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दिगंबर जैन मंदिर

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दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर लाल किला और चांदनी चौक के सामने स्थित है, जो जैन मतावलंबियों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यहाँ मंदिर 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है। जैन मतावलंबियों के दिल्ली स्थित 170 मंदिरों में से एक इस मंदिर में श्रद्घालुओं की संख्या सबसे ज्यादा रहती है।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन मुगल बादशाह शाहजहां के फौजी अफसर ने करवाया था। शुरुआत में इसे खेती के कूचे का मंदिर और लश्करी का मंदिर कहा जाता था। कुछ लोग उर्दू बाजार में होने के कारण इसे उर्दू मंदिर भी कहा करते थे।

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Digambar Jain Mandir

1656 से पहले इस मंदिर के स्थान पर मुगल सैनिकों की छावनी हुआ करती थी। कहा जाता है कि सेना के एक जैन अधिकारी ने दर्शन के लिए यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा रखी थी। सेना के दूसरे जैन अधिकारियों और सैनिकों को जब इसका पता चला तो वे भी श्रद्घावश दर्शन के लिए आने लगे। धीरे-धीरे छोटे से मंदिर के रूप में यह जगह विकसित हुई और फिर बाद में 1935 में नवीनीकरण के द्वारा इस मंदिर को भव्य रूप प्रदान किया गया।

इस नवीनीकरण में मंदिर में लाल दीवारों का निर्माण हुआ। बगैर पुजारी वाले इस मंदिर में पूजा करने का अपना एक विधान है। यहां श्रद्घालु स्वयं पूजा करते हैं। हां, पूजा की सामग्री आदि मामलों में उन्हें सहयोग के लिए एक व्यक्ति होता है, जिसे व्यास कहा जाता है।

आठ वेदियों वाले इस मंदिर में सबसे प्राचीन वेदी पर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है। एक दूसरी वेदी पर एक ओर 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ की यक्षिणी पद्मावती की प्रतिमा विराजमान है। मंदिर में चारों दिशा की ओर मुंह किए चार मूर्तियां स्थापित की गई हैं। यह बाहर से आने वाले श्रद्घालुओं के दर्शन के लिए की गई थी।

English summary

Digambar Jain Mandir

Shri Digambar Jain Lal Mandir is oldest jain temple in old Delhi. Lal Mandir located at Netaji Subhas Marg, Chandni Chowk and opposite the Red Fort. Lal Mandir is the oldest temple of the Jain religion. Temple build was built in 1656.
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