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भारतीय महिलाएं क्यूं पहनती हैं नोज रिंग?
भारतीय महिलाओं दृारा नाक में कील या नथ पहना जाना काफी आम और पुरानी परंपराओं में से एक माना जाता है। चाहे वह हिंदू धर्म हो या फिर कोई दूसरा धर्म, लड़कियां अपनी नाक जरुर छिदवाती हैं। आज कल तो नाक में कील पहनने का फैशन सा बन गया है। भारतीय समाज में लौंग, नथनी या नोज रिंग को शादीशुदा महिलाएं सौभाग्य का प्रतीक मानती हैं। नथ पहनने के पीछे हर महिला की अलग-अलग वजह हो सकती है लेकिन भारत में नोज रिंग के महत्व की तमाम वजहें हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोंचा है कि नाक में कील पहनने का प्रचलन कहां से शुरु हुआ और इसे पहनने का क्या महत्व है? कुछ मान्यताओं के अनुसार, नाक के छल्ले का प्रचलन मध्य पूर्व से प्रारंभ हुआ और फिर 16वीं सदी में मुगल काल के दौरान भारत में भी आ पहुंचा। आइये जानते हैं कि भारतीय महिलाएं अपनी नाक में कील या फिर नथ क्यूं पहनती हैं?
स्वास्थ्य लाभ
आयुर्वेद के अनुसार कहा गया है कि अगर नाक के एक प्रमुख हिस्से वाली जगह पर छेद किया जाए तो मासिक धर्म के समय उस महिला को कम दर्द झेलना पडेगा! इसलिये लड़कियों की बाई ओर की नाक छेदी जाती है क्योंकि उस जगह की नसें नारी के महिला प्रजनन अंगों से जुडी हुई होती हैं। नाक के इस हिस्से पर छेद करने से महिला को प्रसव के समय भी कम दर्द का सामना करना पडता है।
महिलाएं क्यूं पहनती हैं मंगलसूत्र
सांस्कृतिक महत्व
धर्म के हिसाब से महिला को 16 साल की उम्र के बाद तक अपनी नाक जरुर छिदवा लेनी चाहिये। नाक की नथ कई संस्कृति में विवाह होने का संकेत भी होता है। हिंदू धर्म में जिस महिला का पति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, उसकी नथ को उतार दिया जाता है। इसके अलावा हिंदू धर्म के अनुसार नथ को माता पार्वती सम्मान को देने के लिये भी पहना जाता है।
अन्धविश्वास
भारत में फैले प्रचलित अंधविश्वासों की माने तो, शादी शुदा महिला अगर नाक से सीधी हवा अंदर ले तो यह उसके पति के स्वास्थ्य के लिये खतरा हो सकता है। इसलिये वह नाक में नाक की कील या नथ पहनती है, जिससे कि हवा पहले उस धातु से टकराए और बाद में वह उसे अंदर खींचे। यह अंधविश्वास भारत के पूर्वी हिस्से पर प्रचलित है।