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जानिये क्यूं मनाया जाता है धनतेरस और क्या है इसकी कहानी
हिंदू धर्म में धनतेरस का त्यौहार, कार्तिक माह के तीसरे दिन मनाया जाता है, जो दीवाली पर्व की शुरूआत माना जाता है। इस दिन, हिंदू परिवारों में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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धनतेरस के पावन पर्व पर, हिंदू परिवारों में कोई भी नया बर्तन खरीद कर लाया जाता है या चांदी अथवा सोने का सिक्का लाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि इस दिन नए बर्तन या सिक्के को खरीद कर लाने और पूजा करने से घर में लक्ष्मी की बारिश होती है और घर में खूब धन-धान्य आता है।
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धनतेरस पर मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबरे की भी पूजा की जाती है। इस दिन से ही दीवाली की शुरूआत हो जाती है। आइए जानते है कि धनतेरस का क्या महत्व है:
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धनतेरस
की
दंतकथा
धनतेरस
के
बारे
में
दो
दंतकथाएं
है।
ऐसा
माना
जाता
है
कि
समुद्र
मंथन
के
दौरान,
समुद्र
से
निकलने
वाले
नौ
रत्नों
में
इसी
दिन
वैद्य
धन्वतर
का
जन्म
हुआ
था।
इस
त्यौहार
को
हिंदू
धर्म
में
बड़े
त्यौहार
के
रूप
में
जाना
जाता
है।
धनतेरस के बारे में दूसरी कहानी ये है कि एक 16 वर्ष का राजकुमार था, जिसे हिमा के नाम से जाना जाता था। उसकी कुंडली में लिखा था कि उसकी शादी के चौथे दिन उसकी सांप काटने से मृत्यु हो जाएगी।
राजुकमार की शादी हुई और उसी दिन उसकी पत्नी ने एक चाल खेली, उसने अपने सारे जेवरात और गहने उतार कर दरवाजे के आसपास फैला दिए और चौखट पर चांदी और सोने के सिक्के रखें, सभी जगहों पर तेज रोशनी कर दी। उसके बाद उसने अपने पति को सोने से बचाने के लिए कहानी सुनानी शुरू कर दी।
यम आएं और कमरे में गहनों की चकाचौंध से सांप के रूप में बनने के बाद भी उसे डस नहीं पाएं। उस सांप की आंखे चमक के कारण खुल नहीं पाई और वह उसे काट नहीं पाया। रात भर वह दरवाजे पर बैठा रहा और उसकी पत्नी की कही हुई कहानी को सुनता रहा। सुबह होते ही सांप वापस चला गया और राजकुमार बच गया।
धनतेरस
का
महत्व
व्यापारियों
के
लिए
धनतेरस
का
बहुत
बड़ा
महत्व
होता
है।
इस
दिन
नई
किताबें,
सामान
आदि
खरीदा
जाता
है।
कई
लोग
नए
पेशे
को
भ
इस
दिन
शुरू
करना
शुभ
मानते
हैं।
कई
परिवारों
में
धनतेरस
के
दिन
बेटी
का
जन्म
शुभ
माना
जाता
है,
ऐसा
माना
जाता
है
कि
उनके
घर
में
लक्ष्मी
मां
का
जन्म
हुआ।