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नवरात्र के चौथे दिन करते हैं मां कुष्‍मांडा की पूजा

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आज नवरात्री का चौथा दिन हैं और सुबह से ही आदिशक्ति के चौथे रूप मां कुष्‍मांडा की पूजा अर्चना करने में लोग मंदिरों में भीड़ लगाने लगे हैं। मां कुष्‍मांडा का नाम तीन शब्‍दों पर रखा गया है, कु, उष्‍मा और अंडा। जिसमें से कु का मतलब होता है छोटा, उष्‍मा का मतलब शक्‍ति या गर्माहट और अंडा तो आप जानते ही हैं। मूल रूप से माना जाता है कि इस ब्रह्मांड की रचना करने वाली कुष्‍मांडा मां ने इस संसार कोउष्‍मा से भरे एक छोटे से अंडे की तरह बनाया है।

अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। यह भी कहा जाता है कि जब ब्रह्मांड नहीं बना था और चारों ओर अंधकार फैला हुआ था तब मां कुष्‍मांडा ने अपनी मुस्‍कुराहट से पूरे ब्रह्मांड में उंजाला फैला दिया। इन देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्‍योंकि इनकी आठ भुजाएं हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में स भी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।

Story Of Devi Kushmanda: The Smiling Goddess

मां कुष्‍मांडा वही हैं जो पूरे ब्रह्मांड को खुद निंयत्रित करती हैं। यह तब से हैं जब पूरी द‍ुनिया पर अंधकार का कब्‍जा था। तब इन्‍होंने अपनी मुस्‍कान की छटा बिखेरी और पूरी दुनिया में रौशनी ही रौशनी भर उठी। यह वही हैं जो सूरज को इतनी शक्‍ति देती हैं कि वह चमक सके। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है।

इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। इन देवी की सवारी सिंह है और इन्‍हें कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।

विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है।

मां कुष्‍मांडा को खुश करने के लिये ये जाप जपें-
"सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे"

English summary

Story Of Devi Kushmanda: The Smiling Goddess

Today is the fourth day of Navratri. According to the sequence of the worship of Navadurgas, the presiding deity of the fourth day is Devi Kushmanda. Goddess Kushmanda is the fourth manifestation of Goddess Durga.
Story first published: Tuesday, October 8, 2013, 18:20 [IST]
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