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महिलाएं क्यूं रखती हैं वट सावित्री व्रत, पढ़ें इसके पीछे छुपी कहानी को
क्या आप इस व्रत के पीछे छुपी हुई कहानी को जानते हैं? यह व्रत संतान सुख प्राप्ती के लिये भी लखा जाता है। कहा जाता है सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान को छीन लिया था। इसकी कहानी काफी दिचस्प है
आज वट सावित्री व्रत है, जिसमें हिंदू महिलाएं व्रत रख कर अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन शादी शुदा महिलाएं व्रत रख कर वट वृक्ष के नीचे सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा अचर्ना करती हैं।
क्या आप इस व्रत के पीछे छुपी हुई कहानी को जानते हैं? यह व्रत संतान सुख प्राप्ती के लिये भी लखा जाता है। कहा जाता है सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान को छीन लिया था। इसकी कहानी काफी दिचस्प है इसलिये आइये जानते हैं इसके बारे में और विस्तार से।
यह महाभारत की एक उपकथा है
सत्यवान और सावित्री की कहानी महाभारत की एक उपकथा है। राजा अष्टपति की एक सुंदर और बुद्धिमती कन्या थी। उसका नाम सावित्री था। राजा ने उसे अपना पति चुनने की अनुमति दी थी। एक दिन सावित्री ने जंगल में एक युवा पुरुष को देखा जो एक लकड़ी के दोनों ओर लगी टोकरियों में अपने अंधे माता पिता को उठाकर ले जा रहा था। वह सत्यवान था।
कैसे हुआ सावित्री और सत्यवान विवाह
अपने माता पिता के प्रति सत्यवान की भक्ति देखकर सावित्री ने उससे विवाह करने का निश्चय कर लिया। पूछताछ करने पर पता नारद जी ने बताया कि सत्यवान एक ऐसे राजा का पुत्र है जिसे राज सिंहासन से निकाल दिया गया है और इसी वर्ष उसकी मृत्यु होने वाली है। राजा ने विवाह करने से मना कर दिया परन्तु सावित्री अपने निर्णय पर अटल थी। अंतत: राजा मान गए और शादी के बाद दोनों पति पत्नी जंगल चले गए।
नारद जी ने बताया था सत्यवान की मृत्यु का दिन
वे खुशहाल ज़िन्दगी जी रहे थे और इस प्रकार एक वर्ष गुज़र गया। सावित्री को याद आया कि नारद जी ने सत्यवान की मृत्यु की जो तारीख बताई थी उसके अनुसार तीन दिनों के अंदर ही उसकी मृत्यु हो जायेगी।
सत्यवान की मृत्यु की तारीख से तीन दिन पहले सावित्री ने उपवास करना प्रारंभ किया। जिस दिन सत्यवान की मृत्यु होने वाली थी उस दिन सावित्री उसके पीछे पीछे जंगल गयी। वट वृक्ष (बरगद का पेड़) से लकड़ी काटते समय सत्यवान गिर पड़ा और मूर्छित हो गया।
जब सावित्री को आभास हुआ सत्यवान की मृत्यु का
सावित्री को आभास हो गया कि सत्यवान की मृत्यु होने वाली है। तभी अचानक उसे मृत्यु के देवता यम की उपस्थिति महसूस हुई। उसने देखा कि यम सत्यवान की आत्मा को लेकर जा रहे हैं और वह यम के पीछे पीछे चलने लगी।
सावित्री ने यमराज से की जिद
यम ने पहले तो सावित्री की ओर ध्यान नहीं दिया और सोचा कि वह शीघ्र ही अपने पति के शरीर के पास चली जायेगी। परन्तु वह उनके पीछे चलती रही। यम ने उसे समझाने के लिए कई उपाय अपनाए परन्तु उसका कुछ असर नहीं पड़ा। सावित्री अपनी जिद पर अड़ी रही और उसने कहा कि उसका पति जहाँ जाएगा वह उसके पीछे चलेगी। यम ने उससे कहा कि उसे वापस लौटना असंभव है क्योंकि वह मर चुका है और ऐसा करना प्रकृति के नियम के विपरीत है। इसके स्थान पर वह उसे तीन वर दे सकते हैं और वह उन वरों में अपने पति का जीवन नहीं मांगेगी। सावित्री सहमत हो गयी।
जब सावित्री ने मांगा यम से वर
पहले वर में उसने माँगा कि उसके सास ससुर को उनका राज्य सम्मान सहित मिल जाए। दूसरे वर में उसने अपने पिता के लिए एक पुत्र माँगा। तीसरे और अंतिम वर में उसने कहा, "मैं बच्चे को जन्म देना चाहती हूँ।" यम ने तुरंत कहा "मैं तुम्हें तीनों वर देता हूँ"। तब सावित्री ने कहा, "आपने मुझे बच्चे होने का वरदान दिया है तो कृपया मुझे मेरे पति वापस लौटाएं क्योंकि मुझे बच्चे केवल उनके माध्यम से ही हो सकते हैं।" जल्द ही यम को पतिव्रता सावित्री की योजना समझ में आ गयी।
वट वृक्ष के नीचे मृत पड़ा था सावित्री का पति
यम एक मिनिट तक शांत रहे और फिर हंसकर बोले "मैं तुम्हारे प्रयत्न की प्रशंसा करता हूँ। परन्तु मुझे यह बात सबसे अधिक पसंद आई कि तुमने उस व्यक्ति से प्रेम किया जिसके बारे में तुम जानती थी कि वह केवल एक वर्ष ही जीवित रहेगा। अपने पति के पास जाओ, वह शीघ्र ही जाग जाएगा।" जल्द ही सावित्री उस वट वृक्ष के पास पहुँची जहाँ उसका पति मृत पड़ा हुआ था। उसने वट वृक्ष की प्रदक्षिणा की और जैसे ही उसकी प्रदक्षिणा समाप्त हुई, सत्यवान नींद से जाग गया। सत्यवान और सावित्री का पुन: मिलन हो गया।