूर्ति
को
सजाने
में
इस्तेमाल
होने
वाले
रंगों
में
कार्बन,
लेड़
व
अन्य
प्रकार
के
रसायन
होते
हैं।
जब
हम
इन
रसायनों
से
बनी
प्रतिमाओं
को
पानी
में
विसर्जित
करते
हैं
तब
इन
रसायनों
से
सबसे
पहला
खतरा
पानी
के
भीतर
पनपने
वाले
जीवों
को
होता
है।
जब
हम
ऐसे
पानी
में
सांस
लेने
वाली
मछली
को
खाते
हैं
तब
हमारा
जीवन
भी
खतरे
में
पड़
जाता
है।
3.
फेफड़ों
को
नुकसान
पहुंच
सकता
है
मूर्ति
को
सजाने
में
इस्तेमाल
किए
जाने
वाले
रंग
कुछ
गैसों
का
वितरण
करते
हैं
तथा
जब
हम
सांस
लेते
हैं,
इन
गैसों
से
हमारे
फेफडों
को
नुकसान
पहुंच
सकता
है।
पर्यावरण एवं स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए जैव वस्तुओं से बनी प्रतिमाओं का इस्तेमाल करना ही सही होगा। प्रकृति में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है परंतु जब मनुष्य इस संतुलन को बिगाड़ने की कोशिश करता है तब इसका खामयाज़ा खुद उसे भुगतना पड़ता है। तो चलिए, प्रकृति की रक्षा के बारे में जागरूकता फैलाते हुए इस त्योहार का आनंद लेते हैं।