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माताओं में डिप्रेशन का एक कारण - गरीबी
शोधकर्ता ओलिविया गोल्डन कहती हैं, "एक ऐसी मां जो सुबह सोकर उठने के साथ ही बहुत ज्यादा दुखी होती है वह अपने बच्चे की व्यवहारिक आवश्यकताओं की बहुत ज्यादा देख-रेख नहीं कर सकती।" उन्होंने कहा, "यदि वह अपने बच्चे से बात न कर सके, उसके साथ खेल न सके, उसे देखकर खुश न हो तो इसका असर बच्चे के विकास पर पड़ता है। मस्तिष्क विकास रिपोर्ट बताती है कि ये मातृत्व के ऐसे लक्षण हैं तो बच्चों के सफल विकास के लिए जरूरी है।"
अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि गरीबी और मां के तनाव और अवसाद से जूझने के कारण इन बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते और अधिकांश बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। समाचार पत्र 'द वाशिंगटन पोस्ट' ने 'अर्बन इंस्टीट्यूट' के शोधकर्ताओं के हवाले से बताया है कि गरीबी में जन्म लेने वाले नौ नवजातों में से एक की मां अवसादग्रस्त होती है और ऐसी माताएं अन्य माताओं की तुलना में अपने शिशु को अल्प समय के लिए स्तनपान कराती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अवसादग्रस्त माताओं में से केवल 30 प्रतिशत ही अपनी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के लिए मनोचिकित्सक से संपर्क करती हैं। बची हुई 70 प्रतिशत महिलाओं को इससे निकलने के लिए मदद की जरूरत है। सभी आय वर्गो की माताओं में अवसाद सामान्य है, 41 प्रतिशत महिलाओं में इसके सामान्य लक्षण होते हैं जबकि सात प्रतिशत में इसके गंभीर लक्षण होते हैं।'अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स' के मुताबिक बच्चों को पहले एक वर्ष स्तनपान कराया जाना चाहिए।