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मातृत्व से जुड़े 5 छिपे रहस्य

By Super
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अब तक आपने सभी को खुशखबरी सुना दी होगी और सभी ने अनगिनत सुझाव दियो होंगे। लेकिन कुछ ऐसी बाते हैं जिसे परिवारवाले और आपके परम मित्र आपसे छिपा रहे हैं। पहला मातृत्व सुख खुशियों के साथ-साथ कुछ चिन्तायें भी लेकर आता है। चाहे आप जितनी ही तैयारी कर लें लेकिन कुछ चीजें ऐसी हो ही जाती हैं जिनकी जानकारी आपको नहीं होती।

खतरों के सपने संसार में सुरक्षा कहीं भी नहीं होती। लेकिन आपके नन्हें मेहमान के आने के बाद हर खतरा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी बढ़कर लगेगा। जब दोस्त और परिवार के सदस्य आपके बच्चे की तरफ बढ़ेगे तो आपकों उनके हाथों पर कीटाणुओं का साया दिखेगा।

 5 Hidden truths about motherhood

ध्यान के केन्द्रबिन्दु में बदलाव आता है: अब तक के नौ महीनों में परिवार के सदस्यों और दोस्तों द्वारा अपने आप को विशेष महसूस करने की आदत पड़ गई होगी। सभी आपके स्वास्थ्य के बारे में पूछते हैं और आप जो चाहें घर लाते हैं। यह आपको कोई नहीं बतायेगा कि बच्चे के आने के बाद आपका यह जलवा छिन जायेगा। अब बच्चे का पोषण, उसे कपड़े पहनाना और सुलाना आपकी जिम्मेदारी होगी और सारा ध्यान, उपहार और संदेश बच्चे के नाम होंगे। इस बात का सामना करें कि अब आप हमेशा के लिये दूसरे नम्बर पर आयेंगीं।

स्तनपान कराना कठिन होता है:
आप सोचती होंगी चूँकि यह स्वाभाविक है इसलिये इसके बारे में कुछ नहीं करना होगा लेकिन स्तनपान कराना मातृत्व में महारथ हासिल करने के लिये सबसे कठिन काम है। बच्चे का मुँह न लगाना, पर्याप्त दूध न होना, स्तन में दर्द होना, नलिकायें अवरूद्ध होना या फिर संक्रमण जैसी कई परेशानियाँ आ सकती हैं। हार्मोन की कमजोरी और नींद की कमी के साथ इन सभी समस्याओं से जूझने में आपको अपराधबोध और अधूरेपन का अहसास होगा।

डॉक्टर या नर्स की सहायता से तकनीक को समझें और ऐसा कदापि न समझें कि आप एक खराब माँ हैं। चिन्ता छोड़ कर अपने पोषण और पानी का ध्यान रखें। अपर्याप्त स्तनपान से आपका बच्चा मनोरोग से ग्रस्त नहीं हो जायेगा।

राई का पहाड़ बनना: मातृत्व से पूर्व आप कई काम एक साथ कर लेती थीं। लेकिन नन्हे मेहमान के आने के बाद किस कम्पनी का साबुन इस्तेमाल करना है, यही सोचकर रोना आ जाता है। आप थकावट और आभीभूत महसूस करती हैं और इस बात से हमेशा चिन्तित रहती हैं कि आप हर चीज जो करती हैं उससे बच्चे पर क्या असर पड़ेगा। बारीकियों में न जाकर जहाँ से मदद मिले उसे स्वाकार करें।

आप प्रतियोगी हो जायेंगीं: हम अपने बच्चों को बिना किसी तुलना के अनोखा और पूरे का अहसास कराना चाहते हैं। लेकिन सबसे मजबूत भी चुनौती में हारते हैं। नये माता-पिता लगातार मील के पत्थरों की बातें करते हैं जिससे कमी का अहसास होता है। आप भी बिना किसी देरी के मील के पत्थरों को पाने में चूक

जाने से कमी महसूस करेंगीं:
बेहतर होगा कि बातचीत को हल्के-फुल्के मुद्दों या बच्चों के ध्यान की तरफ मोड़े। अगर बहस में ऐसा कर पाना सम्भव न हो तो बहस ही छोड़ दें।

Story first published: Friday, July 25, 2014, 16:54 [IST]
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