Just In
- 1 hr ago मनोज तिवारी Vs कन्हैया कुमार: कौन हैं कितना अमीर? दोनों की संपति डिटेल जानिए
- 3 hrs ago Summer skin care: गर्मी में आप भी बार-बार धोते हैं चेहरा? जानें दिन में कितनी बार करें Face Wash
- 4 hrs ago फराह खान की तरह बनाना चाहते हैं टेस्टी यखनी पुलाव, तो खुद उनसे ही जान लीजिए सीक्रेट रेसिपी
- 6 hrs ago Appraisal Prediction 2024: राशि के अनुसार जानें किसके हाथ लगेगी लॉटरी और किसके हिस्से में आएगी मायूसी
Don't Miss
- News छत्तीसगढ़: 'हिंसा का रास्ता छोड़ें नक्सली, विकास की मुख्यधारा में शामिल हों', बोले सीएम विष्णु देव साय
- Education PSEB 10th result 2024: पंजाब मैट्रिक परिणाम आज दोपहर 2:30 बजे जारी किया जायेगा, कैसे देखे रिजल्ट
- Movies बुशरा अंसारी ने 66 साल की उम्र में किया दूसरा निकाह, जानिए कौन हैं एक्ट्रेस के शौहर
- Finance Car Loan: पहले समझें 20-4-12 का नियम फिर खरीदें अपनी पसंद कार, कभी नहीं होगी फंड की दिक्कत
- Technology Samsung ने मार्केट में लॉन्च किए नए स्मार्ट टीवी, मिलेंगे AI इंटिग्रेटेड फीचर्स
- Automobiles 3 घंटे में पूरा होगा 900 KM का सफर, अहमदाबाद से दिल्ली तक चलेगी दूसरी बुलेट ट्रेन, जानें Railways की प्लान
- Travel सऊदी अरब ने बदला उमराह Visa Rule, अब 90 दिनों तक वीजा रहेगा वैध, Details
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
क्या है नमाज़ पढ़ने का असली मकसद
यह रमज़ान का मुबारक़ महीना चल रहा है। रमजान इस्लामी महीने का नौवां महीना है। इसका नाम भी इस्लामिक कैलेंडर के नौवें महीने से बना है। यह महीना इस्लाम के सबसे पाक महीनों में शुमार किया जाता है। इस महीने में इस्लाम को मानने वाले अनुयाईयों को रोज़े रखने की हिदायत दी गयी है।
रोज़े
रखने
का
मतलब
यह
बिल्कुल
भी
नहीं
कि
आप
भूखे
प्यासे
रहें,
बल्कि
इस
मुबारक़
महीने
में
आपको
सारे
गिले
शिक़वे
भुला
कर,
समाज
में
दोस्ती
और
एकता
क़ायम
करने
कि
सलहा
दी
गयी
है।
यही
नहीं
इस
पाख
महीने
में
रोज़े
दार
किसी
तरह
का
अश्लील
या
गलत
काम
करने
से
भी
बचें।
इसके
साथ
ही
उन्हें
ग़रीबों
और
जो
बेसहारा
हैं
उनकी
मदद
करने
को
भी
कहा
गया
है।
रमजान
के
वक्त
पेट
में
गैस
बनने
लगे
तो
करें
ये
उपाय
नामाज़ या सलाह नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है। रमज़ान के मुबारक महीने रोज़े रखने के साथ, पांच बार की नमाज़ अदा करना भी जरुरी है। नमाज के मुताल्लिक उलैमा इकराम लिखते हैं कि, "हर नमाज ऐसे अदा करो जैसे कि यह तुम्हारी आखिरी नमाज हो।" इससे यह पता चलता है कि इस्लाम में नमाज़ का क्या महत्व है। इस्लाम में पांच वक्त की नमाज़ फर्ज़ है, यानि पांच बार नमाज़ पढ़ना जरूरी है।
नमाज़ इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। नमाज़ जिंदगी में परहेज़गारी लाती है, यानि नमाज़ पढ़ने वाला कभी भी ग़लत और हराम काम नहीं कर सकता। जो मुस्लमान पांच बार कि नमाज़ पढ़ते हैं, ज़िंदगी में वह कभी किसी कि बुराई, किसी के गलत काम में उसका साथ और ऐसा कुछ नहीं बोलते हैं जिससे किसी का दिल दुखे। रमज़ान के दौरान रोज़े रखने का महत्व
इसके साथ ही नमाज़ अल्लाह से मांगने का ज़रिया है। इस माह रोज़े रख कर मुस्लमान अल्लाह की इबादद करते हैं और महीने के खत्म होने पर ईदुल फितर का त्योहार मनाते हैं। जिसमें परिवार के सभी लोग सुबह नमाज़ पढ़ कर अल्लाह का शुक्रिया करते हैं। और फिर अपने परिवार के साथ बड़ी ही धूम धाम से ईद का पर्व मानते हैं।