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क्या हनुमान जी के एक पुत्र था? आइये जानें...

By Super
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यह बहुत चौकाने वाली बात है ना! हमने हमेशा सुना है हनुमान जी ब्रह्मचारी और अविवाहित थे| लोग हनुमान जी नाम लेकर ब्रह्मचर्य की सौगंध की प्रतिज्ञा लेते हैं| तो ऐसा कैसे हो सकता है की ब्रह्मचर्य के देवता का पुत्र हो? इस आर्टिकल में हम जिस रहस्य से पर्दा उठा रहें हैं वह चौकाने वाला है| यह बहुत आश्चर्यजनक बात है हनुमान जी के एक पुत्र था जिसका पता उन्हें भी बाद में चला जब वह युद्ध के मैदान में एक दुश्मन की भांति मिला|

पौराणिक हिन्दू कथाओं में कई चमत्कारी बातें हैं जो कि सुनने और पढ़ने में बहुत अजीब लगती हैं| महाभारत में कुंती ने अर्ध - देवता का आह्वान किया जिससे उसे पांडवों की प्राप्ति हुई, इसके अलावा कुंती के एक साथ 101 बच्चे प्राप्त होने की कल्पना की गई है| हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज का जन्म भी ऐसी ही चमत्कारिक अवधारणा पर आधारित है|

हनुमान चालीसा पढ़ने का लाभ

यह कहानी अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से कही जाती है कि हनुमान जी को पुत्र की प्राप्ति कैसे हुई| लेकिन सभी कहानियां आखिर में इसी बात की पुष्टि करती हैं कि हनुमान के एक पुत्र था| मकरध्वज ना केवल हनुमान जी का पुत्र था बल्कि वह एक कुशल योद्धा भी था| क्या हुआ जब हनुमान जी एक पिता के रूप में अपने पुत्र से पहली बार मिले? आइये जानें...

हनुमान जी और मछली

हनुमान जी और मछली

वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार एक बार हनुमान जी नदी में स्नान कर रहे थे तब शरीर में पैदा हुई गर्मी के कारण उनका पसीना पानी में गिर गया| यह बहता हुआ एक मछली जैसे जीव के पास जाकर उसके शरीर में प्रवेश कर गया और इससे उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई| इसके बाद, रावण के भाइयों अहिरावण और महिरावण को यह बच्चा नदी के किनारे मिला जिसका आधा शरीर एक वानर का और आधा एक मछली का था| इस प्रकार मकरध्वज की उत्पत्ति हुई|

मकरध्वज

मकरध्वज

वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब अहिरावण राम और लक्ष्मण को लेकर पाताल में चला गया तो हनुमान जी उन्हें बचाने के लिए गए थे| लेकिन दरवाजे पर ही उन्हें आधे वानर और आधे मछली जैसे जीव ने चुनौती दी उसने अपना नाम मकरध्वज और वीर हनुमान का पुत्र बताया|

आश्चर्य में हनुमान जी

आश्चर्य में हनुमान जी

आश्चर्य में हनुमान जी

एक वफादार रखवाले

एक वफादार रखवाले

हनुमान जी ने मकरध्वज को कहा के वे उन्हें भगवान राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए आगे जाने दें लेकिन पिता होने के बावजूद भी उन्हें आगे नहीं जाने दिया| उसने कहा कि वह अपने मालिक अहिरावण को धोखा नहीं दे सकता| इसके बदले उसने जिस दरवाजे में राम और लक्ष्मण कैद थे उससे सम्बंधित पहेली पूछी और सही जवाब देने पर आगे जाने दिया|

मच्छानु

मच्छानु

रामायण के कम्बोडिया और थाईलैंड संस्करण में बताया गया है कि हनुमान के पुत्र का नाम मच्छानु था जिसका जन्म हनुमान जी रावण की जलपरी सुवण्णमच्छा के साथ मिलन से हुआ| इसी प्रकार के अन्य संकरणों में भी पसीने से ही इसकी उत्पत्ति बताई गई है लेकिन इनके अनुसार वह पसीना मछली को नहीं बल्कि एक जलपरी को लगा था| कई जगह तो यह भी बताया गया है कि लंका के लिए पुल का निर्माण करते समय हनुमान जी को सुवण्णमच्छा से प्यार हो गया था और उनके मिलन से मच्छानु का जन्म हुआ|

जब हनुमान जी अपने पुत्र से मिले

जब हनुमान जी अपने पुत्र से मिले

रामायण के थाई और कम्बोडियन संस्करणों के अनुसार रावण की सेना युद्ध करते समय हनुमान जी का सामना एक ऐसे योद्धा से हुआ जिसका आधा शरीर वानर का और आधा मछली का था| बहुत देर तक चले युद्ध के बाद जब हनुमान जी ने अपनी गदा से उस पर वार करना चाहा तो आकाश में एक सुनहरा सितारा चमका और आकाशवाणी हुई कि जिसे तुम मारने जा रहे हो वह तुम्हारा अपना पुत्र है जो कि रावण की जलपरी सुवण्णमच्छा से तुम्हारे मिलन से पैदा हुआ है| हनुमान जी का गदा वहीं का वहीं रह रह और उन्होंने एक दूसरे को इस तरह पहचाना|

English summary

Did Lord Hanuman Have A Son?

There are are different versions of the story as to how Lord Hanuman's son was conceived and how He met him. But the stories lead to one simple fact that Lord Hanuman did have a son after all.
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