For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

जानिए, मासिक धर्म के बारे में क्या कहते हैं भारतीय धर्म

By Lekhaka
|

मासिक धर्म वर्जना एक सामाजिक वर्जना है जो मुख्य रूप से महिलाओं के मासिक चक्र से संबंधित होती है। भारत में मासिक धर्म को एक सामाजिक प्रतिबंध के रूप में देख जाता है जहाँ महिला का मासिक धर्म आने पर उसे दोषपूर्ण माना जाता है। अधिकाँश समाजों और धर्मों में मासिक धर्म को तथा ऐसी महिला जिसे मासिक धर्म हुआ है उसे अस्वच्छ माना जाता है।

विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में मासिक धर्म को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जाता है परन्तु भारतीय समाज में आज भी इसे कलंक के रूप में देखा जाता है। यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों में मासिक धर्म से जुडी वर्जनाओं के बारे में बता रहे हैं। आइए देखें कि विभिन्न धर्मों में मासिक धर्म संबंधी क्या वर्जनाएं हैं।

menstrual taboos across India

1. हिंदू धर्म: हिंदू धर्म के अनुसार जिस महिला को मासिक धर्म हुआ है उसे अस्वच्छ माना जाता है तथा उसे नियमों का पालन करना पड़ता है। हिंदू धर्म में जिस महिला को मासिक धर्म आया हुआ है वह किचन (जिसमें पूजा का कमरा भी हो) और मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकती। उसे जोर से बोलने का, फूल पहनने का तथा किसी व्यक्ति को स्पर्श करने का अधिकार नहीं होता। जी हाँ, इन रिवाजों का आज भी पालन किया जाता है! मासिक धर्म से ग्रसित महिला को समाज में निषिद्ध माना जाता है जो मासिक धर्म की अवधि समाप्त होने तक अपने परिवार से भी नहीं मिल सकती।

Also Read: जानें, मासिक धर्म के समय किन-किन फूड का सेवन नहीं करना चाहिये

menstrual taboos across India

2. इस्लाम: मासिक धर्म के दौरान महिला किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यों या रीति रिवाजों में भाग नहीं ले सकती। इस्लाम धर्म में इस दौरान किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध बनाना पूर्ण रूप से वर्जित है। मासिक धर्म के दौरान महिला त्यौहार में उपस्थित रह सकती है परन्तु भगवान की प्रार्थना में भाग नहीं ले सकती।

menstrual taboos across India

3. ईसाई धर्म: अस्वच्छता की अवधारणा पर ईसाई धर्म में मासिक धर्म से ग्रसित महिला को अस्वच्छ माना जाता है। अन्य लोग ऐसा सोचते हैं कि इस नियम को तोडना चाहिए क्योंकि भगवान ईशु ने अपने इलाज के लिए मासिक धर्म से ग्रसित महिला को स्पर्श करने की अनुमति दी थी।

menstrual taboos across India

4.सिख धर्म: सिख धर्म के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिला को उसे उतना ही शुद्ध माना जाता है जितना पुरुष को। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक ने मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध मानने के विचार की निंदा की। इस धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिला को अशुद्ध नहीं माना जाता बल्कि इस दौरान वह भगवान की पूजा भी कर सकती है तथा सेवा भी कर सकती है। इसके द्वारा सिख धर्म ने यह सन्देश दिया कि मासिक धर्म के दौरान महिला शुद्ध होती है क्योंकि मासिक चक्र भगवान द्वारा दिया गया एक उपहार है।

menstrual taboos across India

Also Read: घर में धन की वर्षा होने लगेगी अगर वहां से तुरंत हटा देंगे ये चीज़ें

5. यहूदी धर्म: यहूदी धर्म के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसी महिला को स्पर्श कर लेता है तो वह तब तक शुद्ध नहीं होता जब तक वह नहा नहीं लेता। यहूदी धर्म में इस दौरान शारीरिक संबंध बनाना पूर्ण रूप से वर्जित है तथा जो भी इसका पालन नहीं करता उसे कड़ी सज़ा दी जाती है।

menstrual taboos across India

6. कश्मीर में विशेष नियम: मासिक धर्म के संबंध में कश्मीरियों के अपने विश्वास और वर्जनाएं हैं। राज्य के नियम के अनुसार मासिक धर्म के दौरान महिला को अछूत नहीं माना जा सकता। बल्कि पूरा परिवार उसकी देखभाल करता है। कश्मीरियों के अनुसार जो महिला मासिक धर्म से गुज़र रही होती है उसकी सेवा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

English summary

Menstrual Taboos According To Various Religions In India

Did you know that there are several menstrual taboos that are followed in various religions in our country. Read on to know more.
Story first published: Thursday, November 17, 2016, 11:10 [IST]
Desktop Bottom Promotion