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जानें हमारे जीवन में गुरू पूर्णिमा का महत्व
हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। सावन का महीना अक्सर मध्य जुलाई में पड़ता है, इन दिनों खूब बारिश होती है। हिंदू और बौद्ध; दोनों धर्मों में इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है।
बौद्ध धर्म में गुरू पूर्णिमा का महत्व: बौद्ध धर्म में इस दिन को काफी बड़ा त्यौहार माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान बौद्ध ने सारनाथ में प्रबुद्धता प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश दिया था। इस तरह बौद्ध धर्म में इस दिन को खास मान लिया जाता है।
इस दिन को बौद्ध धर्म के अनुयायी खास ढंग से मनाते हैं, वे अपने पूजास्थल पर भगवान बौद्ध को याद करते हैं और उनकी शिक्षाओं को पढ़ते हैं।
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हिंदू
धर्म
में
गुरू
पूर्णिमा
का
महत्व:
हिंदू
धर्म
में
गुरू
पूर्णिमा
को
महान
संत
व्यास
के
जन्मदिवस
के
रूप
में
मनाया
जाता
है।
वेदव्यास
को
हिंदू
महाग्रन्थ
महाभारत
का
रचयिता
माना
जाता
है,
इन्होने
ही
ब्रह्मासूत्र
भी
लिखा
था।
माना
जाता
है
कि
इस
दिन
व्यास
का
जन्म
हुआ
था
और
इसी
दिन
उन्होने
ब्रह्मासूत्र
को
लिखकर
समाप्त
किया
था,
जिसे
हिंदू
धर्म
में
पांचवे
वेद
के
रूप
में
माना
जाता
है।
शिक्षक-छात्र
के
सम्बंधों
को
प्रगाढ़
करता
गुरू
पूर्णिमा
का
दिन:
भारत
में
गुरूपूर्णिमा
के
दिन,
लम्बे
समय
से
छुट्टी
रखी
जाती
है।
इस
दिन
छात्र
अपने
शिक्षकों
को
सम्मान
देते
हुए
उनके
लिए
कुछ
भेंट
लाते
हैं,
उनके
दैनिक
कार्य
कर
देते
हैं
और
उनको
समर्पित
किसी
विशेष
कार्यक्रम
का
आयोजन
करते
हैं।
इस
दिन
भगवान
शिव
की
पूजा
भी
की
जाती
है।