Just In
- 1 hr ago Real Vs Fake Shampoo : आपका शैंपू असली है या नकली, इन ट्रिक्स से पता करें अंतर
- 2 hrs ago Eggs Freeze कराएंगी मृणाल ठाकुर, कौन और कब करवा सकता है एग फ्रीज जानें यहां
- 3 hrs ago प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज होना नॉर्मल है या मिसकैरेज की तरफ इशारा, जानें यहां
- 4 hrs ago सफेद कपड़ों पर पड़ गए है पीले दाग, तो लांड्री में बेकिंग सोडा का यूं करें इस्तेमाल
Don't Miss
- News Guna News: महाआर्यमन सिंधिया का अनूठा अंदाज, बैलगाड़ी पर सवार होकर पापा के लिए वोट मांगे
- Technology इस दिन होने जा रहा Apple का स्पेशल इवेंट, नए iPad के साथ इन प्रोडक्ट्स की हो सकती है एंट्री
- Movies Salman Khan Case: शूटर्स के पास थीं 40 गोलियां, पुलिस को चकमा देने के लिए किया था ये काम, अब 4 दिनों के लिए...
- Finance Bengaluru Lok Sabha Election 2024: फ्री Rapido,बीयर.! वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए वोटर्स को दिए जा रहे ऑफर्स
- Travel 5 दिनों तक पर्यटकों के लिए बंद रहेगा शिमला का 'द रिट्रीट', क्या है यह और क्यों रहेगा बंद?
- Automobiles करोड़ों की संपत्ति का मालिक, लग्जरी कारों का कलेक्शन, फिर भी Maruti की इस कार में चलते दिखे Rohit Sharma
- Education CCS यूनिवर्सिटी ने जारी की जून सेमेस्टर के LLB और LLM की डेटशीट 2024, 18 मई से होंगे एग्जाम
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
गर्भावस्था से जुड़ी 10 आम समस्याएं
बच्चे को जन्म देना बहुत की कठिन काम है, अपनी ज़िन्दगी में कोई भी महिला इस दौरान सबसे अधिक खुश रहती है। हालाँकि सच बात यह है कि सभी गर्भावास्थायें आसान नहीं होती। हालाँकि महिलाओं से जुड़ी हुई कई समस्याएं होती हैं परन्तु गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं बहुत ख़राब होती हैं तथा दुःख की बात यह है कि आप इसके बारे में कुछ नहीं कर पाते।
गर्भावस्था के दौरान अच्छी तरह सोने के 6 तरीके
गर्भावस्था के दौरान कई कुछ जटिल समस्याएं आ सकती हैं तथा उनमें से कुछ बहुत गंभीर भी हो सकती हैं। यहाँ महिलाओं में पाई जाने वाली कुछ आम समस्याएं बताई गयी हैं।
10. ग्रुप बी स्ट्रेप!
गर्भावस्था के दौरान कभी कभी कुछ बच्चों को जीबीएस का संक्रमण हो जाता है। स्वाभाविक रूप से बच्चे को में यह संक्रमण मां से ही आता है। इसे रोकने के लिए आपको अपना स्वयं का जीबीएस बैक्टीरिया का परीक्षण करवाना होगा। गर्भावस्था के 35 वें या 37 वें महीने में आप इस संक्रमण की जांच के लिए अपना कल्चर टेस्ट करवाएं तथा उसके अनुसार दवाईयां लें। यदि आपके पास अच्छा स्वास्थ्य सलाहकार है तो इस मामले में आपको उचित मार्गदर्शन मिल सकता है।
9. आरएच डिज़ीज़!
गर्भावस्था के दौरान मां को ब्लड टेस्ट करवाना पड़ता है। इस ब्लड टेस्ट से आरएच फेक्टर का पता चलता है। यदि आपका आरएच फेक्टर निगेटिव है तथा आपके पति का आरएच फेक्टर पॉज़िटिव है और आपके बच्चे ने यदि आपके पति का पॉज़िटिव ब्लड को विरासत में लिया है तब गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। आपका इम्यून सिस्टम आपके बच्चे के पॉज़िटिव ब्लड को पहचानता है तथा आपके बच्चे के शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं को मारने का प्रयत्न करता है। परंतु सौभाग्य से एक विशेष इंजेक्शन द्वारा इसे रोका जा सकता है।
8. प्री टर्म लेबर!
सामान्यत: बच्चा गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह के बाद जन्म लेता है। हालाँकि यदि कोई बच्चा इसके पहले जन्म लेता है तो उसे प्रीमेच्योर कहा जाता है। इन बच्चों पर पूरे समय ध्यान देने की आवश्यकता होती है। परंतु आप खतरे के संकेत को समझते हुए जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करके इसे रोक सकते हैं।
7. हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)!
दस प्रतिशत से अधिक महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लडप्रेशर की समस्या हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली ब्लड प्रेशर की इस समस्या को टॉक्सीमिया या प्रीक्लाम्सिया कहा जाता है। यह बच्चे तथा मां के लिए बहुत गंभीर समस्या हो सकती है तथा समय पर इसका उचित इलाज आवश्यक है। अधिकांशत: वे महिलायें जिन्हें मधुमेह की समस्या है, जिनका वज़न अधिक है या जिनकी आयु पैंतीस वर्ष से अधिक है उन्हें हाई ब्लडप्रेशर की समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
6. प्लेसेंटा अब्ररप्शन या प्लेसेंटा प्रेविया!
प्लेसेंटा प्रेविया वह स्थिति होती है जिसमें आपका बच्चा सर्विक्स को ढँक लेता है, जिसके कारण प्रसव पीड़ा के लिए आपका सर्विक्स पतला हो जाता है जिसके कारण आपको बहुत अधिक मात्रा में रक्त स्त्राव हो सकता है। प्लेसेंटा अब्रराप्शन वह स्थिति होती है जिसमें बच्चा स्वयं को समय से पहले ही गर्भ की आंतरिक दीवार से अलग कर लेता है। यदि आपको बहुत अधिक ब्लीडिंग की समस्या आ रही है तो आपको शायद सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ सकती है।
5. मधुमेह!
यदि इस दौरान आपको डाईबिटीज़ हो जाता है तो यह आपके और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। लो ब्लड शुगर के कारण गर्भावस्था के दौरान कई समस्याएं आ सकती हैं। इसके कारण प्रसव के बाद बच्चे को कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे ब्लड शुगर, स्थायी न्यूरोलॉजिकल समस्या या पीलिया। इसके अलावा मां को भी कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, मूत्राशय में संक्रमण, बड़ा बच्चा होना या समय पूर्व प्रसव वेदना।
4. अक्षम सर्विक्स!
यदि समय पूर्व ही आपका सर्विक्स कमज़ोर हो गया है तो आपको पूरी गर्भावस्था के दौरान बेड रेस्ट करने की सलाह दी जाती है। यदि आपने ऐसा नहीं किया तो आपको समय पूर्व प्रसव वेदना हो सकती है। यह गंभीर स्थिति होती है अत: आपको इसे कम महत्वपूर्ण नहीं समझना चाहिए। इसमें डॉक्टर आपकी सहायता कर सकते हैं तथा आपके बच्चे को अधिक समय तक रख सकते हैं।
3.एक्टोपिक प्रेग्नेंसी!
यह समस्या तब आती है जब अंडा गर्भ के बाहर निषेचित होता है। यह बहुत आम समस्या है परंतु साथ ही यह बहुत खतरनाक समस्या भी है। यदि समय पर इसका पता नहीं लगाया गया तो यह समस्या बच्चे और मां दोनों के लिए घातक हो सकती है। सामान्यत: इस तरह की गर्भावस्था में मां को बहुत अधिक दर्द होता है तथा आप बहुत आसानी से इसका पता लगा सकते हैं।
2. गर्भपात!
यह गर्भावस्था की सबसे आम समस्या है जो लगभग 55 प्रतिशत महिलाओं को होती है। सामान्यत: पहले तीन महीने बहुत जटिल होते हैं तथा इस दौरान गर्भपात की संभावना अधिक होती है। यदि आपका गर्भ अच्छे से नहीं बढ़ रहा है तो स्वाभाविक है कि आपका भ्रूण समाप्त हो जाएगा। आपको बहुत अधिक ऐंठन होगी तथा गर्भपात होने पर बहुत अधिक मात्रा में रक्तस्त्राव होगा।
1. गर्भावस्था के प्रारंभिक दिनों में रक्तस्त्राव!
यह अच्छा लक्षण नहीं है। हालाँकि कुछ महिलाओं के लिए यह नुकसानदायक नहीं होता। वे महिलायें जिनमें प्रोजेस्ट्रेरान का स्तर कम होता है इन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आप डॉक्टर की सलाह, दवाई और टेस्ट द्वारा इसे ठीक कर सकते हैं। परन्तु कुछ महिलायें इस कारण अपना फीटस गवां देती हैं। यदि आपको रक्तस्त्राव की समस्या बहुत जल्दी हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर के पास जाकर जांच करवानी चाहिए तथा देखना चाहिए कि बच्चे के दिल में धड़कन है अथवा नहीं।