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क्या आप जानते हैं नवरात्रि के इन नौ प्रतीकों के बारे में
अगर आप पूरे नौ दिनों का उपवास रखते हैं तो आपको इससे जुड़ी चीज़ों के बारे में भी पता होना चाहिये कि यह विशेष चीज़ नवरात्रि में क्यूं की जाती है।
अगर आप सोंचते हैं कि नवरात्रि में गरबा क्यूं खेला जाता है या फिर कुवांरी क्यूं पूजी जाती है तो आपको इस बात का उत्तर यहां मिल जाएगा। आइये जानें, नवरात्रि के नौ मूलभूत-तत्व जो इस पवित्र त्यौहार के किसी ना किसी विशेष पहलू से सम्बंधित हैं।
गरबा नृत्य
गरबा गुजरात का लोक नृत्य है । गर्भ संस्कृत का शब्द है जो गर्भ-जीवन को दर्शाता है। गरबा गोलाई में किया जाता है जो कि समय का प्रतीक है। रीति अनुसार यह नृत्य जलते हुए मिटटी के दीप के इर्द-गिर्द किया जाता है, इस दीप को गरबा-दीप कहते हैं।
कलश
पवित्र-पानी का कलश देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है । इसे पूजा-घर में स्थापित कर के नौ दिनों तक इसकी पूजा की जाती है । कई घरों में प्रथम दिन जौ बोने की रीत भी है । नवरात्रों के समाप्ति तक जौ के पोधे 3 से 5 इंच तक लम्बे हो जाते हैं और इन्हें प्रसाद एवं आशीर्वाद स्वरुप बांटा जाता है ।
उपवास
कई लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और बहुत सारे लोग मासाहारी भोजन एवं मदिरा सेवन से परहेज करते हैं । कुछ लोग नवरात्रों में केवल दूध एवं फलाहार का ही सेवन करते हैं ।
कोलू
कोलू, दक्षिणी भारत की एक अति महतवपूर्ण रस्म है और बोम्मई कोलू के नाम से जानी जाती है । इसमें भगवती दुर्गा के शाही-दरबार का सृजन गुड़ियाँ बनाकर किया जाता है ।
कुमारी-पूजन
नवें नवरात्रे के दिन कन्या-पूजा या कुमारी-पूजा के आयोजन का विधान है। रीति अनुसार नौ कन्याओं ( जिन्होंने किशोरावस्था में प्रवेश ना किया हो) को मां दुर्गा के नौ-स्वरुप मानकर, भोजन आदि कराकर सत्कार किया जाता है ।
भोग एवं नैवेध्य
देवी मां को प्रसाद स्वरुप अर्पित भोजन नवरात्र उत्सव का एक अभिन्न अंग है। यह प्रसाद, भोग या नैवेध्य नियमित भोजन में मिश्रित करके अभी श्रद्धालुओं को पूजा के उपरान्त परोसा जाता है।
गरबा-दीप
मिटटी के दीप में ज्वलित यह दीया जीवन को, विशेषकर गर्भ में पल रहे नव-जीवन को दर्शाता है । इस दीप से नृतक एवं नृतकियां देवी दुर्गा के स्त्रीत्व के दैवीय स्वरुप का पूजन करते हैं।
सुपारी
पूजा में नौ सुपारियाँ रखी जाती हैं और उन्हें देवी माँ के नौ अवतार मानकर पूजा अर्चना की जाती है ।
शंख
शंख की हृदय-स्पर्शी ध्वनि समस्त वातावरण को आनंदमयी बना देती है । माँ दुर्गा के हाथ में शंख भक्तों को पवित्रता, भक्ति एवं श्रध्दा का सन्देश देता है ।