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पूजा के कमरे में मूर्तियाँ किस प्रकार रखें
भारतीय सभ्यता में पूजा का कमरा घर का एक अभिन्न हिस्सा माना जाता है। भगवान की प्रार्थना करना ध्यान करने का ही एक प्रकार है। इससे हमें न केवल शक्ति मिलती है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक समाधान के लिए भी यह आवश्यक है।
सभी हिंदू घरों में पूजा का कमरा होना आवश्यक है। पूजा घर में मूर्तियों को रखते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। मूर्तियों को पूजा घर में किस प्रकार रखना चाहिए इस बात पर चर्चा करने से पहले यह आवश्यक है कि पूजा का कमरा वास्तु के नियमों के अनुसार होना चाहिए।
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यह
बहुत
अधिक
महत्वपूर्ण
है।
मूर्तियों
को
पूजा
घर
में
रखने
से
पहले
आवश्यक
है
कि
पूजा
के
कमरे
की
स्थिति
सही
हो।
1. पूजा का कमरा घर के उत्तर पूर्वी कोने में होना चाहिए और बेहतर होगा यदि इसका मुख पूर्व से पश्चिम या पश्चिम से पूर्व की ओर हो।
2. पूजाघर लकड़ी का बना होना चाहिए जो या तो चंदन का बना हो या सागौन का तथा इसकी छत शंकु के आकार की होनी चाहिए। लकड़ी का रंग प्राकृतिक होना चाहिए।
3. धार्मिक किताबें पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखनी चाहिए।
4. पूजा का कमरा बाथरूम के ऊपर या नीचे नहीं होना चाहिए क्योंकि यहाँ से नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। इसके अलावा पूजा का स्थान सीढ़ियों के नीचे या बेडरूम में नहीं होना चाहिए, विशेषत: मास्टर बेडरूम में।
दिशा
वे
मूर्तियाँ
जिन्हें
उत्तर
से
दक्षिण
की
ओर
मुख
करके
रखना
चाहिए
इस
प्रकार
हैं:
गणेश,
दुर्गा,
शोदास,
मात्रिका,
कुबेर,
भैरव।
भगवान
हनुमान
की
मूर्ति
दक्षिण
पूर्व
दिशा
की
ओर
मुख
की
हुई
नहीं
होनी
चाहिए
क्योंकि
उनकी
प्रवृत्ति
अग्नि
के
साथ
जुड़ने
की
है
(दक्षिण
पूर्व
अग्नि
की
दिशा
मानी
जाती
है)
जो
अच्छा
लक्षण
नहीं
है।
भारतीय
घरों
में
भगवान
शिव
की
पूजा
लिंग
के
रूप
में
की
जाती
है।
इसे
उत्तर
दिशा
में
रखना
चाहिए।
उत्तम
दिशा
आम
तौर
पर
उत्तर
पूर्वी
दिशा
सभी
मूर्तियों
और
देवी
देवताओं
के
लिए
बहुत
ही
शुभ
मानी
जाती
है।