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रामायण: इन 10 सीख की प्रांसगिकता को समझे अपने आधुनिक जीवन में
हर साहित्य में कई अच्छी किताबें होती हैं जो कि समाज के सामने धर्म (आचरण) का मार्ग प्रशस्त करती हैं और सही मार्ग दिखाती हैं।
हिंदुओं के दो प्रमुख ग्रन्थों में से एक रामायण, ज़िंदगी का एक अलग चित्रण करती है और बताती है कि कैसे अंत में बुराई पर अच्छाई की ही जीत होती है। रामायण एक राजपरिवार और राजवंश की कहानी है जो पति-पत्नी, भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के आपसी रिश्तों के आदर्श पेश करती है। हर हिन्दू परिवार अपने बच्चों को एक ग्रंथ के बारे में बताता है और हर रविवार को सुबह टीवी पर रामायण देखते हुए ही बड़े हुए हैं।
हिन्दू संस्कृति ना केवल रामायण को मानती है बल्कि रामायण की सीख को जीवन में भी उतारती है और हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योंहार दिवाली इसलिए मनाया जाता है कि इस दिन राजा राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ राक्षस रावण को मारकर अयोध्या लोटे थे।
राम की वनवास से घर लौटने की कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती है और इसमें इतने घटनाक्रम हुये जो हमारे लिए एक मार्ग प्रशस्त करते हैं। हम बताते हैं आपको रामायण की कुछ बड़ी सीख...
रामायण की 10 बड़ी सीख:
1. बुराई पर अच्छाई की जीत -
रामायण की सबसे बड़ी सीख है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। जिस तरह माता सीता पर रावण ने बुरी नज़र डाली और अंत में भगवान राम ने रावण को पराजित कर सीता को वापस पा लिया।
कहानी का सार है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली या बड़ी क्यों ना हो लेकिन अपनी अच्छी नीयत और गुणों के कारण सच्चाई की ही जीत होती है।
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2. विविधता में एकता –
रामायण की एक बड़ी सीख है विविधता में एकता। इस महाकाव्य में राजा दशरथ की तीनों रानियों और चारों बेटों का चरित्र अलग-अलग होता है।
लेकिन इस विविधता के बावजूद उनमें किस तरह की एकजुटता रहती है यह हर परिवार के लिए दुःख के समय से बाहर निकलने की सीख है।
3. ऐश्वर्य से बढ़कर रिश्ते -
भाइयों का ऐसा प्यार जहां लालच, गुस्सा या विश्वासघात घर नहीं कर पाया, ये एक बड़ा उदाहरण है। एक और जहां लक्ष्मण ने 14 साल तक भाई राम के साथ वनवास किया वहीं दूसरे भाई कैकयी के पुत्र ने राजगद्दी के अवसर को ठुकरा दिया।
इसके बजाय, उन्होंने भगवान राम को उन्हें माफ करने और राजकाज संभालने का आग्रह किया क्यों कि इस पर राम का ही हक था। भाइयों के प्यार की ये सीख हमें लालच और सांसारिक सुखों के बजाय रिश्तों को महत्व देने के लिए प्रेरित करती है।
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4. अच्छी संगति का महत्व –
यह ग्रंथ हमें अच्छी संगति के महत्व को बताता है। कैकयी राम को अपने पुत्र राम से ज़्यादा चाहती थी लेकिन दासी मंथरा की बुरी सोच और गलत बातों में आकर वह राम के लिए 14 वर्षों का वनवास मांग लेती है।
इसलिए हमें सीख मिलती है कि हमें अच्छी संगति में रहना चाहिए ताकि नकारात्मकता हम पर हावी ना हो।
5. सच्ची भक्ति और समर्पितता –
हनुमान जी ने भगवान राम के प्रति अटल विश्वास और प्यार का परिचय दिया। उनकी अपार लग्न और भगवान राम के प्रति निःस्वार्थ सेवा हमें सिखाती है कि एक दोस्त की ज़रूरत के समय किस तरह मदद की जाती है।
यह बताती है कि हमें अपने आराध्य के चरणों में बिना किसी संदेह के अपने आप को समर्पित कर देना चाहिए। जब हम अपने आपको उस सर्वव्यापक के चरणों में समर्पित कर देते हैं, तो हमें निर्वाण या मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-मरण से छुटकारा मिलता है।
6. माफ़ करना बदला लेने से अच्छा चरित्र है –
रावण एक ज्ञानी पुरुष था लेकिन माता सीता का अपहरण करना उसके पतन का कारण बना। इससे पता चलता है कि हम दूसरे को नुकसान पहुंचाने के चक्कर में बदले की आग में अपने आप को ही जला बैठते हैं।
अपनी बहन सूर्पनखा की लक्ष्मण द्वारा बेइज्जती करने पर रावण उसके भाई राम को सबक सिखाने की सोचता है और क्रोध, विश्वासघात और प्रतिशोध के खुद के जाल में खुद ही उलझ जाता है। इसलिए हमें बदले, अहम और क्रोध के बजाय माफ़ करने का स्वभाव अपनाना चाहिए।
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7. सबसे समान व्यवहार –
भगवान राम का विनम्र आचरण और अपने से बड़ों और छोटों सबको सम्मान देना हम सबको एक सीख देता है। हमें रुतबा, उम्र, लिंग आदि के भेदभावों के बावजूद सबसे समान व्यवहार करना चाहिए। हमें पशुओं से भी प्यार और दयालुता से पेश आना चाहिए। सच्चा मानव वही है जो सबसे समानता से पेश आता है।
8. भगवान की सच्ची सेवा –
राम के वन जाने से पहले लक्ष्मण और उनकी मां सुमित्रा के बीच संवाद होता है जहां वे लक्ष्मण को राम और सीता के साथ आचरण की शिक्षा देती हैं, तब वे बताती हैं कि भगवान की सच्चे मन से सेवा करनी चाहिए क्यों कि ये ही मुक्ति का द्वार है। सुमित्रा कहती हैं कि हे लक्ष्मण तुम चाहे राम और सीता के साथ कहीं भी रहो लेकिन जहां राम हैं वहीं पूरी अयोध्या है। वे लक्ष्मण को अपनी क्षमता के अनुसार भगवान की सेवा करने करने के लिए कहती हैं क्यों कि यही सबसे बड़ा काम है और जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।
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9. भगवान में विश्वास की शक्ति –
राम, लक्ष्मण और वानर सेना द्वारा भारत और श्रीलंका के बीच तैयार किया गया पुल चमत्कार की ही निशानी है। जिस तरह से भगवान का नाम लिखने से ही पत्थर तैरने लगे।
ये भी एक बड़ी सीख है कि जिस भगवान का नाम लेने से सब लोग पुल से सागर पार कर गए वैसे ही उसका नाम लेने से इस भवसागर से पार हो सकते हैं और हर क्षेत्र में जीत हासिल कर सकते हैं।
10. प्यार और दया –
भगवान राम प्यार, दया और सकारात्मकता की प्रतिमूर्ति हैं और यदि हममें से कोई भी 10 प्रतिशत भी अपने दैनिक जीवन में उतार लेता है तो वो खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकता है।
उनका शांत और दया भाव से एक पुत्र, पति, भाई और एक राजा की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना हमें आपसी प्रेम और सम्मान जैसे मानवीय गुणों से अवगत कराता है
समाज की बुराइयों पर जीत हासिल करने के लिए हमें आज के जमाने में रामायण की सीख को उतारने की आवश्यकता है।