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जानें, अविवाहित स्त्री को क्यूं नहीं छूना चाहिये शिवलिंग
शिवलिंग को योनि (जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की रचनात्मक ऊर्जा है) के साथ ही पूजा जाता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं और कुवारी लड़कियां नहीं।
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हम आज तक यही मानते आए हैं कि अगर कुंवारी कन्या को अच्छा वर चाहिये तो, उसे सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहिये। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किंवदंतियों के अनुसार अविवाहित स्त्री को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं है। तो क्या यह सच है? अगर हां तो, आइये उठाते हैं सच से पर्दा...
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लिंगा पूजा
कहानियां यह बताती हैं कि अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग के पास इसलिए नहीं आना चाहिए क्योंकि शिव सबसे पवित्र और हर वक्त तपस्या में लीन रहते थे।
पवित्र जगह
शिव मंदिरों में ध्यान और पूजा की जाती है इसलिए यह जगह बहुत पवित्र और आध्यात्मिक मानी जाती है। इसलिए इस जगह पर अकेली लड़कियों का आना मना होता है।
पूजा के दौरान सतर्कता
भगवान शंकर के ध्यान के दौरान यह सावधानी रखी जाती थी कि कोई भी देवी या अप्सराएं भगवान के ध्यान में विग्न ना डालें।
पुराणों से संबंधित पूजा
यह माना जाता है कि अनजाने में भी कई गलती बहुत बड़े विनाश का कारण बन सकती है। इसलिए पुरानी मानयताओं के मुताबिक महिलाओं का शिवलिंग के पास आना माना है।
अविवाहित लड़कियां पूजा नहीं कर सकती
क्या इसका मतलब है कि कुवारी लड़कियां शिव जी की पूजा नहीं कर सकती हैं? नहीं ऐसा नहीं है, वे पूजा कर सकती हैं लेकिन शिव और माता पार्वती के साथ।
16 सोमवार व्रत
वास्तव में कई अविवाहित लड़कियां सोमवार को 16 सोमवार का व्रत रखती हैं।
भगवान शिव का दिन
सोमवार को भगवान शिव का दिन माना गया है। ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव से आदर्श पति और कोई नहीं था, इसलिए कुवारी लड़कियां सोमवार का व्रत रखती हैं, कि उन्हें शिव जी तरह का पति मिले।
भोलेनाथ के लिए व्रत रखती है
यह उपवास किसी भी सोमवार को रखा जा सकता है, लेकिन हिंदू कैलेंडर के श्रावण माह में रखे हुएउपवास सबसे ज्यादा लाभदायक होते हैं।
पूजा करने के रीति रिवाज अलग
हर राज्य में अलग अलग रीती रेवाज होते हैं जैसे, दक्षिण भारत में मंदिरों में की जाने वाली पूजा सिर्फ वहां के पुजारी ही करा सकते हैं। जबकि उत्तर में, भक्त खुद ही पूजा कर सकते हैं।
घर में की जाने वाली पूजा
दक्षिण भारत में, घर में की जाने वाली पूजा पुरुष ही कर सकते हैं। वे शिवलिंग या मूर्ति का अभिषेक करते हैं और वहीं औरते सिर्फ उन्हें आवश्यक सामग्री और प्रसाद बनाने में मदद करती हैं।
शिवलिंग की पूजा पानी से
नदी में स्नान कर के नदी के जल से ही शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। और इस पर कोई भी प्रतिबंध नहीं है।
लिंग पुराण
लिंग पुराण के अनुसार सारे पुरुष शिव के ही अमशा अंश हैं और औरते पार्वती हैं। रामायण में सीता द्वारा शिव जी की पूजा का उल्लेख है, कि उन्होंने शिव और कात्यायनी (पार्वती) के लिए पूजा की थी।
रामेश्वरम में रेत का शिवलिंग
माना जाता है कि रामेश्वरम में रेत से सीता जी ने शिवलिंग बनाया था। जिसका श्री राम ने पूजन किया था क्योंकि श्री हनुमान दूसरा शिवलिंग लाने के लिये काशी गए हुए थे।
आस्था में अंधविश्वास रखिये
मन से सारे अंधविश्वास को हटा दीजिये। शुद्ध मन से की गई भक्ति ज्यादा जरुरी है। शिव की पूजा सच्चे मन से करें और उनका आशीर्वाद पाएं। बल्कि आज अगर कुछ लड़कियों से पूछा जाए तो वह यह कहती है कि हमे कोई पूजा करने से नहीं रोक सकता है।