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धन, समृद्धि और स्‍वास्‍थ्‍य पाने के लिये हर दिन करें महामृत्युंजय मंत्र जाप

By Super
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव के साधक को न तो मृत्यु का भय रहता है, न रोग का, न शोक का। शिव तत्व उनके मन को भक्ति और शक्ति का सामर्थ देता है। शिव तत्व का ध्यान महामृत्युंजय के रूप में किया जाता है। इस मंत्र के जप से शिव की कृपा प्राप्त होती है।

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लेकिन अब यह सवाल उठता है कि शिव की पूजा हम कैसे करें? सतयुग में मूर्ति पूजा कर सकते थे, पर अब कलयोग में सिर्फ मूर्ति पूजन काफी नहीं है।

भविष्य पुराण यह बताया गया है कि महामृत्युंजय मंत्र का रोज़ जाप करने से उस व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और लम्बी उम्र मिलती है।

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महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

1. अगर आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मास, गोचर, अंतर्दशा या अन्य कोई परेशानी है तो यह मंत्र बहुत मददगार साबित होता है।

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

2. अगर आप किसी भी रोग या बीमारी से ग्रसित हैं तो रोज़ इसका जाप करना शुरू कर दें, लाभ मिलेगा। यदि आपकी कुंडली में किसी भी तरह से मृत्यु दोष या मारकेश है तो इस मंत्र का जाप करें।

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

3. इस मंत्र का जप करने से किसी भी तरह की महामारी से बचा जा सकता है साथ ही पारिवारिक कलह, संपत्ति विवाद से भी बचता है।

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

4. अगर आप किसी तरह की धन संबंधी परेशानी से जूझ रहें है या आपके व्यापार में घाटा हो रहा है तो इस मंत्र का जप करें।

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

5. इस मंत्र में आरोग्यकर शक्तियां है जिसके जप से ऐसी दुवानियां उत्पन होती हैं जो आपको मृत्यु के भय से मुक्त कर देता है, इसीलिए इसे मोक्ष मंत्र भी कहा जाता है।

इस मंत्र का अर्थ

इस मंत्र का अर्थ

त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वाला (कर्मकारक)

यजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देय

सुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधित (कर्मकारक)

पुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णता

वर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है, (स्वास्थ्य, धन, सुख में) वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा माली

उर्वारुकम= ककड़ी (कर्मकारक)

इव= जैसे, इस तरह

बंधना= तना (लौकी का); ("तने से" पंचम विभक्ति - वास्तव में समाप्ति -द से अधिक लंबी है जो संधि के माध्यम से न/अनुस्वार में परिवर्तित होती है)

मृत्युर = मृत्यु से

मुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें

मा= न

अमृतात= अमरता, मोक्ष

महामृत्युंजय मंत्र का जप कैसे करें

 मंत्र का जाप कैसे करें

मंत्र का जाप कैसे करें

शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का जप करने के लिए सुबह 2 से 4 बजे का समय सबसे उत्तम माना गया है, लेकिन अगर आप इस वक़्त जप नहीं कर पाते हैं तो सुबह उठ कर स्नान कर साफ़ कपडे पहने फिर कम से कम पांच बार रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करें।

 मंत्र का जाप कैसे करें

मंत्र का जाप कैसे करें

जप के समय पूरे ध्यान से साथ इस मंत्र का उच्चारण करें। ध्यान रहे इस मंत्र का जप करते वक़्त किसी भी अन्य बात को अपने दिमाग ना आने दें। जप करते वक़्त आप शिवलिंग या शिव की मूर्ति को अपने सामने रख सकते हैं। अगर आप मांसाहारी है तो उसे छोड़ दें। इससे आपको इस मंत्र का जप करने का फल जल्दी मिलेगा।

English summary

Mahamrityunjaya Mantra - Power to Overcome All Odds

Mahamrityunjaya mantra daily will bestow you with good health, wealth, prosperity and long life.
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