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महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग के 11 कारण
जब चिंता करने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो प्रेगनेंसी पीरियड डराने जैसा और दुखदाई होता है| सुबह उठते समय दर्द, स्तनों में और पैरों में सूजन और साइटिका जैसी समस्याएं इस समय पर खास तौर पर परेशान करती हैं| इसके अलावा सबसे डरावनी चीज जो कई महिलाओं में होती है वो है ब्लीडिंग|
फिर भी डॉक्टर्स कहते हैं कि इसके कई कारण हो सकते हैं, चाहे यह कितनी गंभीर हो लेकिन जरूरी नहीं है कि हर बार यह बच्चे के लिए खतरनाक हो| हम आपको बता रहें हैं प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग के 11 प्रमुख कारण और इनमें बच्चे पर होने वाले प्रभाव....
गर्भावस्था से संबंधित सामान्य समस्याएं
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग एक सामान्य बात है| डॉक्टर्स के अनुसार प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ब्लीडिंग तो 40 प्रतिशत महिलाओं में होती है| लेकिन इस ब्लड का रंग, ग़ाढापन और इसकी मात्रा से पता चलता है की समस्या कितनी गंभीर है| डार्क रेड और ब्राउन ब्लीडिंग का मतलब है कि यह पुरानी ब्लीडिंग है, इसका प्रेगनेंसी से कोई वास्ता नहीं है| यह सामान्य रूप से देखी जा सकती है और यह चिंताजनक बात नहीं है| चमकदार रेड ब्लड का मतलब है कि यह फ्रेश ब्लड है और इसकी मात्रा पर निर्भर करता है कि यह प्रेगनेंसी पर क्या असर डालेगा|
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
यह भी सामान्य है जब निषेचित अंडा गर्भाशय की परत से लगता है तो यह अक्सर होती है| यह ब्लीडिंग खास तौर पर गर्भधारण के 10 से 14 दिन बाद होती है|
समय से पहले प्रसव
इसे प्री टर्म लॅबोर भी कहते हैं यह बॉडी बच्चा जल्दी होने का संकेत देती है (खास तौर पर यह 20 वे सप्ताह और डिलीवरी से 3 सप्ताह पहले होती है|
संक्रमण
गर्भाशय और वेजिना पर इन्फेक्शन एसटीडी की कारण होती है| गोनोरेहा (सुजाक) और हर्प्स जैसी समस्याएं डिलीवरी के समय बच्चे में होती हैं| ध्यान रहे कि आपके डॉक्टर को इस स्थिति का पता रहे ताकि फैलाव को रोका जा सके|
सर्विकल पोलिप्स
आमतौर पर पैल्विक जांच के दौरान इसका पता चलता है| एस्ट्रोजन लेवल में वृद्धि, सूजन गर्भाशय नलिका में बंद रक्त वाहिनियों की अधिकता के कारण होता है| पोलिप्स बच्चे के लिए खतरनाक नहीं है| एक सामान्य इलाज से यह ठीक हो जाता है| इससे शुरुआत में ब्लीडिंग हो सकती है लेकिन ज्यादा रहे तो पहली तिमाही बाद गर्भपात भी हो सकता है|
गर्भपात
इसका सबसे मुख्य कारण पहली तिमाही में गुण सूत्रों का असंतुलन है| इसके अलावा आनुवंशिक असामान्यताएं, संक्रमण, दवा का रिएक्शन, हार्मोनल प्रभाव, और संरचनात्मक और रोग प्रतिरोधक असामान्यताएं आदि भी इसका कारण बनते हैं| इसे रोकने के तरीका या पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं है लेकिन ब्लीडिंग के समय बैड रेस्ट और सम्भोग ना करने की सलाह दी जाती है| इसके अलावा ब्लड कैसा निकल रहा है यह ध्यान दें| तेज दर्द, कमजोरी, बुखार, चक्कर आना आदि भी इसके लक्षण हैं|
प्लेसेंटा प्रेविआ
तीसरी तिमाही में ब्लीडिंग का यह मुख्य कारण है| यह समस्या तब होती है जब प्लेसेंटा गर्भाशय के निचली हिस्से में बढ़ती है और सर्विकल कैनाल को कवर कर लेती है| इस समय पर महिला को बेड रेस्ट करने, सम्भोग ना करने और भारी काम न करने की सलाह दी जाती है| यदि यह समस्या प्रेगनेंसी से पहले ठीक नहीं होती है तो फिर ऑपरेशन ही करना होता है|
प्लेसेंटल अब्रप्शन
1 प्रतिशत प्रेगनेंसी के मामलों में प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाती है और प्लेसेंटा और गर्भाशय के बीच ब्लड इकठ्ठा हो जाता है| इस पर जल्दी ध्यान देना जरूरी है नहीं तो ऑक्सीजन और ब्लड नहीं मिलने के कारण बच्चे की अकाल मृत्यु भी हो सकती है| इससे माँ का खून बहने का भी डर रहता है|
गर्भाशय को नुकसान होना
यदि पहले के किसी ऑपरेशन के कारण मांसपेशियां कमजोर होती हैं तो प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा माँ के पेट में चला जाता है जो कि बहुत खतरनाक स्थिति है| ऐसे हालात में माँ और बच्चे को बचाने के लिए हाथों हाथ ऑपरेशन करना पड़ता है|
एक्टोपिक प्रेगनेंसी
इस स्थिति में गर्भाशय के बाहर फैलोपिन ट्यूब में एक अपरिपक्व भ्रूण पैदा होता है| यदि यह लगातार बढ़ता रहे तो यह ट्यूब फट भी सकती है| माँ के लिए यह स्थिति बहुत खतरनाक है|
मोलर प्रेगनेंसी
यह एक दुर्लभ स्थिति है| इसमें निषेचित अंडा बच्चे की बजाय एक तिल या मस्से के रूप में डवलप होता है| यह जीव को पैदा करने वाली प्रेगनेंसी नहीं होने के बावजूद भी इसमें प्रेगनेंसी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं|
वासा प्रेविआ
यह भी एक दुर्लभ स्थिति है इसमें बढ़ते हुए बच्चे की नाभि नाल या प्लेसेंटा की रुधिर वाहिनियां बर्थ कैनाल को क्रॉस कर जाती हैं| यह खतरनाक स्थिति है क्यों कि ये बढ़ी हुई रुधिर वाहिनियां बच्चे में ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं और ऑक्सीजन सप्लाई को भी रोक सकती हैं| प्लेसेंटा प्रेविआ की तरह इसमें भी ऑपरेशन ही करना पड़ता है|
इस स्थिति में प्रसव के समय ये रुधिर वाहिनियां टूट जाती हैं जिससे खून निकलने लगता है जो कि माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है|