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क्या आप जानते हैं कि लंगड़ा आम का नाम लंगड़ा कैसे पड़ा?
आम की एक शानदार किस्म है लंगड़ा, जो कि माध्यम आकार का, अंडाकार और हरा होता है। आइये जानते हैं कि इस आम का नाम लंगड़ा कैसे पड़ा?
भारत में लगभग 1500 तरह की आम की क़िस्मों की खेती की जाती है और हर आम का अपना एक अलग स्वाद और फ्लेवर होता है।
ज्यों ही गरमियाँ आती हैं तो ही बाज़ार में दशहरी, चूसस, अल्फांसॉस और तोता परी जैसे आम की किस्में बाज़ार में आ जाती हैं। इसकी एक शानदार किस्म है लंगड़ा, जो कि माध्यम आकार का, अंडाकार और हरा होता है।
टाइप 2 डायबिटीज़ और मोटापे से दिलाए छुटकारा आम के पत्तों की चाय
नींबू जैसे पीले रंग का इसका गूदा रसभरा होता है और इसमें रेशे होते हैं। हममें से अधिकतर लोग इसके अजीब नाम से आश्चर्य करेंगे। हम बताते हैं आपको इसके बारे में, आइये जानें...
दिखने में कैसा होता है यह आम
मई से अगस्त के बीच आने वाला यह आम हरा होता है और इसका आकार माध्यम से बड़े तक होता है। इसके गूदे में फायबर नहीं होता है, हल्का पीले रंग का होता है और पकने के बाद अच्छी महक रखता है। अन्य क़िस्मों की तुलना में यह ज़्यादा मीठा और मुलायम होता है। इसका बीज समतल और गोल आकार का होता है। यह पकने के बाद भी हल्का कलर ही रखता है जब कि अन्य क़िस्मों में पकने के बाद रंग पीला हो जाता है।
कहां मिलता है यह आम
यह उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में उगाया जाता है। यह आम कई तरह की मिट्टी में और वातावरण में पैदा होता है।
लंगड़ा आम का इतिहास
लंगड़ा एक हिन्दी शब्द है जिसका अंग्रेजी में मतलब है ‘लेम' यानि लंगड़ा। इसकी उत्पत्ति बनारस से मानी जाती है। पूर्व में आम की खेती करने वाले पदम श्री हाजी कलीमुल्लाह के अनुसार "मेरे मामू साहब ने लगभग 250-300 सालों पहले इसकी खेती की। वे बनारस में रहते थे, उन्होने एक आम खाया और उसका बीज अपने घर के आँगन में लगा दिया। पैर से लंगड़ा होने के कारण उन्हें गाँव में रिश्तेदार और साथी लंगड़ा कहते थे। उसके पेड़ के आम मीठे और गूदे से भरे थे। उस पेड़ और उसके फलों को आगे जाकर ‘लंगड़ा' नाम से जाना जाने लगा"। वे ये भी कहते हैं कि हालांकि लंगड़ा आम देश में हर जगह मिलता है लेकिन जो स्वाद बनारस के आम में है वो और कहीं के आमों में नहीं।
वे याद करते हैं कि पहले दिल्ली के तालकटोरा में नुमाइश (प्रदर्शनी) लगी थी और इसमें मैंने कुछ अमेरिकन दोस्त बुलाये थे। हमने उनको कई तरह के आम दिये। हमने पूछा कि सबसे अच्छा कौनसा है तो उन्होने लंगड़ा ही सबसे अच्छा है जो कि ज़्यादा मीठा (बिना पका) नहीं था जो कि अमेरिकन स्वाद के अनुसार था।
हाजी कलीमुल्लाह का नाम हुआ लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज
पदम श्री हाजी कलीमुल्लाह पुराने समय में बागवानी करते हैं और उत्तर प्रदेश के मलीहाबाद में अपनी आम के किस्में उगाने के लिए जाने जाते हैं। आम की 300 से ज़्यादा किस्में उगाने के साथ ही ‘अनारकली' नामक किस्म का आम उगाने के कारण उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकोर्ड्स में दर्ज है। उन्होने अपने बगीचे में 5 नई किस्में उगाई जिन्हें नयनतारा, एश्वर्या, नर्गिस और जाहनारा के नाम से जाना जाता है। साल 2014 में, उन्होने एक आम का पेड़ उगाया जिसे इन्होने ‘नमो' नाम दिया जो कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित है। खान साहब इसे प्रधानमंत्री जी को गुजरात में उगाने के लिए देना चाहते हैं। उन्होने तीन नई किस्में भी उगाई है जो कि मोहम्मद आज़म खान, विधान सभा के सदस्य, बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर हैं।