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इस रेस्त्रां में लोग कब्रों के बीच में बैठकर खाते है खाना
अहमदाबाद का एक रेस्त्रां जो कब्रों के पास बिठाकर अपने कस्टमर्स को फूड सर्व करता है। आइए जानते है इस अनोखे रेस्त्रां के बारे में।
क्या आपने कभी किसी ऐसे रेस्त्रां में बैठकर चाय पी है? जहां आस पास कब्र हो, कब्र भी एक दो नहीं पूरी 26 । आप सोच रहे होंगे कि हम रेस्त्रां की बात कर रहें है या किसी कब्रिस्तान की। आज हम आपको एक ऐसे रेस्त्रां के बारे में बताने जा रहे है। जिसके अंदर कस्टमर्स कब्रों की बीच में बैठकर अपनी चाय और स्नैक को एंजॉय करते है। जी हां हम बात कर रहे है अहमदाबाद के लाल दरवाजा स्थित न्यू लकी रेस्टोरेंट के बारे में।
यह कैफे अपने चाय और बन मस्का से ज्यादा रेस्त्रां के बीचों बीच बने कब्रों की वजह से ज्यादा जाना जाता है। यहां तक कि मशहूर आर्टिस्ट एमएफ हुसैन भी इस रेस्त्रां में आकर कई दफा चाय पी चुके हैं।
कभी था टी स्टॉल
इस रेस्त्रां की शुरुआत 1950 में मुस्लिम कब्रिस्तान के बाहर एक छोटे से टी स्टॉल के रुप के एच मुहम्मद ने की थी। इसके बाद जैसे जैसे यह जगह पॉपुलर होने लगी। उन्होंने इस रेस्त्रां को धीरे धीरे कब्रों के आसपास तक फैलाना शुरु किया। कई सालो तक यह रेस्त्रां चलाने के बाद उन्होंने यह रेस्त्रां कृष्णन् कुट्टी नायर को बेच दिया।
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26 कब्रे है रेस्त्रां में
इस रेस्त्रां के अंदर बीचो बीच करीब 26 कब्रे बनी हुई हैं। यहां आने वाले लोग इस कैफे की सिग्नेचर डिश बन मस्का और चाय को इन मरे हुए लोगों के साथ एंजॉय करते हैं। इन कब्रों की सलामती के लिए इन्हें चारों तरफ से लोहे की सलाखों से सील कर दिया गया है। इसके अलावा वो ध्यान रखते है कि इन कब्रों की रोजाना सफाई होनी चाहिए और इन्हें चमकदार कपड़े के साथ ही फूलों से सजाया जाता है।
एम एफ हुसैन ने गिफ्ट की थी पेंटिंग
विश्व के जाने माने आर्टिस्ट एमएफ हुसैन यहां नियमित तौर पर आया करते थे। उन्हें इस रेस्त्रां का अनुभव इतना अच्छा लगा कि उन्होंने इस रेस्त्रां के ऑर्नर को खुद के द्वारा बनाई गई एक पेंटिंग गिफ्ट की थी। जो आज भी इस रेस्त्रां की एक दिवार की शोभा बढ़ाए हुए है।
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कई देसी विदेशी मीडिया ने किया है कवर
इस रेस्टोरेंट्स के बारे में अभी तक कई इंटरनेशनल मीडिया तक कवर कर चुकी है। हिस्ट्री टीवी पर तो इस रेस्टोरेंट पर बनाए गए डॉक्यूमेंट्री को तो 9 घंटे में ऑनलाइन अपलोड करने के 9 घंटे के अंदर ही 4 लाख 60 हजार दर्शक ने इस शॉर्ट मूवी को देखा।
जितनी मुंह उतनी बातें
कब्र के आस पास बैठकर खाना खाने या चाय पीने से किसी को कोई दिक्कत नहीं है। यहां रोजाना अच्छी खासी भीड़ इस रेस्त्रां में आता में है। कई लोग कब्र के पास बैठकर खाना खाने को अच्छी नजर से नहीं देखते है। उनका कहना है कि यह उन मृत लोगों के लिए एक तरह से तिरस्कार है जो कब्र के अंदर दफन है। वहीं इस रेस्त्रा के मालिक कृष्णन कुट्टी का कहना है कि यह कब्रिस्तान उनके लिए गुड लक लेकर आया है इसी की वजह से हमारा बिजनस फल फूल रहा है। इसकी वजह से लोगों को एक अलग तरह का एक्सपीरियसं मिलता है। वो बताते है कि हमने इन क्रबों को वैसे ही रखा है, जैसे वो पहले थे। हमारे कस्टमर्स को भी आज तक इनसे कोई दिक्कत नहीं हुई।