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कैसे जाने आध्यात्मिक जागृति के लक्षण
बनावटीपन
से
दूर
होने
के
लिए
दुनिया
में
कई
लोग
हर
दिन
प्रयास
करते
है
कि
वह
खुद
में
आध्यात्मिक
भाव
को
जगा
लें।
मैनें
खुद
के
कई
अनुभवों
इस
प्रकार
की
जानकारी
को
इक्ट्ठा
किया
है
कि
लोग
किस
प्रकार
खुद
को
आध्यात्म
की
ओर
झुका
रहे
है।
जानिए
और
देखिए
कि
इनमें
से
कौन
से
लक्षणों
से
आप
रू-ब-रू
हो
रहे
है
और
आपका
झुकाव
है
:
कैसे
जाने
आध्यात्मिक
जागृति
के
लक्षण
1. संयोग में वृद्धि : (किसी भी काम को अचानक से हो जाना) आप जो सोचते है वही हो जाता है या आपकी सोच, भेदक, सहज ज्ञान और कौशल में वृद्धि होना। मौत से मत डरो, जीना शुरू करो
2. खुद को खोजने की इच्छा: अपने सोशल ग्रुप, व्यवहार या नौकरी आदि को बदलना। लोगों या भीड़ में अचानक से उत्तेजित हो जाना। आपका मिलनसार स्वभाव अचानक से गायब हो गया हो और यहां तक कि कुछ परिवारीजनों, दोस्तों और सहकर्मियों के साथ भी रहना या बात करना पसंद नहीं करते है।
3. अचानक से रिश्तों या बार-बार आने वाले पैटर्न के बारे में जागरूक होना - पहले आपके जिनके साथ करीबी रिश्ते थे, अब उन्ही के साथ बातचीत करने में भी रूझान का न होना।
4. किसी भी सटीक कारण के न होते हुए भी आपको आतंक, हमलों आदि की चिंता होना: आपको ऐसा महसूस होना कि लोगों के प्रति आपकी सोच ज्यादा बढ़ने लगी या आपको परिवर्तन महसूस होना।
5. भीड़ भरे इलाकों, मॉल्स, रेस्टोरेंट, क्लब, त्यौहारों आदि पर तीव्र संवेदनशीलता।
6. डिजीटल फोन, लैपटॉप, कम्प्यूटर, वॉयरलेस रॉउटर और सभी माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी को लेकर ज्यादा सवेंदनशील होना, साथ ही साथ लाइटिंग को लेकर भी। गणपति को चिंतामणि क्यों कहा जाता है
7.
आपकी
एनर्जी
लेवल
में
बदलाव
आना
-
ज्यादा
देर
तक
सोना
या
ज्यादा
नींद
आना।
8. सो जाना और रात में अचानक से उठ जाना और टहलने लगना, नींद नहीं आना पर उठने का मन नहीं करना, थका महसूस न करना फिर आराम की जरूरत महसूस करना। (यह चिन्ह् है कि आपके अंदर कुछ नया चल रहा है।)
9. पैरों या भुजाओं में अजीब सी इलेक्ट्रिकल एनर्जी को पास होना। (ऐसा गैलेटिक सेंटर फ्लोडिंग प्लानेट से उठने वाली आवृत्तियों के कारण होता है। यह एनर्जी, शारीरिक रिवायरिंग और लाइट बॉडी की प्रक्रिया में सहायक होता है जो उच्च वाइव्रेटिंग एनर्जी को बॉडी में लाती है।)
10. शारीरिक अनुभवों की पूरी श्रृंखला शरीर से निकलने वाले डिटॉक्सीफिकेशन के कारण होता है - शारीरिक, कार्मिक, भावनात्मक और मानसिक विषाक्त अपशिष्ट, जो कि निम्मलिखित लक्षणों को पनपाते है - थकान और भारीपन, ज्यादा प्यास, पेट में गड़बड़ी, ऐंटन, सिरदर्द आदि। खासकर शरीर के निचले ऊपरी हिस्से यानि सिर में दर्द, आखों, गले, नाक और कंधों में दर्द होना।
11. चक्कर आना: संतुलन की समस्या और स्पेसी भावना आना। (चेतना की उच्च अवस्था में किसी के द्वारा होना)
12.
कांपना
:
भूख
का
बढ़ना,
ज्यादा
वजन
बढ़ना,
वजन
बढ़ने
या
घटने
से
कोई
मतलब
नहीं,
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता
कि
आप
कितना
कम
या
ज्यादा
खाते
है।
(क्योंकि
आपके
शरीर
को
तीसरे
से
पांचवी
आवृत्ति
में
जाने
में
ज्यादा
ऊर्जा
लगती
है।)
13.
अचानक
तेजी
से
भूख
लगना:
ऐसा
लगना
जैसा
आपको
कई
दिनों
से
खाना
ही
न
मिला
हो,
बचपन
की
तरह
से
भूख
लगना।
(इससे
आपको
बचपन
की
यादों
को
ताजा
करने
का
मौका
मिलता
है
और
एक
सुखद
स्मृति
से
आप
जुड़
जाते
है।)
- प्रकृति के साथ मजबूत सम्बंध।
- आप जो पढ़ते है, जो देखते है या जो सुनते है उसमें परिवर्तन आना।